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रविवार, 21 जुलाई 2013

अमर क्रांतिकारी स्व॰ श्री बटुकेश्वर दत्त जी की 48 वीं पुण्य तिथि पर विशेष - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !


बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर, 1910 को बंगाली कायस्थ परिवार में ग्राम-औरी, जिला-नानी बेदवान (बंगाल) में हुआ था। इनका बचपन अपने जन्म स्थान के अतिरिक्त बंगाल प्रांत के वर्धमान जिला अंतर्गत खण्डा और मौसु में बीता। इनकी स्नातक स्तरीय शिक्षा पी.पी.एन. कॉलेज कानपुर में सम्पन्न हुई। 1924 में कानपुर में इनकी भगत सिंह से भेंट हुई। इसके बाद इन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया। इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा।

8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा (वर्तमान का संसद भवन) में भगत सिंह के साथ बम विस्फोट कर ब्रिटिश राज्य की तानाशाही का विरोध किया। बम विस्फोट बिना किसी को नुकसान पहुंचाए सिर्फ पचांर्े के माध्यम से अपनी बात को प्रचारित करने के लिए किया गया था। उस दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार की ओर से पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल लाया गया था, जो इन लोगों के विरोध के कारण एक वोट से पारित नहीं हो पाया।

इस घटना के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 12 जून, 1929 को इन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के बाद इन लोगों को लाहौर फोर्ट जेल में डाल दिया गया। यहां पर भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षड़यंत्र केस चलाया गया। उल्लेखनीय है कि साइमन कमीशन के विरोध-प्रदर्शन करते हुए लाहौर में लाला लाजपत राय को अंग्रेजों के इशारे पर अंग्रेजी राज के सिपाहियों द्वारा इतना पीटा गया कि उनकी मृत्यु हो गई। इस मृत्यु का बदला अंग्रेजी राज के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मारकर चुकाने का निर्णय क्रांतिकारियों द्वारा लिया गया था। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप लाहौर षड़यंत्र केस चला, जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी। बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास काटने के लिए काला पानी जेल भेज दिया गया। जेल में ही उन्होंने 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। सेल्यूलर जेल से 1937 में बांकीपुर केन्द्रीय कारागार, पटना में लाए गए और 1938 में रिहा कर दिए गए। काला पानी से गंभीर बीमारी लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्षों के बाद 1945 में रिहा किए गए।

आजादी के बाद नवम्बर, 1947 में अंजली दत्त से शादी करने के बाद वे पटना में रहने लगे। बटुकेश्वर दत्त को अपना सदस्य बनाने का गौरव बिहार विधान परिषद ने 1963 में प्राप्त किया। श्री दत्त की मृत्यु 20 जुलाई, 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई। मृत्यु के बाद इनका दाह संस्कार इनके अन्य क्रांतिकारी साथियों-भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। इनकी एक पुत्री भारती बागची पटना में रहती हैं। बटुकेश्वर दत्त के विधान परिषद में सहयोगी रहे इन्द्र कुमार कहते हैं कि 'स्व. दत्त राजनैतिक महत्वाकांक्षा से दूर शांतचित एवं देश की खुशहाली के लिए हमेशा चिन्तित रहने वाले क्रांतिकारी थे।' मातृभूमि के लिए इस तरह का जज्बा रखने वाले नौजवानों का इतिहास भारतवर्ष के अलावा किसी अन्य देश के इतिहास में उपलब्ध नहीं है।
 
 
सादर आपका 
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माँ तो हूँ ही - अब सासु माँ भी

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
माँ तो हूँ ही - अब सासु माँ भी . इन्हीं सुखद क्षणों के सुख के लिए मैं आप सबसे दूर थी . आइये इन क्षणों को देखकर अपना आशीर्वाद दीजिये . ये है मेरी बेटी सौ.खुशबू और मेरा दामाद चिरंजीवी सौरभ प्रसून ……

