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सोमवार, 20 मई 2013

भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

यूपीए सरकार का कहना है कि "भारत के इस निर्माण मे हक़ है मेरा ..." अब आपको आपका हक़ कितना और किस अनुपात मे मिला यह तो आप ही बताएं ... हम तो इतना जानते है कि हम को जो मिला वो नीचे दिया गया कार्टून बखूबी दिखा रहा है !!


आप क्या कहते है ... बताना न भूलें ??


सादर आपका 
शिवम मिश्रा  

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क्या है ताऊ का अस्तित्व और हकीकत?

ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन
श्री ज्ञानदत्त जी पांडे जो कि ब्लागजगत के सम्माननिय और प्रथम पीढी के ब्लागरों में से एक हैं, और जो अपनी नियमित और सारगर्भित पोस्ट्स के लिये जाने जाते हैं, ने शायद सबसे पहले 3 dec. 2008 को अपनी पोस्ट यह ताऊ कौन है के द्वारा जिज्ञासा प्रकट की. इसके पश्चात सभी ब्लागर्स में ताऊ शब्द एक पहेली बना रहा. मेरे ही शहर के सम्माननीय ब्लागर श्री दिलीप कवठेकर तो एक कदम और आगे जाते हुये हमारे शहर की उस पान की दूकान तक भी पहुंच गये जहां "कृपया यहां ज्ञान ना बांटे, यहां सभी ज्ञानी हैं" की तख्ती लगी है. वहां पूछताछ करने पर पान वाले ने ताऊ के विषय में अनभिज्ञता ही जताई. यदि कोई ताऊ होता तो व... more »

यूँ ही कभी-कभी सोचती हूँ

(1) जहां कदमो के निशाँ बनते थे वो माटी न रही इस शहर में दोस्तों ,कहाँ से गुजरेंगे कोई कैसे ढूँढेगा ?? (2) वो दरक का दर्द क्या जाने जिसने जिन्दगी में कभी आईना नहीं देखा। हर शहर आसमाँ छूने की होड़ में है जमीं खफ़ा हो गई तो क्या होगा ?? (३) जानती हूँ हम नदी के दो किनारे हैं फिर भी आग उस पार जलती हैतो धुआं इस पार उठता हैन जाने क्यों?? (४ ) वक़्त भागता है तो पकड़ने के लिए पीछे भागती हूँ वक़्त मिलता है तो खुद से भागती हूँ उफ्फ कैसी विडंबना है बड़े मनमानी करने लगे हैं आजकल ये मेरे अस्तबल के घोड़े !!! (५ ) लगता है मकान मालिक बदल गया आजकल उन रोशनदानो में कबूतर दिखाई नहीं देते ************... more »

हम न भूल पायेंगे

शारदा अरोरा at गीत-ग़ज़ल
आज के दौर में एक मित्रता और सदभावना भरा दिल ही ढूँढना मुश्किल है ...और जब कभी ऐसा कोई मिल जाता है तो मन कुछ इस तरह गुनगुना उठता है ... *हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ * *दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात * * **वक्त के सितम भूल गये सारे , आँखें मींचीं तो पाया * *के बिछी है , क़दमों तले नर्म रेशम सी करामात * * **अजब सी बात है , कभी तो ढूँढे से नहीं मिलती ख़ुशी * *सहरा में चलते हुए , कभी हो जाती है सोंधी सी बरसात * * **एक वो लोग उतरे हैं नज्मों में , जो धूप में सुखाते हैं * *दूसरे वो जो , घनी छाँव से दिल को भाते हैं हज़रात * * **नज़राने की तरह , रख लो कोई निशा... more »

सही मायनों में जी भरके

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
कहते हैं सब रहिमन की पंक्तियाँ - "रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय। सुनि इठिलैहें लोग सब, बाटि न लैहैं कोय।।" तो व्यथा की चीख मन में रख हो जाओ बीमार डॉक्टर के खर्चे उठाओ नींद की दवा लेकर सुस्त हो जाओ !!!!!!!!!!!!!!! रहीम का मन इठलानेवाला नहीं था न व्यथित रहा होगा मन तो एहसासों को लिखा होगा .... जो सच में व्यथित है - वह कैसे इठलायेगा तो ........ कहीं तो होगा ऐसा कोई रहीम जिससे मैं जी भर बातें कर सकूँ सूखी आँखें उसकी भी उफन पड़े मैं भी रो लूँ जी भर के .............. सही मायनों में जी भरके

काश!!

