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गुरुवार, 4 जुलाई 2013

क्रांतिकारी विचारक और संगठनकर्ता थे भगवती भाई - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज ४ जुलाई है ... आज अमर शहीद भाई भगवती चरण वोहरा जी की ११० वीं जयंती है !

भगवती चरण वोहरा का जन्म 4 जुलाई 1903 में आगरा में हुआ था। उनके पिता शिव चरण वोहरा रेलवे के एक उच्च अधिकारी थे। बाद में वे आगरा से लाहौर चले आये। उनका परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न था। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में हुई। उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया। पत्नी का नाम दुर्गा था। बाद के दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। उन को क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया " दुर्गा भाभी " सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।
लाहौर नेशनल कालेज में शिक्षा के दौरान भगवती चरण ने रुसी क्रान्तिकारियो से प्रेरणा लेकर छात्रो की एक अध्ययन मण्डली का गठन किया था। राष्ट्र की परतंत्रता और उससे मुक्ति के प्रश्न पर केन्द्रित इस अध्ययन मण्डली में नियमित रूप से शामिल होने वालो में भगत सिंह , सुखदेव आदि प्रमुख थे। बाद में चलकर इन्ही लोगो ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की। पढाई के दौरान 1921 में ही भगवती चरण गांधी जी के आह्वान पर पढाई छोडकर असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे।
बाद में आन्दोलन वापस होने पर इन्होने कालेज की पढाई पूरी की। बीए कि परीक्षा पास की साथ ही नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाया। इस सभा के जनरल सेक्रेटी भगत सिंह और प्रोपेगंडा ( प्रचार ) सेक्रेटी भगवती चरण थे। अप्रैल 1928 में नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र प्रकाशित हुआ। भगत सिंह व अन्य साथियो से सलाह - मशविरे से मसविदे को तैयार करने का काम भगवती चरण वोहरा का था। नौजवान भारत सभा के उत्कर्ष में भगवती चरण और भगत सिंह का ही प्रमुख हाथ था। भगत सिंह के अलावा वे ही संगठन के प्रमुख सिद्धांतकार थे। क्रांतिकारी विचारक , संगठनकर्ता , वक्ता ,प्रचारकर्ता , आदर्श के प्रति निष्ठा व प्रतिबधता तथा उसके लिए अपराजेय हिम्मत - हौसला आदि सारे गुण भगवती चरण में विद्यमान थे। किसी काम को पूरे मनोयोग के साथ पूरा करने में भगवती चरण बेजोड़ थे। 1924 में सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल द्वारा "हिन्दुस्तान- प्रजातांत्रिक संघ के घोषणा पत्र - दि रिवोल्यूशनरी" को १ जनवरी 1925 को व्यापक से वितरित करने की प्रमुख जिम्मेदारी भगवती चरण पर ही थी। जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया। बाद के दौर में संगठन के साथियो में भगवती चरण के बारे में यह संदेह फैलाया गया की वे सी0 आई ० डी0 के आदमी है और उससे तनख्वाह पाते है। इन आरोपों को लगाने के पीछे उस समय संगठन में आये वे लोग थे जिन्हें किसी काम का जोखिम नही उठाना था। इसलिए भी वे लोग बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी भगवती चरण पर आरोप लगाकर न केवल खुद नेतृत्त्व में आना चाहते थे। बल्कि क्रांतिकारी कार्यवाहियों पर रोक भी लगाना चाहते थे। ऐसे लोगो का यह उद्देश्य भी था कि संगठन के काम को आपसी बहस , मुबाहिसा , प्रचार और पैसा जमा करने के काम तक सीमित कर दिया जाए। भगवती चरण पर सी ० आई ० ड़ी0 का आरोप लगाने वालो में प्रमुख सज्जन जयचन्द्र विद्यालंकार थे। वे उन दिनों नेशनल कालेज के अध्यापक भी थे। नौजवान क्रांतिकारी टोली पर उनके पद , ज्ञान व विद्वता की धाक भी थी। भगवती चरण ऐसे आरोपों से बेपरवाह रहते हुए क्रांतिकारी कार्यो को आगे बढाने में लगे रहते थे। उनका कहना था कि " जो उचित है उसे करते जाना उनका काम है। सफाई देना और नाम कमाना उनका काम नही है। "
भगवती चरण लखनऊ के काकोरी केस , लाहौर षड्यंत्र केस , और फिर लाला लाजपत राय को मारने वाले अंग्रेज सार्जेंट - सांडर्स की हत्या में भी आरोपित थे। पर न तो कभी पकड़े गये और न ही क्रांतिकारी कार्यो को करने से अपना पैर पीछे खीचा। इस बात का सबूत यह है कि इतने आरोपों से घिरे होने के बाद भी भगवती चरण ने स्पेशल ट्रेन में बैठे वायसराय को चलती ट्रेन में ही उड़ा देने का भरपूर प्रयास किया। इस काम में यशपाल , इन्द्रपाल , भागाराम उनके सहयोगी थे। महीने भर की तैयारी के बाद नियत तिथि पर गुजरती स्पेशल ट्रेन के नीचे बम - बिस्फोट करने में लोग कामयाब भी हो गये। परन्तु वायसराय बच गया। ट्रेन में खाना बनाने और खाना खाने वाला डिब्बा क्षतिग्रस्त हो गया और उसमे एक आदमी कि मौत हो गयी।
28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद परीक्षण करते समय वोहरा जी शहीद हो गए।

