नील परमार का ब्लॉग
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दुख की सूचना
भौतिकी का एक स्थापित सत्य है
कि प्रकाश की गति अद्वितीय है
सूर्य से धरती की दूरी नाप लेता है प्रकाश मिनटों में
और बादल गरजने की ध्वनि से भी पहले
दिख जाती है हमे कड़कती हुई बिजली
फिर भी
ऐसा कितना कुछ है
जो है हमारी दुनिया मे
लेकिन अभी नज़र से दूर है
जैसे कई तारे
हमारी ही दुनिया के
जिनका प्रकाश
नही पहुंचा है हमारी पृथ्वी तक
एक रात अचानक आ जुड़ेगा
अँधेरे होते आसमान में
एक नया
अप्रत्याशित
सितारा।
आकाश देखने पर ये याद आता है
कि ऐसे कितने ही दुःख है
जो हैं
लेकिन उनकी सूचना नही पहुंची है हम तक
हम तारों का जश्न मनाये
या अँधेरे का शोक
इससे रेशा भर भी फर्क नही पड़ता उस दूरी पर
जो एक दुख को हम तक पहुँचने में तय करनी है।
4 टिप्पणियाँ:
सुंदर प्रस्तुती | एक नये ब्लॉग से परिचय कराने के लिए आभार रश्मि जी | नील जी कोा ब्लॉग बहुत सार्थक रचनाओं से भरा है |उन्हें हार्दिक शुभकामनायें इस अवलोकन का हिस्सा बनने के लिए |
वाह ... बहुत लाजवाब रचना ...
विशाल केनवस है कवि के पास अपनी नवीन सोच का ...
बहुत बधाई नील परमार को
बेहतरीन सोच, लाजबाब सृजन..., ढेरो शुभकामनाएं आपको
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