काश!! मेरे में होती, नीले नभ जैसी विशालता ताकि तू कह पाती मैं हूँ तुम्हारा अपना एक टुकड़ा आसमान ! काश, मेरे में होती समुद्र जैसी गहराई ताकि तू डूब पाती मेरे अहसासों के भंवर में काश, मेरे में होती हिमालय सी गंभीरता ताकि तुम्हे लगता मैं हूँ तुम्हारे लिए कवच सा रक्षा करने वाला, रखवाला! काश मेरा ह्रदय होता फूलो के पंखुरियों सा कोमल ताकि तू अपने धड़कते मन में रख पाती, सहेज कर, बाँध कर! काश, ऐसा कुछ हो पता ताकि तुम मुझमे और मैं तुम में खो जाता जो होती प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ और सिर्फ प्रेम! प्रेम !!

स्पॉट फ़िक्सिंग : चंद हाईप्रोफ़ाइल ब्लॉगर और लेखक भी शामिल!

[image: image] स्पॉट फ़िक्सिंग क्या क्रिकेटरों और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ की ही बपौती है? कतई नहीं. पता चला है कि चंद हाईप्रोफ़ाइल ब्लॉगर और लेखक भी अब स्पॉट फ़िक्सिंग में शामिल हो गए हैं. सीबीआई जो वाकई में तोता नहीं हो, उससे जाँच करवाई जाए तो और राज निकल सकते हैं. बहरहाल हाल ही में एक फ़ोन टेपिंग में यह खुलासा हुआ है. टेलिफ़ोन टेपिंग की आधी-अधूरी ट्रांसस्क्रिप्ट जो हासिल होते होते रह गई है, वो कुछ इस तरह है - - भाई, अब तो पंगा हो गया हे ना. क्रिकेट में तो मामला जमेगा नहीं. उधर बड़ा रिक्स हो रियेला है. कोई बुकी बचा इ नई. इब तो कोई और एरिया पकड़ना पड़ेगा. कोई नया एरिया ढूंढना पड... more »

"जबकि मैं मौन हूँ"

जबकि मैं मौन हूँ, मौन रह कर क्या बता पाउँगा इस दुनियाँ को मेरे दिल में भी कुछ जज्बात मचलते हैं दिलों से बर्फ पिघलते हैं मैं भी आशा रखता हूँ की प्यार की कलियाँ महके सदभावना की नदियाँ बहे मेघ के रह ताल पर प्यार की बरसात हो मैंने तो चाँद को भी देखा है हमेशा चकोर की नजर से चकाचौंध से भरी इस दुनियाँ में मेरी भी चाहत है किसी दिल रूपी प्रेम वीणा का अछूता तार बनूँ कोई मेरे हृदय के मौन भाषा को समझे मैं तो भटकता हूँ रौशनी के लिए पर गगन में कहीं कोई तारा ही नही लगता है यह इस सदी का कोई खतरनाक हादसा है जो आज तक समझ ही न पाया.

स्व॰ विपिन चंद्र पाल जी की ८१ वीं पुण्यतिथि

शिवम् मिश्रा at बुरा भला
*विपिन चंद्र पाल (०७/११/१८५८ - २०/०५/१९३२)** * *स्व॰ श्री विपिनचंद्र पाल जी को उनकी ८१ वीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !*

पथरीली राहों पर

गिरिजा कुलश्रेष्ठ at Yeh Mera Jahaan
19 मई 2013 ---------------- काकाजी (पिताजी) को गए तीन साल होगए । इन तीन सालों में मुझे अनुभव हुआ है कि वे जाने के बाद भी गए नही है ,वे पहले से कहीं ज्यादा प्रभाव के साथ मौजूद हैं मेरी यादों में । उनके सामने मैंने उनकी ऐसी निकटता को कभी अनुभव नही किया था । काश कर पाती । या कि काश उनके जाने के बाद उनकी यादों को पूर्णता के साथ व्यक्त कर पाती । अनुभूतियों को सही अभिव्यक्ति न दे पाना मेरी सबसे बडी असफलता है ।शायद कभी कर पाऊँ । अभी तो बस यूँ ही उन्हें याद करते हुए कुछ लिख रही हूँ । उन्हें जानने के लिये कहानी जरूर पढें । साथ ही बचपन के मेरे कुछ और अनुभवों के लिये वह कौन था .. भी पढें... more »

मुस्लिम समाज की देश के प्रति निष्ठा पर संदेह क्या सही है !!

