ब्लॉग बुलेटिन आपका ब्लॉग है.... ब्लॉग बुलेटिन टीम का आपसे वादा है कि वो आपके लिए कुछ ना कुछ 'नया' जरुर लाती रहेगी ... इसी वादे को निभाते हुए हमने शुरू की श्रृंखला "मेहमान रिपोर्टर" ... इस श्रृंखला के अंतर्गत हर हफ्ते एक दिन आप में से ही किसी एक को मौका दिया गया बुलेटिन लगाने का ... तो अपनी अपनी तैयारी कर लीजिये ... हो सकता है ... अगला नंबर आपका ही हो !
-----------------------------------------------------------------------विक्रम सिंह
.नमस्कार साथियो
मै धीरेन्द्र अपनी प्रथम चर्चा पोस्ट में आज एक ऐसे ब्लॉगर की रचनाओ को प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिनकी प्रेरणा से मै ब्लोगर बना और मैंने लिखना शुरू किया ! और अभी हाल ही में इन्होने ने ब्लॉग दुनिया को समयाभाव के कारण अलविदा कहा है,.. जी हाँ मै बात रहा हूँ "विक्रम जी" की, विक्रमजी लिखते कम और कमेंट्स भी कम करते थे,इसके कारण अधिकतर पाठकों ने इनकी रचनाओं को नही पढ़ा, पर जो लिखते है ,वह मिसाल बन जाता है, हर रचना भावना प्रधान,व कुछ सोचने पर मजबूर करती ,विषय चयन भी अलग अलग है, तभी तो विजय जी, ने उनके बारे में कहा कि "शब्दों से खेलना कोई आप से सीखे" | अभी एक बोल्ड रचना को लेकर विवाद हुआ, उसी विषय पर विक्रम जी ने लिखा, " समय ठहर उस क्षण,है जाता...," पर,मर्यादा में रह कर, और दूसरी रचना में खुद उसी का जवाब भी, अद्भुत लेखन शैली के धनी है विक्रम जी, प्रस्तुत है मेरी पसंदीदा उनकी कुछ रचनाये.....
1 - समय ठहर उस क्षण,है जाता...
समय ठहर उस क्षण,है जाता
ज्वार मदन का जब है आता
रश्मि-विभा में रण ठन जाता
तभी उभय नि:शेष समर्पण,ह्रदयों का उस पल हो जाता
2 - आँसू से उर ज्वाल बुझाते...
आँसू से उर ज्वाल बुझाते
देह धर्म का मर्म न समझा
भोग प्राप्ति में ऎसा उलझा
कर्म भोग के बीच संतुलन,खोकर सुख की आश लगाते
3 - आ,मृग-जल से प्यास बुझा लें...
आ,मृग -जल से प्यास बुझा लें
कहाँ गई मरकत की प्याली
द्रोण-कलश भी मेरा खाली
चिर वसंत-सेवित सपनों में,खोकर शायद मधु-रस पा लें
4 - अन्ना के सम्बन्ध पर लिखे मेरे लेख पर...
अन्ना पहले यह निश्चय कर लें, वह करना क्या चाहते हैं.
अन्ना को यह समझना चाहिए,की देश की जनता भ्रष्टाचार से परेशान है,और अन्ना नें उसका लाभ लेकर दिशाहीन आन्दोलन व सस्ती लोकप्रियता हासिल करनें का प्रयास किया , अन्ना कहते हैं,अगले लोकसभा चुनाव में जनता को जागृत करेगें युवाओं को चुनाव लड़ाएँगे,.......
5 - महाशून्य से व्याह रचायें...
महाशून्य से व्याह रचायें
क्रिया- कर्म से ऊपर उठ कर
अहम् और त्वम् यहीं छोड़कर
काल प्रबल के सबल द्वार को ,तोड़ नये आयाम बनायें
6 - है कौन कर रहा प्रलय गान...
