इधर से उधर भागते हुए
प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए
मैं खोज लेती हूँ वह कलम
जिनके अपने विशिष्ट मायने होते हैं
अपनी लगन होती है
जो इंसान को कुछ न कुछ दे ही जाती है
...
गोपाल मिश्रा
हर उद्देश्य की सफलता ध्यान में है, जितनी सच्चाई ध्यान में होगी, उतनी सफलता रंग लाएगी !
बाधाएँ आती हैं, लेकिन निष्ठा के आगे वह एक दिन घुटने टेक ही देती है
ऐसी छवि अपने साथ कइयों को अर्थ दे जाती है ...
3 टिप्पणियाँ:
लिखते लिखते लिखने वाले भी खोज लेना। समय देना इस सब के लिये इतना आसान नहीं हैं । इसी तरह हौसला अफजाई करते रहेंगी कलमों की यही कामना है। बहुत सुन्दर बुलेटीन।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ,,
Wonderfull nice
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