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गुरुवार, 19 मई 2016

बुद्ध मुस्कुराये शांति-अहिंसा के लिए - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय साथियों,
1998 को पोखरण में बुद्ध मुस्कुराये थे. उससे ठीक चौबीस वर्ष पूर्व, 1974 में पहली बार पोखरण में ही बुद्ध मुस्कुराये थे. राजस्थान के जैसलमेर जिले में थार रेगिस्तान में स्थित पोखरण एक प्राचीन विरासत का शहर है. पोखरण का शाब्दिक अर्थ है पाँच मृगमरीचिकाओं का स्थान. 18 मई 1974 को यहाँ भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया, जिसका कूट था ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा. 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के पहले परमाणु परीक्षण हेतु अनुमति दी. परीक्षण से पूरी दुनिया चौंक उठी थी, क्योंकि सुरक्षा परिषद में बैठी दुनिया की पाँच महाशक्तियों से इतर भारत परमाणु शक्ति बनने वाला पहला देश बन चुका था. इसके चौबीस वर्ष बाद 1998 में केंद्रीय सत्ता में परिवर्तन होने और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के दो महीने के अंदर ही दूसरे परमाणु परीक्षण की तैयारी शुरू हुई. 11 मई और 13 मई को भारत ने पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षण किए. कुल पाँच परीक्षण किये गये. कूट सन्देश भेजा गया ‘बुद्ध मुस्कुराये’ और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान' का नारा दिया. देश अपनी उन्नत स्वदेशी प्रौद्योगिकी का परिचय देते हुए दुनिया के ताकतवर देशों के समूह में शामिल हो गया.



देश ताकतवर बनने लगा किन्तु फिरकापरस्त लोग एकदूसरे को कमजोर करने लगे. दूसरे परीक्षण पश्चात् अधिकांश विश्व ने प्रतिबन्ध लगा दिए. गैर-भाजपाई दलों ने माहौल बनाना शुरू किया कि शांति-अहिंसा के प्रतीक बुद्ध को विध्वंसक कार्य के लिए प्रयुक्त किया गया. आरोप-प्रत्यारोप के बीच पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण कर डाले. इससे तत्कालीन केन्द्र सरकार विरोधियों को विरोध का एक और मौका मिल गया. उनका कहना था कि अब पाकिस्तान देश पर कभी भी परमाणु हमला कर सकता है, देश की सुरक्षा खतरे में आ गई है, प्रतिबंधों से देश में मंहगाई बढ़ेगी आदि-आदि. इसके उलट हुआ कुछ नहीं. देश ने धीरे-धीरे अपने आपको विकसित किया. अपनी तकनीकी, प्रौद्योगिकी के दम पर वैश्विक स्तर पर लोहा मनवाया. तत्कालीन केंद्र सरकार ने घोषित किया कि उसके द्वारा कभी भी किसी राष्ट्र पर पहले आक्रमण नहीं किया जायेगा. उसकी तरफ से परमाणु का उपयोग विकसित सभ्यता निर्माण के लिए किया जायेगा न कि विनाश के लिए. उसने साबित किया कि बुद्ध शांति, अहिंसा के लिए ही मुस्कुराये थे. आज विश्व के अनेक विकसित देश भी रॉकेट प्रक्षेपण के लिए हमारे देश की सेवाएँ ले रहे हैं. 



आज भारत अपने दम पर मिसाइल रक्षा कवच विकसित करने में भी सफल हो गया है. यदि हम विकसित देश बनने की इच्छा रखते हैं तो आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें दूरगामी रणनीति बनानी पड़ेगी साथ ही सकारात्मक सोच और ठोस रणनीति के साथ अपनी प्रौद्योगिकी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा. सभी को वैश्विक क्षमतावान बनने की शुभकामनाओं सहित आज की बुलेटिन आपके समक्ष प्रस्तुत है....

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7 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

एक गौरवपूर्ण दिवस की शानदार यादें ताज़ा करवा दी आपने ... आभार राजा साहब !

vijay kumar sappatti ने कहा…

आपका दिल से शुक्रिया जी
प्रणाम
विजय

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

'गड्डी' को स्थान देने के लिए शुक्रिया.

Sushil Bakliwal ने कहा…

धन्यवाद आपको, मेरी ब्लॉग पोस्ट गधे की चुनौति को भी इस सिलेक्शन में शामिल करने के लिये । आभार सहित...

shikha varshney ने कहा…

खास दिन की बेहतरीन जानकारी.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सार्थक और सुरुचिपूर्ण सामग्री चुन कर प्रस्तुत करने के लिये आभार!

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