है कौन कर रहा प्रलय गान
भय-ग्रसित हो गए तरु के गात
हो शिथिल झर रहे उसके पात
सकुचे सहमें तरु के पंछी,गिर गिर कर तजनें लगे प्राण
है कौन कर रहा प्रलय गान..
7 - तन्हाई में मै गाता हूँ...
तन्हाई में मै गाता हूँ
यादों के बादल जब आते
मदिर-मदिर रस हैं बरसाते
शीतल मंद पवन के संग मै,अक्षय सुधा पीने जाता हूँ
तन्हाई में मै गाता हूँ
8 - मैं जीवन का बोधि-सत्व क्याँ खो बैठा हूँ .......
मैं जीवन का बोधि-सत्व क्याँ खो बैठा हूँ
या जीवन के सार-तत्व में आ बैठा हूँ
मैं अनंत की नीहारिका में अब क्या ढूढूँ
स्वंम पल्लवित सम्बोधन में खो बैठा हूँ
9 - मैनें अपने कल को देखा....
मैनें अपने कल को देखा
उन्मादित सपनों के छल से
आहत था झुठलाये सच से
10 - क्यूँचुप हो कुछ बोलो श्वेता.....
क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता
मौंन बनी क्यूँ मुखरित श्वेता
10 - कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
कैसा,यह गणतंत्र हमारा
भ्रष्टाचार , भूख से हारा
वंसवाद का लिये सहारा
आरक्षण की बैसाखी पर,टिका हुआ यह तंत्र हमारा
11 - वह सुनयना थी...
वह सुनयना थी
कभी चोरी-चोरी मेरे कमरे मे आती
नटखट बदमाश
मेरी पेन्सिले़ उठा ले जाती,..
12 - इतने दिनों बाद.......
इतने दिनों बाद
अपनी खीची,अर्थहीन रेखा के पास
खड़ा हूँ
तुम्हारे सामाने
13 - मै चुप हूँ.....
मै चुप हूँ
ढूढता है तू
बन व्रतचारी
हिम शिखर में
स्वंम सिध्द मंत्रो की साधना से
मै चुप हूँ
14 - द्वन्द एक चल रहा.........
द्वन्द एक चल रहा रहा
15 - इस ब्लॉग की आखिरी पोस्ट ...
रक्त नीर बह रहा
कर्म के कराहने से
इक दधीच ढह रहा
क्यूँ अनंत हों नये,छोड़ कर चले गये
एक बूंद नीर की , दो कली गुलाब की
देह-द्वीप जल रहा
आदरणीय साथियो
नमस्कार
आज से अपने ब्लॉग विक्रम ७ में लेखन कार्य समय की कमी के कारण बंद कर रहा हूँ
-----------------------------------------------------------------------मेरी विक्रम जी से विनती है कि हो सके तो एक ब्रेक के बाद ही सही पर वापसी जरूर करें !
आप सभी ब्लॉग बुलेटिन के पाठकों को मेरा चयन एवं विक्रम जी की रचनाये कैसी लगी, जरूर बताएं ... आपके विचार आमंत्रित है !सादर आपका
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
अभी अलविदा न कहना ... विक्रम जी - ब्लॉग बुलेटिन
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33 टिप्पणियाँ:
बढ़िया बुलेटिन सर....
क्या पता इसे पढ़ कर विक्रम जी ठहर ही जाएँ.....
शुक्रिया
सादर.
विक्रम ७ जी का परिचय पाकर अच्छा लगा .... :)
लेकिन ब्लॉग-जगत को अलविदा कहना बुरा लगा .... :(
दोनों अनुभूति एक साथ कराती आपकी मेहमान-नवाजी .... :)
आभार |
मुझे लगता है कि यदि मैं गलत नहीं हूं तो विक्रम जी के ब्लॉग पर मैं जाता रहा हूं ...सारे लिंक्स खोल लिए हैं एक साथ ही । हमारा आग्रह है कि ..कतई न ऐसा सोचें , अभी ब्लॉगजगत को सबसे ज्यादा जरूरत है साथियों की ..हमें इंतज़ार रहेगा विक्रम जी की अगली पोस्ट का वो भी जल्दी ही ....। धीरेंद्र जी , आपने बुलेटिन को सार्थकता दे दी इस प्रयास से । शुक्रिया ।
सब से पहले धीरेन्द्र जी ब्लॉग बुलेटिन के मंच पर एक मेहमान रिपोर्टर के रूप मे आपका स्वागत है !
