आजकल बच्चा लोग के ऊपर पढाई का बोझा एतना
बढ गया है कि छोटा बच्चा का कमर समय से पहले झुक जाता है अऊर बड़ा बच्चा समय से
पहले बूढा हो जाता है. पढाई से टाइम मिल गया त बइठ कर कम्प्यूटर में गेम, नहीं त
अब मोबाइले में सब मिल जाता है. एगो कोना में सोफ़ा पर पसर गये अऊर लगे मोबाइल पर
गेम अऊर का मालूम का का खेलने.
इस्कूल कौलेज में भी ई बच्चा लोग मोबाइल,
ऐप्प, फंक्शन, रैम, मेमोरी, मूवी, गेम के अलावा कोनो बात नहीं करता होगा. वइसे
आजकल का सिच्छक लोग भी ओही रंग में रंगा हुआ है. टीचर के साथ मजाक करने का बात त
लइका सोचियो नहीं सकता है.
एगो कौलेज में तीन गो इस्टुडेण्ट का बहुत
पक्का दोस्ती था. एक रोज तीनों मिलकर प्लान बनाया कि आज टीचर को भगा देते हैं
क्लास से. इतिहास का क्लास था अऊर प्रोफेसर साहब पढा रहे थे सम्राट असोक के बारे
में. अचानक ऊ तीनों में से एगो इस्टुडेण्ट उठकर पूछने लगा, “सुना है अंग्रेज़ हमारे
यहाँ भिखारी बनकर आए थे और हुकूमत करने लगे?”
“तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे डिस्टर्ब
मत किया करो!”
दूसरा लड़का बोला, “सर! ये बिल्कुल नालायक
है, आप शाहजहाँ के बारे में बता रहे हैं और ये अंग्रेज़ों की बात ले बैठा है!”
प्रोफेसर माथा पकड़कर चिल्लाने लगा, “अब ये
शाहजहाँ कहाँ से आ गया!”
तीसरा इस्टुडेण्ट खड़ा होकर बोला, “सर! मैं
इन दोनों को बता रहा था कि सर तुग़लक के पागलपन के बारे में बता रहे हैं और तुम लोग
न जाने क्या क्या बक रहे हो!”
प्रोफेसर बेचारा क्लास छोड़कर भाग गया अऊर
ऊ तीनों लड़का लोग बिजय का मुस्कान लिये हुये क्लास से बाहर निकल गया!
ई तीनों में से एगो लड़का पढाई के अलावा
पहलवानी का भी सौख पालने लगा था, साथे-साथ अपना ताऊ जी का आटा चक्की भी सम्भालता
था. एक रोज कहीं से उसके दिमाग में एगो बात घुस गया कि तुमरे सामने वाला आदमी अगर
तुमसे मजबूत है त खींचकर एगो घूँसा उसके नाक पर मारो, ऊ आदमी चित्त हो जाएगा. ऊ
सोचा कि बिना प्रैक्टिकल किये त ई बात मान नहीं सकते हैं. एक रोज उपवास था ऊ लड़का
का अऊर रोड पर एगो अपना से डबल आदमी भेंटा गया. आव देखा न ताव जमा दिया एक घूँसा
उसका नाक पर. सामने वाला आदमी अकबका गया अऊर उसका एतना धुनाई किया कि सड़क पर लोग
जमा होकर उसका बीच बचाव किया तब बेचारा बचा.
दोस्ती अइसा कि अपने दोस्त को बचाने के
लिये उसका भेस बदले अऊर उनके साथ एगो औरत को भेज दिये ताकि पुलिस पहचान नहीं पाए.
उनके ऊ दोस्त का नाम था सरदार भगत सिंह अऊर ऊ औरत थीं दुर्गा भाभी, भगवती बाबू
वोहरा के पत्नी, घटना था सौंडर्स का हत्या लाला लाजपत राय के मौत के बदला लेने के
लिये.
अब सायद आप पहचानने लगे होंगे थोड़ा बहुत
कि हम किसका बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सुखदेव थापर के बारे में. ऊ महान
क्रांतिकारी जो 23 मार्च 1931 को सूरज डूबने के साथ अपना दोस्त भगत सिंह अऊर
राजगुरू के साथ फाँसी के तख्ता पर मेरा रंग दे बसंती चोला गाते हुये सहीद हो गया.
मगर अइसा लोग कभी मरता नहीं है, भुला दिया
जाता है. आइये मिलकर इयाद करें उस महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर को, जिनका आज 15
मई को 109 वां जन्मदिवस है! हम सब माथा नवाते हैं उस नौजवान के सामने!
- सलिल वर्मा
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अमर शहीद सुखदेव जी की १०९ वीं जयंती
पुरानी सड़क पर, अकेले..
दोहे रचना !
बच्चे
जहां भी देखें पानी की बर्बादी, आवाज उठाएं !
वर्चस्व के संघर्ष
मैंने छुट्टी उसे नहीं दी थी...
अभियानों से बेखबर गाँव और सूखती नदी
२१४. कांटे
धरती का स्वर्ग श्रीनगर कश्मीर की यात्रा
ऐब ....तुझमें नज़र आते हैं
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9 टिप्पणियाँ:
हम भी माथा नवाते हैं अमर शहीद को . आपको भी
अमर वीर सैनानी सुखदेव थापर को नमन!
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
अमर शहीद सुखदेव थापर को उनकी 109वीं जयंती पर नमन । सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति सलिल जी ।
यूं तो हैं दुनियाँ में फनकार बहुत अच्छे
कहते हैं ग़ालिब का अंदाज-ए-बयां कुछ और.
आभासी दुनियाँ में अपनी बात रखने का आपका अंदाज सबसे निराला है.
आपकी सलाह पर बने, चर्चा से गुम हो रहे इस ब्लॉग को चर्चा में लाने के लिए आभार.
अमर शहीद सुखदेव जी को उनकी 109 वीं जयंती पर सादर नमन ।
सुखदेव जी को नमन। सुंदर बुलेटिन के लिये धन्यवाद।
वीर देशभक्त ,अमर शहीद को कोटिशः नमन . इस सुन्दर बुलेटिन की अन्लय गभग सभी पोस्ट पढ़ डालीं .
सबसे पहले हमारे देश के महान क्रांतिकारी शहीद सुखदेव जी को नमन करता हु.........सलिल जी आपकी ये रचना बहुत ही अच्छी है आप इसी तरह से अपने विचारों कोशब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकते है......
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