प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स
डे मनाए जाने की रवायत है ... यूँ तो हम भारतवासियों को माँ के प्रति अपना
लगाव या सम्मान दिखाने के किसी खास दिन की कभी कोई जरूरत ही नहीं रही पर अब
जब एक रवायत सी चल ही पड़ी है तो भला हम ही पीछे क्यों रहे ... है कि नहीं ???
लीजिये आज के दिन आप सब की नज़र है ... माँ को समर्पित निदा फ़जली साहब की एक रचना ...
माँबेसन की सौधी रोटी पर
खट्टी चटनी - जैसी माँ
याद आती है चौका - बासन
चिमटा , फुकनी - जैसी माँ ||
बान की खुर्री खाट के ऊपर
हर आहट पर कान धरे
आधी सोयी आधी जागी
थकी दोपहरी - जैसी माँ ||
चिडियों की चहकार में गूँजे
राधा - मोहन , अली - अली
मुर्गे की आवाज़ से खुलती
घर की कुण्डी - जैसी माँ ||
बीवी , बेटी , बहन , पडोसन
थोडी - थोडी सी सब में
दिन भर एक रस्सी के ऊपर
चलती नटनी - जैसी माँ ||
बाँट के अपना चहेरा , माथा
आँखे जाने कहाँ गई
फटे पुराने एक एल्बम में
चंचल लड़की - जैसी माँ ||
----- निदा फाजली .
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सादर आपका
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मैथिलीशरण गुप्त की नज़र से… मां ने सिखाया पाठ
माँ ! अशेष है वन्दन तेरा
कहते है तुम बगिया में अब भी उसी पेड़ के छाँव बैठी
बच्चा हो जाना चाहता हूँ .....
क्या इतना बुरा हूँ में माँ,तो.........
माँ
मां पर एक बुंदेली ग़ज़ल .... डॉ शरद सिंह
जरूरत से ज्यादा कब
माँ दिवस पर विशेष
है पढ़ना आवश्यक
माँ [कविता] - शकुंतला तरार
मातृ दिवस पर विशेष --- माँ का आभार
मातृत्व दिवस पर विशेष - मेरे अहसास - अन्यूता-अंकिता
मदर्स डे....यशोदा
माँ के लिये !
मेरी माँ
कर्मठ महिलाएं
हैप्पी मदर्स डे ... माँ
636 - माँ पर कवितायें
माँ का मतलब ही होता है
मदर्स डे ?
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अब आज्ञा दीजिये ...
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12 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । सारी माँओं को नमन ।
नज़्म अच्छी पढ़वाई आपने...
आभार....
चयनित सभी लिंक्स बेहतरीन
कुछ तो पढ़ लिए
बाकी को लिए जा रही हूँ
सादर
मदर्स डे की सभी पाठकों, मित्रों, बंधु बांधवों को हार्दिक बधाई ! आज के मदर्स डे स्पेशल में मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका आभार शिवम जी !
बड़ी अच्छी नज़्म है.आभार . अब लिंक्स की ओर....
बेहतरीन प्रस्तुति ,माँ की ममता को नमन
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
"वो एक जहाँ है
हाँ उसका नाम माँ है।
🙏
Bhatreeeen nazm k saaath sbhi links avm prastuti anupam....
Aabhaaar
मदर्स दे पर हार्दिक शुभ कामनाएं |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
स्तुत्य बुलेटिन.
अनेकानेक विदेशी आयोजनों में एक ये हैं जिसे मनाकर कोई भी गौरवान्वित हो सकता है. वैसे आपका कहना सही है कि भारतीय संस्कृति में माँ को आदर-सम्मान देने का कोई एक दिन निर्धारित नहीं है. माँ के आदर-सम्मान हेतु शब्दों का अकाल पड़ जाता है. ह्रदय की भावनाएं स्वतः उभरती हैं.
सुन्दर-सार्थक बुलेटिन के लिए आभार
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ..
मदर्स डे की हार्दिक शुभ कामनाएं!
वाह सुंदर प्रस्तुति शिवम् जी ..... आभार मेरी रचना को शामिल करने हेतु ... शुभम
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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