प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
1. कंकडी स्नान: इस स्नान में पानी की बूंदों को अपने ऊपर छिडकते हुए, मुँह धोया जा सकता है।
2. नल नमस्कार स्नान: इस में आप नल को नमस्ते कर लें स्नान माना जायेगा।
3. जल स्मरण स्नान: यह उच्च कोटि का स्नान है, इसको रजाई के अन्दर रहते हुए पानी से नहाने को याद कर लो नहाया हुआ माना जायेगा।
4. स्पर्शानूभूति स्नान: इस स्नान में नहाये हुए व्यक्ति को छूकर 'त्वं स्नानम्, मम् स्नानम्' कहने से स्नान माना जायेगा।
इसके अलावा शीतकाल को देखते हुए आधुनिक स्नान भी हैं, जैसे:
1. Online Bath: कंप्यूटर पर गंगा के संगम की फोटो निकाल कर उस पर 3 बार माउस क्लिक करें और फेसबुक पर उसे Background Photo के रूप में लगाएं।
2. Mirror Bath: दर्पण में अपनी छवि को देखकर एक-एक कर तीन मग पानी शीशे पर फेंकें और हर बार "ओह्हहा" करें।
3. Virtual Bath: सूरज की ओर पीठ कर अपनी छाया पर लोटे से पानी की धार गिराएँ और जोर-जोर से "हर-हर गंगे" चिल्लाएं।
यकीनन ताजगी महसूस होगी।
सादर आपका
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किसका दोष है यह
*किसका दोष है यह*
पता नहीं यह दुर्भाग्य केवल उस नौजवान का है या पूरे देश का जिसके झोले में
डिग्री , जेब में कलम लेकिन हाथ में झाड़ू और फावड़ा हो ।
कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में चपरासी अथवा सफाई कर्मचारी के पद के लिए सरकार
द्वारा आवेदन मांगें गए थे जिसमें आवश्यकता 368 पदों की थी और योग्यता , प्राथमिक
शिक्षा तथा साइकिल चलाना थी।
इन पदों के लिए जो आवेदन प्राप्त हुए उनकी संख्या 23 लाख थी जिनमें से 25000 पोस्ट
ग्रैजुएट , 255 पीएचडी , इसके अलावा डाक्टर इंजीनियर और कामर्स विज्ञान जैसे
विषयों से ग्रौजुएट शामिल थे ।
आइये अब चलते हैं मध्यप्रदेश ,जहाँ हवलदार के पद के लिए भी कमोबेश इसी... more »
हमसफ़र में सफ़र
पहली तारीख की रात ट्रेन में कटी। एक टाइम का अघोषित उपवास रखना पड़ा। ट्रेन
सात घंटे लेट है,
तो लग रहा है कि दिन में भी उपवास रखना पड़ेगा।
गोरखपुर से आज-कल एक ट्रेन चल रही है, हमसफ़र एक्सप्रेस।
ट्रेन के सारे डिब्बे वातानुकूलित हैं। देखने में भी यह किसी वर्ल्ड क्लास
ट्रेन की तरह लगती है।
मेरे दोस्त अतहर ने नई-नई ट्रैवल एजेंसी खोली है।
उसी ने कहा कि भाई! हमसफ़र से जाओ। बेहतरीन ट्रेन है। आठ बजे तक दिल्ली रहोगे।
मैं भी खुश हो गया कि क्लास छूटेगी नहीं।
मेरी तरह जनरल डिब्बे में यात्रा करने वाले व्यक्ति का इस ट्रेन को स्वर्ग
कहना भी कम है, इसे बैकुंठ धाम भी कहा जा सकता है
लेकिन इस ट्रेन ने मुझे ... more »
पहला हक
संयोग ऐसा हुआ कि दोनों की गाड़ियां एक साथ रुकीं मंदिर के बाहर । दोनों को
हड़बड़ी थी, अतः दोनों दौड़ने लगे मंदिर के अहाते में । दोनों एक साथ मंदिर के
प्रवेश द्वार पर पहुँचे और मुश्किल से टकराते-टकराते बचे । शारीरिक भिड़न्त तो
नहीं हुई, पर मुँह भिड़ गए । ʻमुझे पहले जाना है अंदर...मैं पहले आया हूँ ।ʼ
एक ने कहा और वह अंदर जाने की कोशिश करने लगा ।
