समय कहता रहा,
हम सुनते रहे
कब शब्द उगे हमारे मन में
जाना नहीं
सुबह जब अपने नाम के पीछे
पड़े हुए निशानों को देखा
तो जाना-
एक पगडण्डी हमने भी बना ली ! ……
हम सुनते रहे
कब शब्द उगे हमारे मन में
जाना नहीं
सुबह जब अपने नाम के पीछे
पड़े हुए निशानों को देखा
तो जाना-
एक पगडण्डी हमने भी बना ली ! ……
7 टिप्पणियाँ:
एक खूबसूरत रचना , शुभकामनायें !
बेहद उम्दा !
बहुत सुंदर संभावना जगाती रचना।
बहुत सुंदर संभावना जगाती रचना।
बहुत खूब :)
बेहद उम्दा रचना।
Waaaah bht khooob
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