आपके साथ साथ मेरी भी विक्रम जी से यही विनती होगी कि भले ही कुछ दिनो का ब्रेक ले लें पर यूं अलविदा न कहें ... यह सही है कि हम सब कि अपनी अपनी निजी ज़िंदगी भी है और उसको भी समय देना पड़ता है पर ... मेरे हिसाब से अगर थोड़ा टाइम मैनेजमेंट कर लिया जाये तो ब्लोगिंग भी साथ साथ चल सकती है !
इस बेहद उम्दा एकल चर्चा रूपी बुलेटिन के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ, शुभकामनायें और हार्दिक आभार !
अत्यन्त प्रभावी व स्तरीय बुलेटिन
इतने अच्छे पाठक का आग्रह तो मानना होगा , जिन्होंने हम तक आपको पहुँचाया . अब पढ़ती हूँ आपकी रचनाएँ
वैसे मैं आपको पढ़ती रही हूँ ... जो कुछ ओझल रहा उसे देख लूँ
मै भी शिवम् जी ,की बात से सहमत हूँ, तीन वर्षो से आप लिख रहे है,कुछ कारण बस समय कम मिलता है ,कोई बात नहीं ,जब मिले तब, अब देखिये धीरेन्द्र जी ने व अन्य साथियों ने अनुरोध किया है,आप ही की तर्ज में कहता हूँ ''क्या इन्हें छोड़ने का मन करता होगा'' कहिये विक्रम जी ,
विक्रम जी की बेहतरीन रचनाओं की सुन्दर प्रस्तुति के लिये आप का आभार धीरेन्द्र जी. इस एकल चर्चामें मुझे आशा है की जल्द ही किसी अन्य लेखक की रचनायें भी पढने को मिलेगी,एक अच्छी पहल के लिये पुन: धन्यवाद
नंदित्ता जी,...आपने मुझे इस काबिल तो समझा,..आभार..
आपने अपनी पोस्ट में लिखा था,...कि विक्रम जी आपनी निरंतरता नही बनाए रखते,.पुरानी पोस्टों को दुबारा पोस्ट कर देते है,कमेंट्स भी
कम करते है,..कहीं इस कारण से व्यथित होकर विक्रम जी ने....?
उफ ......धीरेन्द्र जी ,इतना बड़ा इल्जाम तो न लगायें ............?
ये कब हुआ
क्यू हुआ
किससे पूछे ......?
धीरेन्द्र जी , कृपया मुझे इस विषय में दोषी न बनाये, बरना यह विजय जी जैसे मसखरे ब्लॉगर , मुझे ब्लॉग जगत की खलनायिका ही बना कर रख देगे ? मै अभी ब्लॉग जगत में आयी हूँ ,अपना आशीर्वाद दे ,विक्रम जी की तरह ......
पढते रहे हैं हम तो..बाकी अभी जाते हैं पढ़ने.बढ़िया बुलेटिन है.
न विक्रम जी लिखना छोड़ते
न आप उनके बारे में लिखते
न बहन नंदिता यह उपाधि देती
न मै ब्लॉग जगत का मसखरा बनता
किसी ने सही लिखा था ,''सन्देश उनका तुम्हारे नाम,बीच में फाड़ा जाऊगा लिफाफे की तरह मै, ''
वही मेरे साथ हुआ ,धन्यवाद धीरेन्द्र जी
बुलेटिन के अंदर और बाहर दोनों तर्फ है आग बराबर लगी हुई.. खैर ये तो मजाक था जैसा कि मेरी आदत है..जोक्स अपार्ट!! विक्रम जी का परिचय अच्छा लगा..!! धीरेन्द्र जी का आगमन स्वागत योग्य!!
