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शनिवार, 16 दिसंबर 2017

ब्लॉग बुलेटिन 2017 की गुज़ारिश (समापन )




कई बार मैंने सबके ब्लॉग के दरवाज़े पर शब्दों का कॉल बेल बजाया है   ... अब सांकल नहीं खटखटाऊँगी, करबद्ध अनुरोध करुँगी -
व्यस्तता तो ज़िन्दगी का पर्याय है 
कब तक उसका हवाला देकर 
कलम को दराज में बंद रखोगे 
... 
लिखो,
यह सोचकर लिखो 
कि कल मैं अवलोकन करने को रहूँ या ना रहूँ !

अपने ब्लॉग में हाज़िर हों 


ब्लॉग ही ब्लॉग हैं,  ... अवलोकन के समापन के साथ अगले वर्ष के लिए मैं सबको पुकार रही हूँ -
नया वर्ष आपके लिए प्रतीक्षित है 

6 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

कुछ तो असर होगा
याद घर की आएगी

सार्थक प्रस्तुति

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

लगता है यह अपील सुनी जायेगी.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

शर्मिंदा हूँ... शब्द चुक गए हैं... यह भी जानता हूँ कि सफाई देने से काम नहीं चलेगा... लेकिन कोशिश करता हूँ. शायद अगले वर्ष मेरा नाम भी आपकी ब्लॉगमाला के सालाना प्रोग्राम में टॉप की पायदान पर हो!
प्रणाम करता हूँ दीदी, आपके इस भगीरथ प्रयास को!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह सही लताड़ लगाई है हम भी कहते हैं हाजिर हो :)

Jyoti khare ने कहा…

सचेत करती प्रतिक्रिया
इस वर्ष् कुछ लिखा ही जायेगा
सुंदर संयोजन
सादर

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