सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को मेरा सादर नमस्कार।
विश्व अल्जाइमर दिवस (अंग्रेज़ी: World Alzheimer's Day) प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के बारे में जागरूकता प्रसारित करने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2016 में विश्व अल्जाइमर दिवस अभियान का विषय था- "मुझे याद रखें"। इस दिन का उद्देश्य विश्व भर के लोगों को डिमेंशिया के लक्षणों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करना ही नहीं है, अपितु इसका उद्देश्य डिमेंशिया से पीड़ित रोगियों अथवा इस बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त होने वाले रोगियों को भी न भूलना है।
एल्जाइमर्स डिमेंशिया अधेड़ावस्था व बुजुर्गावस्था में होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी की स्मरण शक्ति गंभीर रूप से कमजोर हो जाती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह रोग भी बढ़ता जाता है। याददाश्त क्षीण होने के अलावा रोगी की सूझबूझ, भाषा, व्यवहार और उसके व्यक्तित्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
[लक्षण]
* जरूरत का सामान जैसे चाभी, बटुआ या कपड़े इधर-उधर रखकर भूल जाना।
* लोगों के नाम, पता या नंबर भूल जाना।
* रोग की चरम अवस्था में रोगी खाना खाने के बाद भी भूल जाता है कि उसने खाना खाया है या नहीं। कई बार इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने ही घर के सामने भटकते रहते हैं, लेकिन वे घर नहीं ढूंढ़ पाते।
[दैनिक कार्यो को करने में असमर्थता]
* दैनिक कार्य जैसे खाना बनाना, रिमोट या मोबाइल जैसे घरेलू उपकरणों को चलाने में असमर्थता महसूस करना।
* बैंक के कार्य जैसे पैसे निकालने या जमा करने में गलतियां होना।
* गंभीर रूप से ग्रस्त रोगी नित्य क्रिया के कार्य जैसे- कमीज का बटन लगाना या नाड़ा भी नहीं बांध पाते है।
[व्यवहार व व्यक्तित्व में परिवर्तन आना]
* अत्यधिक चिड़चिड़ापन, वेवजह शक करना, अचानक रोने लगना या बेचैनी महसूस करना।
* एक ही काम को अनेक बार करना या एक ही बात को बार-बार पूछते रहना।
[भाषा व बातचीत प्रभावित होना]
बात करते समय रोगी को सही शब्द, विषय व नाम ध्यान में नहीं रहते। ऐसे में रोगी की भाषा अत्यंत अटपटी व अधूरी लगती है।
[इलाज]
कुछ दवाएं उपलब्ध है, जिनके सेवन से ऐसे रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझ-बूझ में सुधार होता है। इन दवाओं को जितना जल्दी शुरू करे उतना ही फायदेमंद होता है क्योंकि ये दवाइयां रोग को आगे बढ़ने से रोकती है। अक्सर परिजन इस रोग के लक्षणों को वृद्धावस्था की स्वाभाविक खामियां मानकर इलाज नहीं करवाते। इस कारण रोग असाध्य हो जाता है।
दवाओं से अधिक कई बार रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। काउंसलिंग के तहत रोगी के अलावा उसके परिजनों को मरीज के लक्षणों की सही पहचान कर उनसे निपटने की सटीक व्यावहारिक विधियां बतायी जाती हैं।
[लक्षण]
* जरूरत का सामान जैसे चाभी, बटुआ या कपड़े इधर-उधर रखकर भूल जाना।
* लोगों के नाम, पता या नंबर भूल जाना।
* रोग की चरम अवस्था में रोगी खाना खाने के बाद भी भूल जाता है कि उसने खाना खाया है या नहीं। कई बार इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने ही घर के सामने भटकते रहते हैं, लेकिन वे घर नहीं ढूंढ़ पाते।
[दैनिक कार्यो को करने में असमर्थता]
* दैनिक कार्य जैसे खाना बनाना, रिमोट या मोबाइल जैसे घरेलू उपकरणों को चलाने में असमर्थता महसूस करना।
* बैंक के कार्य जैसे पैसे निकालने या जमा करने में गलतियां होना।
* गंभीर रूप से ग्रस्त रोगी नित्य क्रिया के कार्य जैसे- कमीज का बटन लगाना या नाड़ा भी नहीं बांध पाते है।
[व्यवहार व व्यक्तित्व में परिवर्तन आना]
* अत्यधिक चिड़चिड़ापन, वेवजह शक करना, अचानक रोने लगना या बेचैनी महसूस करना।
* एक ही काम को अनेक बार करना या एक ही बात को बार-बार पूछते रहना।
[भाषा व बातचीत प्रभावित होना]
बात करते समय रोगी को सही शब्द, विषय व नाम ध्यान में नहीं रहते। ऐसे में रोगी की भाषा अत्यंत अटपटी व अधूरी लगती है।
[इलाज]
कुछ दवाएं उपलब्ध है, जिनके सेवन से ऐसे रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझ-बूझ में सुधार होता है। इन दवाओं को जितना जल्दी शुरू करे उतना ही फायदेमंद होता है क्योंकि ये दवाइयां रोग को आगे बढ़ने से रोकती है। अक्सर परिजन इस रोग के लक्षणों को वृद्धावस्था की स्वाभाविक खामियां मानकर इलाज नहीं करवाते। इस कारण रोग असाध्य हो जाता है।
दवाओं से अधिक कई बार रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। काउंसलिंग के तहत रोगी के अलावा उसके परिजनों को मरीज के लक्षणों की सही पहचान कर उनसे निपटने की सटीक व्यावहारिक विधियां बतायी जाती हैं।
- डॉ. उन्नति कुमार
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
5 टिप्पणियाँ:
एक अच्छा विषय। सुन्दर बुलेयिन प्रस्तुति। 'उलूक' की बकबक भी दिखी । आभार हर्षवर्धन।
हर्षवर्धन जी द्वारा प्रस्तुत सुन्दर ब्लॉग-बुलेटिन एवं इस चर्चा में सम्मलित सभी सारगर्भित रचनाओं के रचनाकार को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
अल्जाइमर डिमेंशिया के बारे में उपयोगी जानकारी. सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार !
मैं भी एंजाइटी विकास से पीड़ित रहा हूं ...अभी भी नियमित रुप से दवा ले रहा हूं। हमारे देश में हर पांचवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित है इसलिए हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दोस्तों खुश रहने की कोशिश कीजिए और साल में कम से कम एक बार हवा-पानी जरुर बदलें.
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