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सोमवार, 11 सितंबर 2017

हम रोज मंसूबे बनाते हैं




हम रोज मंसूबे बनाते हैं 
सच की आवाज़ बनेंगे 
पर एक भय है अपनों का 
और हम अपनी आत्मा से मुँह मोड़ लेते हैं  ... 


5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सूत्र । अच्छी प्रस्तुति।

सदा ने कहा…

Behatareen links sanyojan ....

अपर्णा वाजपेयी ने कहा…

सभी लिंक खास हैं. सुंदर प्रस्तुति

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

यही होता है... यही होता आया है!!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सदा की तरह उत्तम

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