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गुरुवार, 16 मई 2013

क्या आईपीएल, क्या बॉस का पारा, खेल है फ़िक्स्ड सारा - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

लीजिये एक लतीफा सुनिए ... मेरा मतलब है पढ़िये ...  आज फेसबुक पर दर्शन बवेजा जी की प्रोफ़ाइल पर पढ़ा तो यहाँ आप सब को भी पढ़वाने ले आया !

बॉस : अगर मेरे हवाई जहाज़ में 50 ईंटे हो और मैं एक नीचे फ़ेंक दूं
तो कितनी बचेंगी....?
एम्पलोयी : 49
बॉस : तीन वाक्य में बताओ कि हाथी को फ्रिज़ में कैसे रखा जाये....?
एम्पलोयी : (1) फ्रिज़ खोलिए,
(2 ) हाथी को उसमेँ रखिये और
(3) फ्रिज़ बंद कर दीजिये....!
बॉस : अब 4 वाक्य में बताओ कि हिरन को फ्रिज़ में कैसे रखा जाये....??
एम्पलोयी : (1) फ्रिज़ खोलिए
(2 ) हाथी को बाहर निकालिए
(3 ) हिरन को अन्दर रखिये
4) फ्रिज़ बंद कर दीजिये....!
बॉस : आज जंगल में शेर काजन्मदिन मनाया जा रहा है, वहां एक को छोड़ कर
सबजानवर मौजूद हैँ,
बताओ कौन गैरमौजूद है....?
एम्पलोयी : हिरन, क्योंकि वो फ्रिज़ में बंद है....!
बॉस : बताओ, एक बूढ़ी औरत मगरमच्छोँ से भरे तालाबको कैसे पार कर सकती है....?
एम्पलोयी : बड़ी आसानी से, क्योंकि सारे मगरमच्छ शेर की जन्मदिनकी पार्टी
में गए हैं....!
बॉस : अच्छा आखिरी सवाल, वो बूढ़ी औरत
मर कैसे गयी....?
एम्पलोयी : हम्म्म्मम....लगता है सर कि वो तालाब में फिसल गयी अथवा गिर
गयी होगी....:/:|
बॉस : अबे गधे, उसके सिर पर ईंट लगी थी जो मैंने एरोप्लेन से फेंकी थी,
यही प्रॉबलम है कि तुम अपने काम में जरा भी ध्यान नहीं लगाते हो और
तुम्हारा दिमाग कही और रहता है,
You should always be focused on your job....! Understand....??
मॉरल ..............................................................................

: जितना मर्ज़ी Prapare कर लो अगर बॉस ने ठान ली है तो वो तुम्हारा
बैँड बजा के रहेगा....

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तो साहब कैसा लगा आप सब को यह लतीफा ??? 

सादर आपका 


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रिश्तों के अवशेष

कभी कभी या शायद बहुधा रिश्ते जलाए प्रेम पत्रों के अवशेष से रह जाते हैं काले सलेटी इन अवशेषों के शब्द अब भी खुदे रह जाते हैं जस के तस कुछ वैसे ही जैसे स्मृति में बसी रहती हैं वे पुरानी बातें, मीठी, खारी, खट्टी, कड़वी बातें और अवशेषों के इन शब्दों में से पढ़ पाते हैं हम वे ही शब्द जो वे हमें पढ़वाना, समझाना, याद करवाना चाहें केवल वे अंश जो सतह पर हों, हम उन्हें उलट पलट कर आगे पीछे का नहीं पढ़ सकते चाहकर भी उन्हें चूम, दुलार, सहेज नहीं सकते ऐसा प्रयास भर उन्हें भुरभुरा कर कुछ चुटकी भर राख बना देगा। जिसमें उतने सीमित शब्द, रिश्तों के वे महकते क्षण न पढ़, न जी सकेंगे हम सो लालची से हम इन जले अव... more »

