अनुराधा चौहान का ब्लॉग
रिया उदास बैठी सोच रही थी,कि वो कैसी किस्मत लेकर पैदा हुई है जब भी किसी से प्यार मिलने लगता वो ही उससे दूर हो जाता है।
रिया का जन्म संयुक्त परिवार में हुआ था दादा-दादी चाचा-चाची माँ-पापा हँसता खेलता परिवार था।
रिया कहाँ गई मनहूस..लो महारानी यहाँ बैठीं हैं, सुनो हम लोग बाहर जा रहें हैं आने में देर हो जायेगी।आज कमला नहीं आएगी तो खाना बना लेना।
सुधा चलो देर हो रही है। तभी चाचा आ जाते हैं,क्या सुधा फिर उदास कर दिया रिया को तुमने,तुम घर पर क्या कर रही हो बेटा आज कॉलेज नहीं गई तुम? नहीं चाचू आज छुट्टी है इसलिए नहीं गई।
चाचू बड़े प्यार से रिया का सिर सहला कर चले जाते हैं वो उदासी की वजह समझते थे पर घर की शांति के लिए चुपचाप रहते थे।चाचू के जाते ही रिया की आँखो से आँसू ढुलक कर गालों पर आ गए। रिया को डायरी लिखने की आदत थी।जब भी दुःखी होती तो वह डायरी लिखने बैठ जाती है।
यह कैसा खेल है किस्मत का
क्या जीवन रहेगा पतझड़-सा
क्या कभी जीवन में आएगी बहार
मुझे भी मिलेगा मेरे हिस्से का प्यार
रिया ने अपने माता-पिता को तस्वीरों में ही देखा था। चाचू ने बताया था। कैसे रिया का परिवार रिया के जन्म के बाद कुलदेवी के दर्शन के लिए जा रहा था, तभी एक दुर्घटना में दादा-दादी और रिया के माँ-बाप मृत्यु हो जाती है। रिया बच जाती है उसको खरोंच भी नहीं आती है।बस यही एक कारण है, जो चाची उसे मनहूस कहकर बुलाती है
चाचू ने कभी भी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी।चाची रूखा व्यवहार जरूर करती थी,पर उनके दिल में कहीं तो थोड़ा प्यार होगा जो कभी किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी सिवाय प्यार के।
आज फिर एक बार उसने जिसे प्यार किया वो भी साथ छोड़ गया। अमन रिया के साथ उसके ही कॉलेज में पढ़ता है।रिया अमन एक दूसरे से प्यार करते थे।
रिया अमन को बहुत चाहती थी पर अमन उसको सिर्फ धोखा दे रहा था।आज जब रिया को पता चला अमन हमेशा के लिए विदेश जा रहा है तो वह अमन को मिलने चली आई।
अमन प्लीज मत जाओ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।यहाँ रहकर भी तो नौकरी कर सकते हो। रिया तुम यह क्या जिद्द लेकर बैठी हो.. ऐसे मौके बार-बार नहीं आते हैं क्या प्यार का रोना रो रही हो प्यार से पेट नहीं भरता तुम्हारे साथ थोड़ा घूम-फिर लिया,तुम तो गले पड़ गईं।
क्या!! अमन यह कैसी बाते कर रहे हो,कहाँ गए तुम्हारे वादे, कसमें.. एक झटके में तुमने कह दिया तुम मेरे साथ सिर्फ घूम रहे थे।रिया की आँखों से आँसू बहने लगे अमन वहाँ चला जाता है।
फिर आगे रिया डायरी में लिखती है
बचपन से जवानी तक
तलाशते रहे हम उसे
खोजते हैं दरबदर
उसे सारे जहान में
जो अब तक नहीं मिला
तलाश कल भी थी
आज भी है और कल भी रहेगी
करते रहेंगे प्यार की तलाश
कभी तो मंजिल मिलेगी
कभी तो कोई आएगा
जो अपना बनाकर ले जाएगा
तब खत्म होगा यह इंतजार
तब पूरी होगी प्यार की तलाश
डायरी लिखने के बाद रिया खाना बना कर चाची-चाचा के आने का इंतजार करने लगी। तभी सौरभ का फोन आ जाता है। हेलो..माँ
हाय सौरभ में रिया, चाचू चाची बाहर गए हुए हैं।हाय दी कैसी हो? मैं अच्छी हूँ..तू बता?
