सर्वप्रथम हम ब्लॉग बुलेटिन की टीम की ओर से आपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं कि आपने हमारे इस ब्लॉग को सराहा और अपना जुड़ाव बनाए रखा. हमें यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं महसूस हो रहा है कि यह आपके आशीर्वाद का परिणाम है कि हम बिना अवकाश (कुछ अपवादों को छोड़कर) अहर्निश आपके लिये बुलेटिन तैयार करते रहे और आपकी पोस्ट्स के लिंक से उसे सुसज्जित करते रहे. यदि आपकी प्रतिक्रियाओं का प्रसाद हमें न मिला होता तो हम पहली बुलेटिन से डेढ हज़ार से भी अधिक बुलेटिन का विशाल हिमालय नहीं छू पाते. इसलिये यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि हमारी इस यात्रा वीथि में आपकी टिप्पणियों के छायादार वृक्ष हमें शीतलता तथा ऊर्जा प्रदान करते रहे हैं.
वर्ष 2016 इतिहास का अंग बन चुका है और 2017 का आगमन भी हो चुका है. हमने नववर्ष की पहली बुलेटिन आपके विचारों को समर्पित करने का मन बनाया है. वर्ष भर हम अपनी बातें कहते रहते हैं, किंतु अब बारी है आपकी.
सबसे पहले हम आज की कड़ी में प्रस्तुत कर रहे हैं शुभकामना सन्देश, हमारी ब्लॉग-बुलेटिन के दो ऐसे पाठकों के जिनकी टिप्पणियाँ हमारी लगभग प्रत्येक पोस्ट की शोभा बढाती रही है. उनके इस अटूट विश्वास का सम्मान करते हुए आज पेश हैं श्रीमती कविता रावत और श्री सुशील कुमार जोशी की ब्लॉग बुलेटिन.
सर्वप्रथम सभी ब्लॉगर साथियों एवं ब्लॉग बुलेटिन टीम को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ।
मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि बुलेटिन टीम द्वारा नववर्ष 2017 की पहली बुलेटिन प्रस्तुति मेरे विचारों को समर्पित करने का मन बनाया। बुलेटिन परिवार ने मुझे भी अपने परिवार का हिस्सा माना, इसके लिए तहेदिल से आभारी हूँ।
सबसे पहले हम आज की कड़ी में प्रस्तुत कर रहे हैं शुभकामना सन्देश, हमारी ब्लॉग-बुलेटिन के दो ऐसे पाठकों के जिनकी टिप्पणियाँ हमारी लगभग प्रत्येक पोस्ट की शोभा बढाती रही है. उनके इस अटूट विश्वास का सम्मान करते हुए आज पेश हैं श्रीमती कविता रावत और श्री सुशील कुमार जोशी की ब्लॉग बुलेटिन.
सर्वप्रथम सभी ब्लॉगर साथियों एवं ब्लॉग बुलेटिन टीम को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ।
मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि बुलेटिन टीम द्वारा नववर्ष 2017 की पहली बुलेटिन प्रस्तुति मेरे विचारों को समर्पित करने का मन बनाया। बुलेटिन परिवार ने मुझे भी अपने परिवार का हिस्सा माना, इसके लिए तहेदिल से आभारी हूँ।
ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं
अपनी भावनाओं विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त 2009 को मैंने अपनी पहली रचना “सबको नाच नचाता पैसा” पोस्ट की तो तब मुझे इतना भर मालूम था कि
यहाँ ब्लॉग पर लिखने से दुनिया भर के लोग देख-पढ़ लेते हैं। लेकिन जब मैंने 10-15 दिन बाद उस पर
प्रोत्साहित करते कुछ ब्लोगर्स के कमेंट देखे तो मुझे बहुत खुशी हुई जिससे मैं
उत्साहित होकर ब्लॉग की दुनिया से जुड़ गई। मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच
में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं
उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओंए
परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है। “हरि-अनंत हरि-कथा
अनन्ता“ के समान ही समाज सेवा का क्षेत्र भी अनन्त है, व्यापक है। ब्लॉग लेखन
मेरे लिए भले ही पहले स्वान्तः सुखाय रहा है लेकिन अब यह मेरे लिए आचार्य बिनोवा
भावे जी के कथन- “समाज सेवा छोटी हो या बड़ी, इसकी कीमत नहीं है। किस भावना, किस दृष्टि से वह की जा
रही है, इसकी कीमत है“ की तर्ज पर आधुनिक समाज सेवा का एक माध्यम बना हुआ है।
किसी भी कार्यक्रम की सफलता के पीछे प्रयोजकों का अमूल्य योगदान होता
है। यह योगदान आम जनता नहीं बल्कि वह व्यक्ति विशेष या समाज बखूबी समझता है जिससे
वह सफलता की बुलन्दियों तक पहुंचता है। किसी भी ब्लॉगर की सफलता के पीछे भी ब्लॉग
एग्रीग्रेटरों और ब्लॉग चर्चा करने वाले ब्लॉगों का भी विशेष योगदान रहता है। इस