ब्याज पर ज़िंदगी

*ना जाने किस अज़ाब की सज़ा पा रही हूँ *** *के इश्क़ की हर बाजियों को हारती जा रही हूँ *** *तुम्हारा फ़न मेरा दिल तोड़ने से हर बार निखरा*** *अपनी हस्ती को तुम्हारे आगे मिटाती जा रही हूँ *** ** *ज़िंदगी कब से गिरवी पड़ी है तुम्हारे पास *** *अब ब्याज पर ज़िंदगी जीती जा रही हूँ *** *आँखों में अश्क तुम्हारे दी हुई सौगातें हैं *** *इन सौगातों में खुद को डुबोती जा रही हूँ *** *मेरे तुम्हारे बीच रिश्ता लगभग वही है *** *पर पहले प्यार की तड़फ खोती जा रही हूँ *** *सोनिया *

artical on Self-improvement in hindi

drneeraj baba at Achhibatein
जरा अपने को ही सुधार लें --- दोस्तों, जब से दुनिया बनी है तब से हर इंसान सिर्फ और सिर्फ दूसरे को ही सुधारने ,उसे अपने मन मुताबिक़ ढालने में ही लगा है ! लेकिन विडम्बना और हकीकत है कि आज तक कोई किसी को सुधार या बदल नहीं पाया है ! माता-पिता बच्चों को बदलना (सुधारना ) चाहते हैं ! पति पत्नी को ,पत्नी पति को , सास बहु को ,बहु सास को , गुरु शिष्य को ,boss employee को ,,नेता अनुयायी को ,सब एक दुसरे को अपने मुताबिक ढालना चाहते हैं ! लेकिन सारी जिंदगी की इस "दूसरे को बदलो अभियान" के बाबजूद कोई दूसरे के मुताबिक़ नहीं बदलता ! बदलता वो ही है ,जो खुद अपने अन्दर से (स्वप्रेरणा से ) बदलना च... more »

व्यंग्यः जीना है तो रिश्ते बना मेरे यार

अतिथि तुम कब जाओगे के युग में मेरे एक 50 की उम्र में ही सठियाए से लगने वाले प्राइवेट मित्र पिछले दिनों मुझे रिश्ते-नातों का महत्व समझाने बैठ गए। उनको टालने की गरज़ से मैंने पत्नी के द्वारा लगातार ड्राइंग रूम के पर्दे की ओट से ऑंखें दिखाए जाने के बावजू़द उनके लिए दो बार चाय की मांग कर डाली। मेरी पत्नी मेरी इस निर्लज्जता और निडरता का जवाब अवश्य देती, परन्तु वह इतनी भी बेवकूफ नहीं कि किसी बाहरी व्यक्ति को अपनी असलियत की भनक यूं ही लग जाने दे। मेरी किस्मत भी इतनी भली थी कि मेरे वह मित्र प्याले में बची-खुची चाय को पारिवारिक चीटियों व मक्खियों द्वारा कई-कई बार चूस लिए जाने के बाद... more »

खंगाल रही हूँ

Neelima at Rhythm
खंगाल रही हूँ पुराने पन्ने अपनी लिखी डायरी के पुराने पन्ने जिस पर कई बार कडवाहट कई बार झुंझलाहट उड़ेली थी मैंने अक्षरक्ष जब तब कुण्ठित / अवसादित हो कर रंगा था मैंने अकेलेपन में फाड़ डालना हैं अब उन पन्नो को बिना दुबारा -तिबारा पढ़े भूल जाना हैं उन उदास पलो को सुनो न नयी डायरी लेनी हैं जिन्दगी को नए सिरे से लिखना हैं मुझे प्रेम की स्याही से ................नीलिमा शर्मा thank you so much

कार्टून कुछ बोलता है- अनोखा परिचय !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !

कार्टून :- छापा पड़ा

मकबरे के दोनों बुत एक दूसरे का चेहरा देखते सोये थे

Puja Upadhyay at लहरें
वो बहुत जोर से इस बात पर चौंका था कि मैंने कभी कोठा नहीं देखा था...किसी तरह का चकला, कोई बाईजी का घर नहीं. मैं इस बात पर परेशान हुयी थी कि उसने क्यों सोचा कि मैंने कोठा देखा होगा...शायद उसे मेरी उत्सुकता और मेरे पागलपन से कुछ ज्यादा ही उम्मीद थी. मुझे याद है मैंने हँसते हुए कहा था...कोठे में मेरे लिए क्या होगा...मैं तो लड़की हूँ. इस बात पर हद गुस्सा हुआ था मुझपर...बेवक़ूफ़ लड़की...मैं तुम्हारे लड़की होने की नहीं, लेखक होने की बात कर रहा हूँ...तुम लिखती हो फिर भी कभी तुमने देखने की जरूरत नहीं समझी...देश, विदेश इतनी जगह घूमी हो, कभी नहीं...चलो इस बार मेरे शहर आना, मैं तुम्हें ले जाऊँ... more »

हिंदी वालों के लिए खास फ़ाइल संपीडन औजार यानी ज़िप टूल - हिंदीज़िप

[image: image] बाजार में यूँ तो दर्जनों ज़िप टूल हैं. फिर मैं क्यों हिंदीज़िप का इस्तेमाल करूं? तो, सबसे पहली बात तो यह कि इसे खास हिंदी वालों के लिए बनाया गया है और इसका इंटरफ़ेस हिंदी में ही है. साथ ही यह तेज-तर्रार, नो-नॉनसेंस किस्म का ज़िप टूल है. और यह पूरी तरह निःशुल्क है. इसे खासतौर पर हिंदी भाषा-भाषी उपयोगकर्ताओं की समस्याओं को ध्यान में रखकर हिंदी भाषा के जाने माने कंप्यूटिंग विशेषज्ञ बालेंदु दाधीच ने तैयार किया है. *हिंदीज़िप की कुछ और विशेषताएँ -* हिंदीज़िप एक सरल, सुगम किंतु शक्तिशाली फ़ाइल कम्प्रेशन सॉफ्टवेयर है। इसकी खास विशेषताएँ हैं- - यह एक फ़्रीवेयर (निःशुल्क स... more

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परनानी - परनाती

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*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी ** तस्वीर **मेरे मेल आई डी- archanachaoji@gmail.com पर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में...* *आज की तस्वीर में- खुशियाँ आँचल में समेटीं **है **दादी नें * * **- दादी** **श्रीमती **आशालता सक्सेना जी हैं - **अपनी परनाती आहना के साथ...* ***परनाती बोले तो= अपनी बेटी के बेटे/बेटी के बेटा/ बेटी ...**जैसे **यहाँ* *आशालता जी अपनी बेटीस्मि... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

15 टिप्पणियाँ:

Guzarish ने कहा…

hahaha
bahut khub shivam badiya joke
achhe links

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

bahut badhiya joke..............

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

अहा कार्टून भी छापा है :-)

अभिमन्‍यु भारद्वाज ने कहा…

पढकर मजा आ गया, हर ऑफिस की यही कहानी है
नौ काम नौकरी के दसवॉ काम जी हुजूरी

achhibatein ने कहा…

शिवम् जी, लेख शामिल करने के लिए शुक्रिया ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पछनीय सूत्र..

HARSHVARDHAN ने कहा…

मजेदार लतीफे और बढ़िया लिंक्स। सच में एक सुन्दर बुलेटिन। :)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आभार शिवम् जी !

Sadhana Vaid ने कहा…

शानदार जोक शिवम जी ! बहुत बढ़िया लिंक्स दिए हैं आज ! आभार !

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

बहुत बढ़िया लिंक्स .............शामिल करने के लिए शुक्रिया ..

कविता रावत ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति .....

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

Soniya Gaur ने कहा…

बहुत बढ़िया लिंक्स .............शामिल करने के लिए शुक्रिया :)

ghughutibasuti ने कहा…

मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार.
लतीफा मस्त है.
घुघूतीबासूती

Asha Lata Saxena ने कहा…

बढ़िया है प्रस्तुति |
उम्दा लिंक्स |
आशा

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