मैं भी अच्छा हूँ जल्दी वापस भी आ जाऊंगा मेरी पढ़ाई खत्म होने वाली है अच्छा दी रखता हूँ।
सौरभ से बात करने के बाद रिया बहुत हल्का महसूस कर रही थी। सौरभ चाचा-चाची की एकलौता बेटा है और रिया के बहुत करीब है। गाड़ी की आवाज़ आती है, लगता है चाचा-चाची आ गए। रिया खिड़की से बाहर देखने लगती है।
डोरबेल बजती है रिया दरवाजा खोलती है। चाचा-चाची अंदर आते हैं दोनों बड़े ही खुश थे। रिया पानी लेकर आती है। चाची सौरभ का फोन आया था आपको और चाचू को पूंछ रहा था,हम्म..तू बैठ यहाँ चाची की बात सुनकर रिया डरते-डरते उनके पास बैठ जाती है जी चाची।
रिया में मानती हूँ मैं तुझसे नाराज़ रहती हूँ पर इतना भी नहीं कि तेरा बुरा करूं। चाची आप ऐसा क्यों बोल रही हो आपने मुझे पाला-पोसा बड़ा किया आपको हक़ है मुझे कुछ भी कहने का।
रिया अभी मैं और चाचू तुम्हारे लिए लड़का देखकर आ रहें हैं खुद का बिजनेस है अच्छा परिवार है तुम्हारी पढ़ाई का आखिरी साल है फिर तो शादी करनी ही है।कल वो लोग आ रहें हैं एक बार मिल लो पसंद आए तो आगे बात बढ़ाएं।
रिया एकदम से इसके किए तैयार नहीं थी। आज ही अमन से धोखा मिला पर आज पहली बार चाची ने प्यार से कुछ कहा है,रिया चाची को नाराज नहीं करना चाहती थी,चाची जी जैसा आप चाहें।
रिया कमरे में चली जाती है क्या करूं क्या ना करूं चाची को नाराज भी नहीं कर सकती,अब कल क्या होगा देखेंगे मिलने में क्या हर्ज है।शाम होते ही वो लोग आ जाते हैं नाश्ते का दौर शुरू हो जाता है, रिया चुपचाप बैठी थी तभी चाची बोली रिया जाओ प्रभात को अपना घर दिखाओ।जी चाची ना चाहते हुए भी रिया प्रभात को घर दिखाने ले जाती है।
प्रभात का खुद का बिजनेस है। कद-काठी भी अच्छी थी देखने काफी स्मार्ट था।रिया भी बहुत सुंदर थी प्रभात को रिया पहली नजर में भा गई।शादी की बात पक्की हो गई समय बीतता गया।
शादी भी हो जाती है प्रभात बहुत ही अच्छा इंसान था जल्दी ही उसने रिया के दिल पर अपना प्रभाव बना लिया घर में सब रिया से बहुत प्यार करते हैं आज रिया को जैसे ही पता चला वो माँ बनने वाली है तो खुशी से पागल होकर वो फिर डायरी लिखने बैठ जाती है।
प्यार की तलाश में भटकी थी सदा
हो रहा प्रभात अब मेरे प्यार का
ज़िंदगी में खुशियों का अहसास होने लगा
पनपने लगा अंश मुझमें मेरे प्यार का
ग़म की शाम अब ढल चुकी है
सुख का सूरज चमकने लगा है
पूरी हो गई है आज मेरी प्यार की तलाश
समय भागता रहा और रिया की गोद में एक नन्ही-सी परी खेलने लगी रिया की ज़िंदगी में अब खुशियां ही खुशियां थी।
12 टिप्पणियाँ:
सहज,सरल शब्द़ो में लिखी गयी सुंदर कहानी एक मासूम लड़की की निश्छलता का सुंदर चित्रण।
अनुराधा जी की सुंदर रचनाएँ जीवन का यथार्थ चित्रण करती हैं बिना किसी शब्दांडर के इनकी बहुत सुंदर और सजीव रचनाएँ बहुत अच्छी लगती है।
अनुराधा जी बहुत बधाई।
आभार रश्मि जी।
हार्दिक आभार श्वेता जी
ब्लॉग बुलेटिन पर अपनी रचना देख अत्यंत हर्ष हो रहा है। आदरणीया रश्मि प्रभा जी का हार्दिक आभार। 🌹
बड़ी प्यारी कहानी। बधाई और आभार।
धन्यवाद आदरणीय
प्रिय अनुराधा बहन, ब्लॉग से अनुपस्थित थी सो विलंबित प्रतिक्रिया के लिए क्षमा चाहती हूँ। आपको हार्दिक बधाई कि ब्लॉग बुलेटिन मंच का एक दिन आपकी रचना के नाम रहा । आप लिखा यूँ ही नित विस्तार पाए मेरी यही दुआ और कामना हैं 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
एक प्यारी सी लघुकथा , जिसकी नायिका रिया प्रेम में ठोकर खाकर यही समझ बैठी कि
ये वेदना स्थाई है पर जीवन में सुख स्थाई नहीं तो दुख क्यों होगा?? किसी रिया के जीवन में जब कोई प्रभात सरीखा मसीहा बनकर आता है तो दुख तेज हवा में बादलों की तरह उड जाता है। कथा का अंत आह्लादित कर गया। हार्दिक बधाई और शुभकामनायें सखी
😊😊
हार्दिक आभार सखी 🌹
आपकी स्नेह भरी प्रतिक्रया के लिए आपका हार्दिक आभार प्रिय रेणु जी।
वाह बहुत सुंदर सरस रचना।हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ अनुराधा जी।सादर नमन सखी।
हार्दिक आभार सखी
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