कई बार मैंने सबके ब्लॉग के दरवाज़े पर शब्दों का कॉल बेल बजाया है ... अब सांकल नहीं खटखटाऊँगी, करबद्ध अनुरोध करुँगी -
व्यस्तता तो ज़िन्दगी का पर्याय है
कब तक उसका हवाला देकर
कलम को दराज में बंद रखोगे
...
लिखो,
यह सोचकर लिखो
कि कल मैं अवलोकन करने को रहूँ या ना रहूँ !
अपने ब्लॉग में हाज़िर हों
ब्लॉग ही ब्लॉग हैं, ... अवलोकन के समापन के साथ अगले वर्ष के लिए मैं सबको पुकार रही हूँ -
नया वर्ष आपके लिए प्रतीक्षित है
6 टिप्पणियाँ:
कुछ तो असर होगा
याद घर की आएगी
सार्थक प्रस्तुति
लगता है यह अपील सुनी जायेगी.
शर्मिंदा हूँ... शब्द चुक गए हैं... यह भी जानता हूँ कि सफाई देने से काम नहीं चलेगा... लेकिन कोशिश करता हूँ. शायद अगले वर्ष मेरा नाम भी आपकी ब्लॉगमाला के सालाना प्रोग्राम में टॉप की पायदान पर हो!
प्रणाम करता हूँ दीदी, आपके इस भगीरथ प्रयास को!
वाह सही लताड़ लगाई है हम भी कहते हैं हाजिर हो :)
सचेत करती प्रतिक्रिया
इस वर्ष् कुछ लिखा ही जायेगा
सुंदर संयोजन
सादर
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!