59. दो दीयों के तले का अन्धेरा

जयदीप शेखर at कभी-कभार
* *"दीया तले अन्धेरा"- यह कहावत तो सबने सुनी है। मैं आज उदाहरण देने जा रहा हूँ एक ऐसे क्षेत्र का, जिसके दो तरफ दो बड़े-बड़े दीये जलते हैं, फलस्वरुप उस क्षेत्र का अन्धेरा और भी गहरा, और भी विस्तृत हो जाता है। वह क्षेत्र है- देश के सबसे बदनसीन राज्य झारखण्ड का सबसे बदनसीब जिला- साहेबगंज! जब बिहार था, तब साहेबगंज वालों को झारखण्डी माना जाता था और अब झारखण्ड के जमाने इस जिले वालों को बिहारी माना जाता है। बेशक, इसके पड़ोसी जिलों- पाकुड़ और गोड्डा भी बराबर के बदनसीब हैं। चित्र देखिये- इस जिले के दो तरफ दो NTPC हैं- एक फरक्का में, जो पश्चिम बंगाल राज्य में आता है, ... more »

पिता

durga prasad Mathur at Chitransh soul
- सघन वृक्ष सा विशाल अडिग, तपन में शीतलता देता ! तुफानों से हर पल लड़ता , फिर भी सदा सहज वो दिखता ! अपनी इन्हीं बातो के कारण , वो एक पिता कहलाता ! - कठोर सा यह दिखने वाला , दिल से कोमलता दिखलाता ! बेटी के दर्द से विचलित , डान्ट वरी माई डॉटर कहता ! पर उसकी विदाई पर वो , खुद को असहाय है पाता ! लाख चाहकर भी वो अपने, अनवरत आँसू रोक ना पाता ! अपनी इन्हीं बातो के कारण , वो एक पिता कहलाता ! - बात बात पर डाँट लगाता , ... more »

हिन्दी के मीडिया महारथी

pramod joshi at जिज्ञासा
शनिवार की रात कनॉट प्लेस के होटल पार्क में समाचार फॉर मीडिया के मीडिया महारथी समारोह में जाने का मौका मिला। एक्सचेंज फॉर मीडिया मूलतः कारोबारी संस्था है और वह मीडिया के बिजनेस पक्ष से जुड़े मसलों पर सामग्री प्रकाशित करती है। हिन्दी के पत्रकारों के बारे में उन्हें सोचने की जरूरत इसलिए हुई होगी, क्योंकि हिन्दी अखबारों का अभी कारोबारी विस्तार हो रहा है। बात को रखने के लिए आदर्शों के रेशमी रूमाल की जरूरत भी होती है, इसलिए इस संस्था के प्रमुख ने वह सब कहा, जो ऐसे मौके पर कहा जाता है। हिन्दी पत्रकारिता को 'समृद्ध' करने में जिन समकालीन पत्रकारों की भूमिका है, इसे लेकर एक राय बनाना आसान नह... more »

उदासी

आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ता
अवि-वर्षा की शादी को इस साल १० जुलै को २५ वर्ष पूरे हुए । अवि (अवनींद्र) मेरा भांजा है । मैं उनके फेस बुक पर उनके लिये बधाई मेसेज छोडना चाहती थी । वहां अवि के अकेलेपन को लेकर लिखे हुए कुछ शब्द देख कर मन तो कैसा कैसा हो गया । अवि अपना बिझिनेस चलाता है और वर्षा दूसरे शहर में गायनेकोलॉजिस्ट है । घर-संसार चलाना है, दोनो अपनी अपनी जगह रह कर चला रहे हैं । अवि की मनस्थिति कुछ इन शब्दों में बयां हो सकती है । अकेलापन मेरा मुझसे, सवाल अक्सर ये करता है, कि अब घर जाना होगा कब, उदासी घेर लेती है । मै अपनी तनहाई में अक्सर खोया रहता हूँ तुम्हें जब याद करता हूं, उदासी घेर लेती है . इस मेरी मजबू... more »

संता -बंता का व्यक्तित्व प्रशिक्षण ...