ʻनहीं, मैं पहले जाऊँगा अंदर...मैं पहले आया हूँ ।ʼ दूसरा बोला ।
ʻदेखता हूँ, कौन रोकता है मुझे?ʼ पहले वाले ने परोक्ष धमकी दी । ऐसा कहकर
वह अपनी आस्तीन चढ़ाने लगा । दूसरा भी मूड में आ गया और पहले वाले की तोंद से
तोंद मिलाकर अपन... more »
मेरी मेवाड़ यात्रा (1)
*हनुमान जी की प्रतिमा का ब्रह्मचर्य*
लोग घूमने के लिए दूर दूर तक जाते हैं, शौक से विदेश यात्राएँ भी कर आते हैं।
लेकिन होता यह है कि उन से उन का पडौस तक अछूता रह जाता है। वे पड़ौस के बारे
में ही नहीं जानते। मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी कि कम से कम अपना खुद का
प्रदेश राजस्थान तो एक बार घूमा ही जाए। जब यह विचार हुआ तो यह भी देखा कि
राजस्थान कोई छोटा मोटा प्रान्त नहीं। इत्तफाक से अब वह देश का सब से बड़ा
प्रदेश है। राजस्थान के अनेक अंचल हैं। मैं हाड़ौती अंचल में पैदा हुआ, वहीं
शिक्षा दीक्षा हुई और वहीं रोजगार भी जुटा। फिर भी हाड़ौती के अनेक क्षेत्र
ऐसे हैं जो मेरे लिए अनदेखे हैं। उन्हें... more »
ओरछा महामिलन की पूर्वकथा ; असंभव से संभव तक
ओरछा के जहांगीर महल के पीछे सूर्योदय मित्रों , नई साल में सबको राम राम।
अधिकांश लोग सोशल मीडिया के माध्यमो ( फेसबुक, व्हाट्स एप्प , इंस्टाग्राम ,
ट्विट्टर आदि ) से हुई मित्रता को आभासी या नकली मानते है। उनका मानना होता
है , कि इन माध्यमों से बने रिश्ते अंतरजाल से कभी भी वास्तविकता के धरातल
पर नही आ पाते है। पर मेरा अनुभव कुछ अलग ही रहा। सोशल मीडिया से नाता ऑरकुट
के जमाने से जुड़ा जो ब्लॉगिंग के सुनहरे दौर से होते हुए आज फेसबुक और व्हाट्स
एप्प तक आ चुका है। फेसबुक में शुरू में अपने परिचितों, दोस्तों को जोड़ा
फिर ब्लॉगिंग के दोस्तों से जानपहचान बढ़ी तो वो भी जुड़ते गए। ओरछा ... more »
नायब सूबेदार बाना सिंह की ६८ वीं वर्षगांठ
*नायब सूबेदार बाना सिंह* (अंग्रेज़ी: *Naib Subedar Bana Singh*, जन्म: 3
जनवरी, 1949 काद्याल गाँव, जम्मू और कश्मीर) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय
सैन्य अधिकारी है। इन्हें यह सम्मान सन 1987 में मिला। पाकिस्तान के साथ भारत
की चार मुलाकातें युद्धभूमि में तो हुई हीं, कुछ और भी मोर्चे हैं, जहाँ
हिन्दुस्तान के बहादुरों ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर कर रख
दिया। सियाचिन का मोर्चा भी इसी तरह का एक मोर्चा है, जिस ने 8 जम्मू एंड
कश्मीर लाइट इंफेंटरी के नायब सूबेदार बाना सिंह को उन की चतुराई, पराक्रम और
साहस के लिए परमवीर चक्र दिलवाया।
*जीवन परिचय*
बहादुर नायब सूबेदार बाना सिंह ... more »
फल -महिमा -दोहे
मधुर आम उपवन उपज, करते सब रस पान |
तिक्त करेला कटु बहुत, करता रोग निदान ||
काला जामुन है सरस, मत समझो बेकार |
दूर भगाता मर्ज सब, पेट का सब बिकार ||
पपीता बहुत काम का, कच्चा खाने योग्य |
पक्का खाओ प्रति दिवस, है यह पाचक भोज्य ||
खट्टा मीठा रस भरा, अच्छा है अंगूर |
खाओ संभल के इसे, अम्ल कारी प्रचूर ||
मीठा होता सन्तरा, ज्यों अंगूर-शराब |
रस इसका खुल पीजिये, पाचन अगर ख़राब ||