सादर आपका 
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कभी तो लॉटरी बन कर हमारे नाम आ जाओ।

चंपई गुलाबी पंखुड़ी पर ...

गोबर Gobar

मेरी आँखे..

लुकाछिपी

बात पते की ............

क्रोध शमन उपचार

शकुन्तला शर्मा बैंकाक में सम्मानित

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रणथम्भोर नेशनल पार्क की सैर तस्वीरों की जुबानी

धरती पिराती है

सुखी और लम्बी उम्र चाहिए? लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव लड़िये !

बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग :))

मेरी बाट जोहता कौन…पता नहीं!

पसीना बहाना भी एक हुनर है

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अब आज्ञा दीजिये ...

इंकलाब ज़िंदाबाद !!! 

13 टिप्पणियाँ:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

धन्‍यवाद।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पठनीय सूत्रों को बुलेटिन।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आभार शिवम् जी इस स्नेह हेतु !

सुज्ञ ने कहा…

सदैव की तरह सार्थक सूत्रों तक पहुँच बनाता बुलेटीन!!

अमर शहीद भाई भगवती चरण वोहरा जी जन्म-जयंति पर श्रद्धा युक्त नमन!!

"क्रोध शमन उपचार" को सम्मलित करने के लिए आभार!!

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत आभार शिवम भाई ....बहुत सार्थक प्रयास रहता है आपका ....शहीद वोहरा जी की स्मृतियों को मेरा भी नमन ....
हृदय से आभार आपने मेरी रचना को इस सार्थक बुलेटिन का हिस्सा बनाया ...!!
शुभकामनायें ....

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर लिंक्स, आभार.

रामराम.

कुमार राधारमण ने कहा…

शिवम भाई आभार।

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर लिंक्स
शिवम भाई आभार आपने मेरी रचना को इस सार्थक बुलेटिन का हिस्सा बनाया !!

@ संजय भास्कर

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

Sadhana Vaid ने कहा…

Thank you very much Shivam ji for including my post in this Buletin. Buletin is great as always.

Durga prasad mathur ने कहा…

शिवम जी अच्छे लिंक्स के लिए धन्यवाद !

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही अच्छे लिंक्स..
आभार शिवम जी...

Girish Kumar Billore ने कहा…

vinat abhar
achchhe link

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