गगन शर्मा
सलाह देना - सबसे सरल
रास्ते कितने घुमावदार
अरे साहब ! ज़िन्दगी नहीं होती आसान !!
घुमावदार रास्तों को पढ़ते हुए आज मैं हूँ
कुछ अलग सा ब्लॉग के साथ जो गगन शर्मा जी का है
हँसने को तो हम हँस ही लेंगे, पर सोचना भी पड़ेगा -
इस वार्तालाप को पढ़ कर हंसी तो आती है, पर यह एक कड़वी सच्चाई है। हालात में एक्का-दुक्का प्रतिशत बदलाव भले ही आया हो, पर अभी भी लाखों ऐसे लोग हैं जो इस तरह के भंवर जाल में फंसे हुए हैं। दफ्तरों के चक्कर, वहाँ की लाल फीताशाही, वहाँ बैठे बाबुओं के असहयोगिता पूर्ण रवैये और अपनी आधी-अधूरी जानकारी के कारण अनपढ़ और अर्धशिक्षित लोग परेशानी से बचने के लिए जरूरी कागजात बनवाने से कतराते रहते हैं। पर जब अति आवश्यक हो जाता है, ऐसा कोई दस्तावेज, तो फिर दलालों की चांदी हो जाती है जो ऐसे लोगों से मनचाही रकम वसूलते हैं, तरह-तरह की परेशानियों का जिक्र और कागज बनवाने के नाम पर
ट्रैफिक हवलदार ननकू से, अपना ड्रायविंग लायसेंस दिखाओ
ननकू - लायसेंस तो नहीं है, साहब
ट्रैफिक हवलदार - अरे ! क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया ही नहीं है?
ननकू - नहीं, साहब
ट्रैफिक हवलदार - क्यों नहीं बनवाया ?
ननकू - एक बार बनवाने गया था, वे लोग बोले, पहचान पत्र लेकर आओ। पर मेरे पास अपना मतदाता पहचान पत्र तो है ही नहीं।
ट्रैफिक हवलदार - अरे भाई ! यह तो बहुत जरूरी होता है, तुम अपना मतदाता पहचान पत्र बनवाओ जाकर।
ननकू - साहब मैं पहचान पत्र बनवाने गया तो वहाँ के साहब लोग बोले, अपना राशन कार्ड ले कर आओ। अब का करें मेरा तो राशन कार्ड भी नहीं बना है।
ट्रैफिक हवलदार - अरे कैसे आदमी हो तुम ? कोई भी कागज़ तुम्हारे पास नहीं है जाओ पहले राशन कार्ड बनवाओ अपना !
ननकू - उसके लिए मैं नगर निगम गया था, वहाँ मेरी बैंक की पास-बुक मांगी गयी पर मेरा तो किसी बैंक में खाता ही नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो मेरे बाप बैंक खाता खुलवा ले।
ननकू - अब कैसे खुलवा लूँ साहब, बैंक वाले ड्रायविंग लायसेंस दिखाने को कहते हैं।
हवलदार अभी तक बेहोश है।
3 टिप्पणियाँ:
badhiya post
हा हा हा हा हा
सजीव चित्रण
:) बढ़िया ।
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