वाणी गीत at ज्ञानवाणी
भयंकर प्रतिस्पर्धी इस युग में अधिकांश मानव चाहे अनचाहे तनाव , कुंठा ,मनोविकार , अवसाद से गुजरते ही हैं . संतुष्ट ख़ुशी जीवन बिताने वाले भी कभी न कभी ऐसे कठिन पलों का सामना करते हैं . इसलिए आजकल तमाम प्रकार के शिक्षण शिविर जैसे जीवन जीने की कला , योग , तनावमुक्त कैसे रहें , चलने वाले केन्द्रों और गुरुओं की चल निकली है . कौन नहीं चाहता लब्‍धप्रतिष्‍ठ, स्वस्थ , सर्वोच्च बने रहना . संता -बंता इससे अछूते कैसे रहते . सोचने लगे कि आजकल धंधा भी मंदा चल रहा है तो क्यूँ ना ऐसा ही कोई शिक्षण शिविर लगा लिया करें , बड़े लोग आयेंगे , संपर्क होंगे , नाम -दाम सब मिलेगा . मगर एक मुश्किल थी कि उ... more »

ताज महल/तेजो महालय

AGRA-MATHURA-VRINDAVAN-01 SANDEEP PANWAR भारत को दुनिया में लोग सिर्फ़ दो ही कारणों से जानते है पहला कारण ताजमहल उर्फ़ तेजो महालय (शिवालय) दूसरा कारण बाँस की तेजी से दिन रात बढ़ती हुई भारत की आबादी है जो आगामी कुछ वर्षों में दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा होने जा रही है। इन्दौर के पास रहने वाले अपने भ्रमणकारी दोस्त मुकेश भालसे सपरिवार आगरा-मथुरा की यात्रा पर आ रहे थे। आगरा में ही रहने वाले एक अन्य भ्रमणकारी दोस्त रितेश गुप्ता भी कई बार कह चुके थे कि संदीप भाई कभी आगरा आओ ना! तो अपुन का सपरिवार आगरा मथुरा घूमने का कार्यक्रम बन ही गया।  more »

इंजीनियर साहेब 'भुट्टावाले' (पटना १७)

Abhishek Ojha at ओझा-उवाच
बीरेंदर एक दिन अपने बागान के अमरूद लेकर आया था। मैंने खाते हुए कहा - 'बीरेंदर, अमरूद तो मुझे बहुत पसंद है। इतना कि मैं रेजिस्ट नहीं कर पाता। पर ऐसे नहीं थोड़े कच्चे वाले'। बीरेंदर को ये बात याद रही और अगले दिन हमारे ऑफिस में उसने वैसे अमरूद भिजवाया भी। फिर एक दिन शाम को बोला 'चलिये भईया, आज आपको बर्हीया वाला अमडूद खिला के लाते हैं। टाइम है १०-१५ मिनट?' मैं कब मना करता! वैसे भी मूड थोड़ा डाउन था। एक स्कीम पर काम करते हुए मैंने उसी दिन लिखा था - "आज मैंने एक रिक्शे वाले से बात की। उसने बताया कि उनका बिजनेस पहले की तरह नहीं रहा। शाम तक उसने सात ट्रिप कर लगभग सौ रुपये कमाए थे। उसमें... more »

यूँ ही, ऐसे ही !!!

देवांशु निगम at अगड़म बगड़म स्वाहा....
“हाँ, तो क्या नाम बताया तुमने अपना” “सर, समीर” “लेखक हो ?” “नहीं सर, बैंकर” “तो कहानी लिखने की क्यूँ सूझी तुम्हें ?” “बस सर लगा कि ये कहानी दुनिया को पता चलनी चाहिए" “भाई , पहले तो इस कुर्सी पर बैठने वाला हर दूसरा-तीसरा आदमी बोलता है कि वो लेखक नहीं है, दूसरे सबकी कहानी वही घिसी-पिटी एक ही ढर्रे पर चलती होती है, कुछ तड़क-भड़क होनी चाहिए , है तुम्हारी कहानी में ?” “सर तड़क-भड़क, मतलब ?” “कुछ वैसे सीन हैं” “नहीं सर, प्रेम कहानी है” “तो प्रेम कहानी में वैसे सीन नहीं होते ?” “ऐसा कुछ हुआ ही नहीं" “ओह्ह, खैर कोई नहीं, लड़का भी वैसी फ़िल्में नहीं देखता क्या ? उसी का कोई सीन लिख डालो” ... more »