कलिन्दा सभी मानते, उपज ग्रीष्मकालीन |
खाता हरेक चाव से, मुहताज या कुलीन ||
छाल इस पर हराभरा, अन्दर पूरा लाल |
रस पीओ ठण्डा करो, जैसा हो अनुकाल ||
रोगी सभी प्रकार के, करे सेवन अनार |
आंव,कब्ज कै दस्त भी, होता दूर विकार ||
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#व्यंग्य - भारत में पंक्ति क्रांति का इतिहास
विमुद्रीकरण के बाद सारा देश पंक्ति में खड़ा हो गया। कुछ लोगों ने कहा कि जनता
पैसे निकालने के लिए दंगा कर सकती है परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। हो भी नहीं सकता
क्योंकि भारत एक पंक्ति प्रधान देश है। १९४७ में भारत गणराज्य का गठन हुआ तब
से भारत का इतिहास भारत के नागरिकों द्वारा समय - समय पर की गई पंक्ति क्रांति
से भरा हुआ है।
१९४७ के पहले हम स्वतंत्रता लेने के लिए पंक्ति में खड़े थे। स्वतंत्रता मिलने
के बाद हम अपने ही देश में अपने अधिकारों को लेने के लिए पंक्ति में खड़े हो
गए। हम से कुछ लोकतंत्र में लोकतंत्र पाने की पंक्ति में आज तक खड़े हैं। कुछ
इस दुनियाँ से निकलकर दूसरी दुनियाँ में जाकर वहा... more »
आकाश का गीत
*आज* ध्यान कम टीवी पर सद्गुरू को श्रवण ज्यादा किया. आश्रम में उनसे जो
प्रश्नोत्तर हो रहा था, बहुत अच्छा लगा. उन्हें नींद आ रही थी, लेकिन लोग थे
कि प्रश्न पूछे ही जा रहे थे.
श्रवण दुःख पाप का नाशक, श्रवण करे जो बनता श्रावक
सुनने की महिमा है अनुपम, मिल जाता है जिससे प्रियतम
निज भाषा में सुनने का फल, मन की धारा बनती निर्मल !
पढ़ना वृत्ति, सुनना भक्ति, होगी इससे कुशल प्रवृत्ति
कल-कल नदिया की भी सुनना, पंछी की बोली को गुनना
बादल का तुम सुनना गर्जन, सागर की लहरों का तर्जन
पिऊ पपीहा केकी मोर की, गूंज मौन की सुने सही
सुनना भी एक विज्ञान, बढ़ता है जिससे प्रज्ञान
राग सुनो, आलाप सुनो, कोकिल की... more »
जाति, भाषा और धर्म के नाम पर वोट माँगना गैरकानूनी।
3 जनवरी, 2017
कल माननीय उच्चतम न्यायलय का ऐतिहासिक फैसला आया। अब जाति, भाषा और धर्म के
नाम पर वोट माँगना गैरकानूनी होगा। उम्मीद है कि राजनीति कब पहले से ज्यादा
साफ सुथरी हो जाएगी। लेकिन तथाकथित राजनीतिज्ञों का क्या होगा ? क्या होगा
उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह का जो यादवो और मुसलमानो की राजनीति करते हैं और
इनके उत्थान के नाम पर वोट मांगते प्रतीत होते हैं ? मुसलमानो की स्थिति को
दयनीय बताकर और उसको और बेहतर करने का वादा करके वोट बटोरने की कोशिश लालू
यादव एवं उनकी पार्टी भी करती है बिहार में। अब तो ओवैसी भी कूद पड़े हैं उत्तर
भारत की राजनीति में।
बिहार विधानसभा 2015 के चुनाव में ... more »
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
3 टिप्पणियाँ:
जय हो । जाड़ों में नहलाती बुलेटिन पेश करने के लिये । कपकपी पढ़ना शुरु करते ही शुरु हो गई। शानदार और जानदार बुलेटिन :)
बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति के साथ बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार !
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!