पूरण खण्डेलवाल at शंखनाद
कई बार यह देखने में आता है कि मुसलमानों की देश के प्रति निष्ठा को संदेह कि नजर से देखा जाता है और कई बार तो यह तक माना जाता है कि यहाँ के मुसलमान पाकिस्तान के प्रति निष्ठा रखते हैं ! क्या इसके लिए वे लोग जिम्मेदार है जो मुसलमानों कि निष्ठा पर संदेह करते हैं या फिर वाकई भारतीय मुसलमानों कि देश के प्रति निष्ठा संदेहास्पद है ! इसके पक्ष में कई तरह के तर्क और वितर्क दिए जा सकते हैं लेकिन उन तर्कों वितर्कों में नहीं जाकर कुछ बातों पर गौर तो किया जाना चाहिए जिससे स्थति को समझा जा सके और विचार किया जा सके ! मुसलमानों कि निष्ठा को संदेहास्पद बनाने में सबसे बड़ा हाथ तो उन राजनैतिक पार्टियों... more »

चंदरशेखर को श्रद्दांजलि

सरिता भाटिया at गुज़ारिश
*कुछ पंक्तियाँ पढ़िए बाकी सुनिए * मन तो मेरा भी करता है झूमूँ , नाचूँ, गाऊँ मैं आजादी की स्वर्ण-जयंती वाले गीत सुनाऊँ मैं लेकिन सरगम वाला वातावरण कहाँ से लाऊँ मैं मेघ-मल्हारों वाला अन्तयकरण कहाँ से लाऊँ मैं मैं दामन में दर्द तुम्हारे, अपने लेकर बैठा हूँ आजादी के टूटे-फूटे सपने लेकर बैठा हूँ घाव जिन्होंने भारत माता को गहरे दे रक्खे हैं उन लोगों को जैड सुरक्षा के पहरे दे रक्खे हैं जो भारत को बरबादी की हद तक लाने वाले हैं वे ही स्वर्ण-जयंती का पैगाम सुनाने वाले हैं आज़ादी लाने वालों का तिरस्कार तड़पाता है बलिदानी-गाथा पर थूका, बार-बार तड़पाता है क्रांतिकारियों की बलिवेदी जिससे गौरव... more »

पत्ते, आँगन, तुलसी माँ ...

दिगम्बर नासवा at स्वप्न मेरे...........
चौंका, बर्तन, पूजा, मंदिर, पत्ते, आँगन, तुलसी माँ, सब्जी, रोटी, मिर्च, मसाला, मीठे में फिर बरफी माँ, बिस्तर, दातुन, खाना, पीना, एक टांग पे खड़ी हुई, वर्दी, टाई, बस्ता, जूते, रिब्बन, चोटी, कसती माँ, दादा दादी, बापू, चाचा, भईया, दीदी, पिंकी, मैं, बहु सुनो तो, अजी सुनो तो, उसकी मेरी सुनती माँ, धूप, हवा, बरसात, अंधेरा, सुख, दुख, छाया, जीवन में, नीव, दिवारें, सोफा, कुर्सी, छत, दरवाजे, खिड़की माँ, मन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की, चिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ, कितना कुछ देखा जीवन में, घर की देहरी के भीतर, इन सब से अंजान कहीं ... more »

दुलारी (कहानी)

डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' at नीड़ का निर्माण फिर-फिर...
(भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर एक कटु व्यंग्य) जिस दिन ‘वो’ विदा होकर आई और उसका तांगा ससुराल की ड्योढ़ी पर रुका। मुहल्ले भर के बच्चों ने उसे घेर लिया। सभी उसकी एक झलक भर पाने को बेताब थे। कोई उसके सुन्दर हांथों की तारीफ़ कर रहा था, तो कोई उसके गोरे-२ पैरों की, साथ में चेहरा देखने की मशक्कत भी जारी थी सभी की। हटो-२ नज़र ना लगा देना मेरी बहुरिया को... मुझे आरती की रसम पूरी करने दो।.......... उसकी सास ने बड़े ही लाड़ से कहा। हाँ-२ ‘हूर की परी’ है ना तुम्हारी बहुरिया, जो नज़र लग जाएगी.......... एक पड़ोसन ने उलाहना देते हुए कहा। पर जो देखता था, देखता ही रह जाता था, बला की खूब... more »

