समझ लेते हो तुम वह सब
जिसकी आलोचना करते तुम रुकते नहीं
जब तक दूसरों के जूते काटते हैं
तुम टेढ़ी मुस्कान के साथ कहते हो
नंगे पाँव ही चलो न ....
सारे हास्यास्पद हल होते हैं तुम्हारे पास
पर वही जूते
जब तुम्हें काटते हैं
तुम्हारी भाषा बदल जाती है
तुम अनोखे हो जाते हो !
4 टिप्पणियाँ:
क्या बात!
जीवन की यही रीत!!
सच जब अपने पर गुजरती है तब पता चलता है
आदरणीया रश्मि दी , लिंक्स देखते हुए अन्त में पाया कि मेरी कहानी भी यहाँ शामिल है .आभार आपका क्योंकि यहाँ शमिल होकर रचना का कद बढ़ जाता है .
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!