अच्छा लगा।
यूँ तो परिचित है फिर भी यहाँ विक्रम जी का परिचय अच्छा लगा ...
शायद अब वे अलविदा के अपने निर्णय पर पुनः विचार करें !
आदरणीय धीरेन्द्र जी ,व सभी माननीय साथियो
मेरी रचनाओ को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिये,ब्लॉग बुलेटिन परिवार व आपका बहुत बहुत आभार, एकल चर्चा की शुरुवात भी अच्छी लगी. बीच बीच में ऐसी पोस्ट आती रहें तो हम एक दूसरे के लेखन व व्यक्तित्व से भली भांति परिचित होते रहेगे.तीन साल के अपने ब्लॉग लेखन में मुझे एक से एक अच्छी व उच्च स्तरीय रचनाये पढने को मिली,व आज भी उम्दा लेखको का प्रवेश ब्लॉग जगत में हो रहा है,मै अपने ब्लॉग व इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी के विचारों से अवगत हुआ ,मुझे पहली बार यह एहसास हुआ कि यह ब्लॉग जगत अपनी रचनाओं को लिखने भर का मंच नही है,यह तो एक भरा पूरा परिवार है,जिससे हम एक अटूट रिश्ते के साथ जुड़े है,परिवार की भाति इसमें भी हमारे बुजुर्ग ,हम उम्र ,व युवा है. मुझसे भूल हुयी ,कि मैने इन रिश्तो को अनदेखा कर ऐसा लिखा ,मै आप सभी से अपनी इस भूल के लिये माफी चाहता हूँ. समय मिलने पर अपने इसी ब्लॉग पर पूर्व की भाति लेखन कार्य जारी रखुगां.
क्षमा याचनाके साथ
विक्रम जी आपका स्वागत है ... बहुत बहुत आभार जो आपने हम सब की विनती स्वीकार की ... हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें !
चलिये आप का प्रयास सार्थक हुआ ,विक्रम जी मान गये,नादिता जी आप के आरोपों से मुक्त हुयी,पर मुझे जो उपाधि मिली उसका क्या होगा?शिवम् जी आप ही अब कुछ करिये.....देखिये मैने आपकी ब्लॉग बुलेटिन को अपने नवभारत टाइ...
के ब्लॉग में भी डाल दिया हूँ, .....क्या मै आप को भी मसखरा लगता हूँ ?
विजय
धीरेन्द्र जी ,प्रयास सफल हुआ .
behatariin prastuti
मैने पहली बार विक्रम जी की रचनाओ को पढा,बहुत अच्छा लिखते हैं, आभार धीरेन्द्र जी
शिवम् जी अभी तक आप व धीरेन्द्र जी ने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया,यह मेरे साथ नाइंसाफी है?
अब विजय जी की बात का भी जवाब दे दीजिये ,नहीं इनके प्रश्नों पर भी एक पोस्ट तैयार करनी पङेगी
कहता है जोकर ,अपना फसाना
ब्लॉग जगत से,है मुझको जाना
आया था बनने ,हीरो यहाँ पर
अब बनके जोकर,मुझको है जाना
yah to saaph hae ki vijay ji aap tippani sarajaaj ban hii gaye hae.
विजय जी
आप अपने लेखन के प्रति गंभीर हो जाये, तो हम लोगो को आप की अच्छी रचनाएँ पढने को मिल सकती है. इतनी अच्छी पोस्ट पर इस तरह की बाते क्या सही है. ?
sahii kahana aapaka,nandita jii,
mae galat, maphii
दे दी ,अब किसी दूसरे ब्लॉग का भ्रमण करिये,महाराज
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!