मैं हूँ
लेकिन मैं कौन हूँ
मैं बहुत कुछ हूँ
लेकिन क्या !!!
मैं भोर का संगीत हूँ
लेकिन बोल इसके क्या हैं !
मैं एक पूरा दिन हूँ
पर ...
जेठ की दुपहरी से सन्नाटे के मायने क्या हैं !
वह जो मेरे मन की शाखों पर चिड़िया चहकती है
वह उड़ती क्यूँ नहीं !
यह जो मेरी परिक्रमा है
इस शरीर से उस शरीर की
यह मेरी रूह
खानाबदोशी से उबती क्यूँ नहीं !
7 टिप्पणियाँ:
एक अनोखी प्रस्तुति दीदी!
एक अनोखी प्रस्तुति दीदी!
वाह ! एक ही विषय पर इतने विविधतापूर्ण विचारों को संकलित कर दिया आपने ! सुंदर !
वाह बहुत सुन्दर । मैं कौन हूँ तू कौन है । बढ़िया बुलेटिन।
एक ही विचार 'मैं कौन हूँ?" पर इतनी संख्या में ब्लॉग...अद्भुत खोज!
बहुत बढ़िया ,एक प्रश्न कितने जबाब
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
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