दिशा में ब्लॉग बुलेटिन जिस तरह से ब्लॉगरों के लेखन को निःस्वार्थ और निष्पक्ष
भाव से मंच प्रदान कर उन्हें उत्साहित और प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अधिक से
अधिक लोगों तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है, वह निःसंदेह सराहनीय व
अनुकरणीय पहल है।
बुलेटिन में सम्मिलित विषय प्रासंगिक होने से पाठक को पढ़ने के लिए
रूचि प्रदान करते हैं, जो कि बहुत बहुत सार्थक प्रयास है। ब्लॉग बुलेटिन टीम समय-समय पर नए
प्रयोग कर समर्पित भाव से बुलेटिन प्रस्तुत करता है, जिससे वह भीड़ से अलग नजर आता है। इस दिशा
में मेरा एक छोटा सा सुझाव है कि यदि किसी ब्लॉग पोस्ट को बुलेटिन में लगाते समय
उस पर थोड़ा संपादकीय की तरह लिखा जाय तो यह एक नूतन प्रयोग होगा, जो निश्चित ही ब्लॉगर
की पोस्ट पढ़ने के लिए पाठकों में उत्सुकता उत्पन्न कर सकेगा। जैसे यदि पोस्ट है “ किशोर बच्चे नशे की
गिरफ्त में“ तो इसके लिए कुछ तरह भूमिका हो सकती है। “बचपन की परिभाषा निरंतर
बदलती जा रही है। सिमटते परिवार, नौकरी पेशा माता-पिता, टी.वी. और कम्प्यूटर की तरफ बढ़ते झुकाव के कारण बच्चे एकाकी जीवन को
मजबूर होते हुए स्वप्निल दुनिया में विचरण कर रहे हैं और इन्हीं चिन्ताजनक कारणों
के कारण किशोर बच्चे नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। प्रस्तुत है (ब्लॉगर का
नाम) द्वारा प्रस्तुत चिन्तन के कुछ बिन्दु।
घर-परिवार और ऑफिस की दौड़-भाग के बीच क्या लिखूं, क्या लिखूं इसी
उधेड़बुन में कुछ नहीं लिख पा रही थी, थोड़ा संकोच भी था कि पता नहीं आप लोग
क्या सोंचेंगे, लेकिन फिर आपके अनुरोध के चलते शायद में अपने ही बारे में लिख गई, अन्यथा न समझेगा।
कृपया इसे आप और बेहतर लिखकर प्रस्तुत करें तो मुझे अपार प्रसन्नता होगी, क्योंकि मैं यह अच्छी
तरह समझती हूं कि बुलेटिन के सभी रिपोर्टर जितनी अच्छी तरह से किसी भी विषय
में लिखने में सक्षम हैं, मैं उनके क्या लिखूं? मैं तो जोड़-तोड़ कर लिखने वाली जो ठहरी! आप सभी के सहयोग व प्रोत्साहन से ब्लॉग पर लिख पाती
हूं।
बुलेटिन परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
सादर
शुभ हो मंगलमय हो
नव वर्ष दो हजार सत्रह
सभी चिट्ठों को
चिट्ठाकारों को
चर्चाकारों को
चिट्ठे इक्ट्ठकारों को
पाठकों को लेखकों को
टिप्पणीकारों को
बस देखने भर
के लिये आदतन
आने जाने वाले
सरोकारों को
नमन है
ब्लाग बुलेटिन के
समर्पित निष्ठावान
सिपहसलारों को
शुभ हो मंगलमय हो
नव वर्ष दो हजार सत्रह
सभी के परिवारों
को
ब्लाग बुलेटिन:
दिन ब दिन
खिल रहा है
निखर रहा है
बचपन छोड़ कर
जैसे जवानी की
तरफ कोई
बढ़ रहा है
सुबह के अखबार
जैसा हो रहा है
बदलते दिन और
वार के संग
पहली चाय की
गर्म चुस्की के
बदलते स्वाद
अलग अन्दाज में
बिन्दास लाकर
इधर का और उधर का
भरी थालियों में जैसे
स्वादिष्ट व्यंजन
कोई ला ला
कर दे रहा है
ज्ञानीयों का
विज्ञानियों का
मेला रोज
मौसम बेमौसम
घर में हो रहा है
कभी कुछ अपनी
खींची लकीरों को
दिखाया देख कर
मौगैम्बो खुश हुआ
जैसा महसूस करता
‘उलूक’ फूल कर
कुप्पा हो रहा है
आभार दे रहा है
लिखने लिखाने
पढ़ने पढ़ाने के मौसम
चलते ही रहें
बदलते भी रहें
सब कुछ सही
और सटीक
हो रहा है
टिप्पणी
करने में
ही कुछ कंजूसी
कहीं कोई
कर रहा है
इसलिये बस
टिप्पणियों
का टोटा
कुछ यहाँ पर
और
कुछ वहाँ पर
हो रहा है।
7 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर
नूतनवर्षाभिनन्दन
सादर
समस्त चिट्ठाजगत से जुड़े हरेक सरोकार को नव वर्ष की शुभकामनाएं । आभार ब्लोग बुलेटिन का हमेशा ही उत्साहवर्धन करने और सम्मान देने के लिये।
बहुत सुन्दर संकलन।
नववर्ष की शुभकामनाएं
तहेदिल से आभारी हूँ
नया वर्ष यूँ ही आपसबों के माध्यम से कुछ देता रहे, शुभकामनायें
कविता जी और जोशी सर ब्लॉग बुलेटिन के नियमित पाठकों मे से हैं ... उनके विचारों के अवगत होना अच्छा लगा |
सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं |
नव वर्ष की मंगलकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!