होटल की एक रात

*चंडीगढ़...द सिटी ब्यूटीफल* *अपने प्रिय मित्र की सगाई के मौके पर मैं चंडीगढ़ आया हूँ.पहली बार में ही ये शहर भा गया मुझे.चंडीगढ़ में बस ने जैसे ही प्रवेश किया एक साईन बोर्ड ने मेरा स्वागत किया.."वेलकम तो द सिटी ब्यूटीफल.बस स्टैंड तक आते हुए बस ने शहर का अच्छा खासा चक्कर लगाया जिससे मुझे शहर को थोड़ा देखने का मौका मिला.मैं बहुत खुश था, जाने कब से तमन्ना थी ये शहर देखने की.बस स्टैंड पर दोस्त मुझसे मिलने आया, और फिर जहाँ उसने मुझे ठहराने का प्रबंध किया था हम उस होटल की तरफ बढे.* *शाम छः बजे.. *मुझे मेरे दोस्त ने एक होटल में ठहराया है.जिस कमरे में मैं ठहरा हूँ वो एक छोटा सा लेकिन खूबसू... more »

एक दिन

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at काव्यान्जलि
एक दिन बन गई उल्फत की इक उम्दा कहानी एक दिन जब समंदर से मिला दरिया का पानी एक दिन रात भर उड़ता रहा कैसे सुहाने लोक में आह! क्या महकी थी खिलकर रातरानी एक दिन आँख तो कहती रही इकरार है ,हाँ प्यार है कान भी सुनते मगर ये सचबयानी एक दिन देर तक कमरे में परचित गंध का अहसास था मिलगई बक्से में जब उनकी निशानी एक दिन आ गया हूँ आज मै उनकी गली में नागहाँ हो गई ताजा सभी यादें पुरानी एक दिन अशोक "अंजुम"
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अब आगे दीजिये ...

इंकलाब ज़िंदाबाद ...

वंदे मातरम ||

12 टिप्पणियाँ:

Aditi Poonam ने कहा…

वन्दे मातरम् ......मेरा श्रध्हा-नमन अमर शहीद को...
सुंदर लिनक्स...साभार....

HARSHVARDHAN ने कहा…

अमर क्रांतिकारी स्व॰ श्री बटुकेश्वर दत्त जी की 48 वीं पुण्य तिथि पर उन्हें शत - शत नमन।।

नये लेख : आखिर किसने कराया कुतुबमीनार का निर्माण?

Asha Joglekar ने कहा…

बटुकेश्वर दत्त जी को और उनके साथी क्रांतिकारियों को शत शत नमन ।

सभी लिंक्स अच्छे लगे कुछ देखे कुछ देखती हूँ । मेरी रचना सम्मिलित
करने का आभार ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सेनानी को नमन, सुन्दर संकलित सूत्र..

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सेनानी को सादर नमन, बेहतरीन लिंक्स, आभार.

रामराम.

कविता रावत ने कहा…

बटुकेश्वर दत्त जी को उनके क्रांतिकारियों साथियों सहित शत शत नमन!।
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ....आभार

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बटुकेश्वर दादा को विनम्र श्रद्धांजलि | बहुत बढ़िया बुलेटिन | जय हो

देवांशु निगम ने कहा…

बढ़िया है जी !!!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नमन वीर बटुकेश्वर दत्त जी को ... सुन्दर लिंक्स ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

.......बेहतरीन लिंक्स

Durga prasad mathur ने कहा…

स्व॰ श्री बटुकेश्वर दत्त जी एवं साथी क्रांतिकारीयों को सादर नमन।।

आदरणीय सदा की तरह बुलेटिन की सभी लिंक्स सराहनीय हैं और मेरे ब्लॉग की लिंक को स्थान देने के लिये आपका आभार

anil verma ने कहा…

आदरणीय सुधि पाठक जनों इस सारगर्भित लेख के लिए ब्लॉग के लेखक को धन्यवाद्, यदि आप भारतीय क्रांतिकारियों और स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में रूचि रखते है , तो इन विषयों पर शोधपरक जानकारी हेतु मेरा ब्लॉग '' hindustan shahido ka'' अवश्य पढिये,   इसमें दुर्लभ चित्रों का भी समावेश है.
-अनिल वर्मा ,e-mail- anilverma55555@gmail.com

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