किताबों की दुनिया - 82

नीरज गोस्वामी at नीरज
कहती है ज़िन्दगी कि मुझे अम्न चाहिए ओ' वक्त कह रहा है मुझे इन्कलाब दो इस युग में दोस्ती की, मुहब्बत की आरज़ू जैसे कोई बबूल से मांगे गुलाब दो जो मानते हैं आज की ग़ज़लों को बेअसर पढने के वास्ते उन्हें मेरी किताब दो आज हमारी किताबों की दुनिया श्रृंखला में हम उसी किताब "*ख़याल के फूल* " की बात करेंगे जिसका जिक्र उसके शायर जनाब "*मेयार सनेही* " साहब ने अपनी ऊपर दी गयी ग़ज़ल के शेर में किया है. मेयार सनेही साहब 7 मार्च 1936 को बाराबंकी (उ प्र ) में पैदा हुए. साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त करने बाद उन्होंने ग़ज़ल लेखन का एक अटूट सिलसिला कायम किया। कारवाँ से आँधियों की छेड़ भी क्या खू... more »

एक यादगार अनुष्ठान की याद

जयदीप शेखर at कभी-कभार
यहाँ जो तस्वीरें प्रस्तुत की जा रही हैं, वे ठीक 7 साल पहले की हैं- यानि 20 मई 2006 की। उस दिन मेरी माँ-पिताजी के विवाह की 51वीं वर्षगाँठ थी। यूँ तो 50वीं सालगिरह को लोग "स्वर्ण जयन्ती" या "गोल्डेन जुबली" के रुप में मनाते हैं, मगर 2005 में हम भूल गये थे और दूसरी बात, तब मैं वायु सेना में था। (31 मई 2005 को मैं रिटायर हुआ- 20 वर्षों की सेवा के बाद- और तब 2006 में हमने इस वर्षगाँठ को मनाने का फैसला लिया।) *** हमने "गायत्री परिवार" वालों से घर में सिर्फ एक हवन कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने कारण पूछा, तो हमने वर्षगाँठ वाली बात बता दी। फिर क्या था, नियत तिथि को वे पूरी ताम-झ... more »

मुँबई से बैंगलोर तक भाषा का सफ़र एवं अनुभव..

करीबन ढ़ाई वर्ष पहल मुँबई से बैंगलोर आये थे तो हम सभी को भाषा की समस्या का सामना करना पड़ा, हालांकि यहाँ अधिकतर लोग हिन्दी समझ भी लेते हैं और बोल भी लेते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे हैं जो हिन्दी समझते हुए जानते हुए भी हिन्दी में संवाद स्थापित नहीं करते हैं, वे लोग हमेशा कन्नड़ का ही उपयोग करते हैं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हिन्दीभाषी जरूर हैं परंतु दिन रात इंपोर्टेड अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते हैं, इसी में संवाद करते हैं। जब मुँबई गया था तब लगता था कि सारे लोग अंग्रेजी ही बोलते हैं, परंतु बैंगलोर में आकर अपना भ्रम टूट गया । कम से कम मुँबई में हिन्दी भाषा अच्छे से सुनने को मिल जाती... more »

तो गीत बन के सँवर गया है

राकेश खंडेलवाल at गीत कलश
*तुम्हारी सांसों के झुरमुटों से चला जो मलयज का एक झोंका* *अधर की मेरे छुई जो देहरी तो गीत बन के सँवर गया है* * * *जो वाटिका की लगी थीक्यारी में राम तुलसी औ’ श्याम तुलसी* *रुका था उनकी गली में जाकर न जाने क्या बात करते करते* *बढ़ा के बाँहे समेटता था उड़नखटोले वे गन्ध वाले* *जो पांखुरी से हवा की झालर चढ़े थे शाखों से झरते झरते* * * *कली कली पलकें मिचमिचाकर इधर को देखे उधर को देखे* *ना प्रश्न कोई ये बूझ पाये वो इस तरफ़ से किधर गया है* * * *नदी के तट जा लहर को छू के है छेड़ता नव तरंगें जल में* *झुके हुये बादलों की सिहरन को अपने भुजपाश में बांध कर के* *मयूर पंखों की रंगतों के क्षितिज पे टाँके है चित्... more »

शिकायतों की चिट्ठी भी ....

सदा at SADA
प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं, इसने तो बस मन का गहना पहना है । कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से, कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है । लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं, हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है । दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी, हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है । शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता, प्रेम विश्‍वास का *सदा *अनुपम गहना है ।

बस यही कल्पना हर पुरुष मन की .

