जीने के कई आयाम होते हैं
कोई मर जाता है जीते हुए
कोई दूसरों के लिए संजीवनी बन जाता है ...
सुशील कुमार जोशी
निराशा सोख ले जाते हैं कुछ लोग जाते जाते
आयेंगे
उजले दिन
जरुर आएँगे
उदासी दूर
कर खुशी
खींच लायेंगे
कहीं से भी
अभी नहीं
भी सही
कभी भी
अंधेरे समय के
उजली उम्मीदों
के कवि की
उम्मीदें
उसकी अपनी नहीं
निराशाओं से
घिरे हुओं के
लिये आशाओं की
उसकी अपनी
बैचेनी की नहीं
हर बैचेन की
बैचेनी की
निर्वात पैदा
ही नहीं होने
देती हैं
कुछ हवायें
फिजा से
कुछ इस तरह
से चल देती हैं
हौले से जगाते
हुऐ आत्मविश्वास
भरोसा टूटता
नहीं है जरा भी
झूठ के अच्छे
समय के झाँसों
में आकर भी
कलम एक की
बंट जाती है
एक हाथ से
कई सारी
अनगिनत होकर
कई कई हाथों में
साथी होते नहीं
साथी दिखते नहीं
पर समझ में
आती है थोड़ी बहुत
किसी के साथ
चलने की बात
साथी को
पुकारते हुऐ
मशालें बुझते
बुझते जलना
शुरु हो जाती हैं
जिंदगी हार जाती है
जैसा महसूस होने
से पहले लिखने
लगते हैं लोग
थोड़ा थोड़ा उम्मीदें
कागजों के कोने
से कुछ इधर
कुछ उधर
बहुत नजदीक
पर ना सही
दूर कहीं भी ।
9 टिप्पणियाँ:
सुशील कुमार जोशी जी पढ़ते रहते हैं ..
जोशी जी सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
प्रतिभाओं की कमी नहीं, पर सामने लाने वाला भी चाहिए
उम्मीद जगाती रचना हेतु आभार !
अच्छी रचना...
आभार आप का
उम्मीद पर दुनिया कायम है इसलिए उम्मीद छोड़नी नहीं चाहिए ...अपना कर्म करते रहना ही उचित है आदरणीय
ब्लॉग जगत जोशी जी की सक्रियता के चर्चे हैं |
आभार रश्मि जी ब्लाग बुलेटिन में प्रतिभाओं की कमी नहीं - एक अवलोकन 2015 में स्थान देने के लिये । आभार शिवम जी । कुछ दिन इधर दूर रहना पड़ा ब्लाग जगत से ।ब्लाग बुलेटिन की कड़ियाँ भी आज पलट कर देख रहा हूँ । पुन: आभार ।
आशाएं पूरी हों , मंगलकामनाएं आपको !
उम्दा रचना
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