प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
छात्र: "बिजली का?"
मुलायम सिंह जी : "नहीं, तुम्हारी डिग्री का।"
छात्र: "वो तो ठीक है पर डिग्री केजरीवाल जी से अटेस्ट जरूर करवा देना, बाद में कोई लफड़ा नहीं चाहिए मुझे ... जैसा स्मृति जी या मोदी जी के साथ हुआ !!"
प्रणाम |
एक बार मैनपुरी दौरे के दौरान, एक छात्र ने मुलायम सिंह जी से शिकायत की : "सर जी, आप ने मैनपुरी को कटौती रहित बिजली सप्लाई के आदेश करवाए हुये हैं फिर भी बिजली नहीं आती ... हम लोगों की पढ़ाई नहीं हो पाती ... कुछ जुगाड़ हो जाती तो ..."
मुलायम सिंह जी : "हम नितीश कुमार जी से कह के कुछ इंतजाम करवाते हैं।"
छात्र: "बिजली का?"
मुलायम सिंह जी : "नहीं, तुम्हारी डिग्री का।"
छात्र: "वो तो ठीक है पर डिग्री केजरीवाल जी से अटेस्ट जरूर करवा देना, बाद में कोई लफड़ा नहीं चाहिए मुझे ... जैसा स्मृति जी या मोदी जी के साथ हुआ !!"
(कृपया लतीफ़े को लतीफ़ा समझ कर ही आनंद लें ... राजनीतिक भावनाओं के आहात होने की स्थिति में आप स्वंय जिम्मेदार होंगे !!)
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
क्या लिखूँ क्या छोड़ूँ
इतना अविश्वास ठीक नहीं......
एक कहानी
नीलाभ और अविनाश मिश्र की आख़िरी बातचीत
रामेश्वर महादेव-वाराणसी
पुलिस मितानी
अाँख जो बूढ़ी रोई
यदि मेरे माता-पिता देख रहे होते...!
सुनो ज़िन्दगी !!
कब क्या हुआ कुछ पता नही.....
डिग्री का अटेस्टेशन जरूर करवाएँ
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
7 टिप्पणियाँ:
राजनीति में होना और भावना भी होना कुछ अटपटा नहीं है क्या ? और राजनीति में नहीं होना और आहत हो लेना ज्यादा अच्छा नहीं है क्या ? :) :)
सुन्दर प्रस्तुति ।
सुन्दर सार्थक बुलेटिन ! मेरी पोस्ट 'एक कहानी' को आज के बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये धन्यवाद एवं आभार आपका शिवम जी !
मुझे शामिल करने के लिए आभारी हूँ
वाह..
आप मुझसे ज़ियादा पढ़ते हैं
आपकी चुनी रचनाएँ सटीक हैं
बाकी भी पढूँगी..
सादर
बहुत बढिया लतिफा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शिवम् जी।
जुगाड़ पर जुगाड़ ..बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति के साथ बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
शानदार लिंक्स हैं शिवम. बधाई.
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