शालिनी कौशिक at WOMAN ABOUT MAN
** * **अधिकार * *सार्वभौमिक सत्ता * *सर्वत्र प्रभुत्व * *सदा विजय * *सबके द्वारा अनुमोदन * *मेरी अधीनता * *सब हो मात्र मेरा * * **कर्तव्य * *गुलामी * *दायित्व ही दायित्व * *झुका शीश * *हो मात्र तुम्हारा * *मेरे हर अधीन का * * **बस यही कल्पना * *हर पुरुष मन की .* * **शालिनी कौशिक * * *

सूरज दादा

*सूरज दादा बड़ी अकड़ में रोज़ सवेरे आते हैं मस्तक उंचा करे गर्व से अभिमानी बन जाते हैं धूप चमकती खिली रुपहली तपती धरा खूब पथरीली बहे पसीना बार -बार और त्वचा लग रही गीली -गीली लू ने भी है धूम मचाई थप्पड़ मारे ले अंगडाई इधर -उधर कीगरम हवा ने बेचैनी है और बढाई ठंडा सतुआ मन को भाये , लस्सी ,शरबत के दिन आये पल -पल सूख रहे हलक में शीतलता तरावट लाये बेल का शरबत राहत देगा, अपच पेट का ठीक करेगा लथपथ हुए पसीने से जन , विद्युत् विभाग कर रहा हरि भजन मेहनतकश भी हुए हलकान , करते हैं महसूस थकान सूरज दादा करो तपन कम ,हाथ जोड़ करे विनती हम* [image: Photo: सूरज दादा बड़ी अकड़ में रोज़ सवेरे आते हैं मस्... more »

होता तो है....

***Punam*** at bas yun...hi.... - 1 day ago
*होता तो है....* *ये प्यार चीज़ ही ऐसी है* *प्यार जब होता है तो....* *कुछ कहाँ दीखता है...!!* *मीरा के भजन,* *ग़ालिब के शेर,* *गुलज़ार की रोमानी नज्में....* *अख्तर के जादुई कलाम....* *लता,रफ़ी और मुकेश की दिलकश आवाज़..* *सब खुद में ही दिखाई * *और सुनाई देने लगते हैं..!* *हर वो भाव अपने से लगते है..* *जो गीतों में उतर जाते हैं.. * *हर वो आवाज़ अपनी ही लगती है..* *जो दर्द के सुर में गाती है....* *प्रेम ऐसा होता है...* *प्रेम वैसा होता है...* *फिर भी प्रेम कैसा होता है....??* *बड़ा मुश्किल हो जाता है बताना...* *और तब तो और भी ज्यादा... * *जब इंसान हर वक्त * *बस प्रेम में ही होता है...!!* ... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

21 टिप्पणियाँ:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

behtareen links

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन !!
आभार !!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन....
सारे लिंक्स पढ़ डाले,टिप्पणी भी कर आये.
शुक्रिया शिवम्.
सस्नेह
अनु

5th pillar corruption killer ने कहा…

badhiyaa kaam karte hain ji aap to !!

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा कार्टून ने बोले तो धो डाला है एकदम से ..दे धोबिया पाट मारा है जी । बुलेटिन एकदम झक्कास बन पडा है शिवम भाई

दीपक बाबा ने कहा…

हो रहा भारत निर्माण


इस लिए यहाँ हैं :)

***Punam*** ने कहा…

हर रंग से सजा हुआ बुलेटिन है....!
मुझे यहाँ शामिल करने के लिए शुक्रिया...!
अच्छी रचनाओं का संगम....!!

Rajesh Kumari ने कहा…

शिवम् मिश्रा जी बहुत बेहतरीन सूत्र संकलन मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार आपका शुभकामनायें

Shikha Kaushik ने कहा…

सराहनीय प्रयास .सुन्दर लिनक्स संजोये हैं . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

जीजी और जीजाजी गायब है भारत निर्माण से ;)..... आग लगा दी भाई बुलेटिन ने आज की ...

Shalini kaushik ने कहा…

.सराहनीय प्रयास .सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने .मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु आभार ..आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

Shalini kaushik ने कहा…

.सराहनीय प्रयास .सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने .मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

अरुणा ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन !!
अभी टिप्पणी बाकी है ..........कल लाईट चली गयी ....
मेरी रचना शामिल है आभार

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सार्थक और पठनीय लिंकों के साथ बेहतरीन बुलेटिन."जबकि मैं मौन हूँ" को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार.

Guzarish ने कहा…

शुभम शिवम् जी
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
बेहतरीन प्रस्तुति सब सूत्रों की
बधाई |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत विस्तृत चर्चा ...
अच्छे लोंक मिले ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने को ...

HARSHVARDHAN ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन। आभार।

vandana gupta ने कहा…

सुन्दर लिंक्स से सजा सधा हुआ बुलेटिन

शारदा अरोरा ने कहा…

लिंक्स पसंद आये ...हमें शामिल करने का शुक्रिया ...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सूत्र।

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

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