कुछ इनकी कुछ उनकी - एक अलग व्यंजन एक दिलचस्प स्वाद -----
"खामोश सी दिखती खला को खंगालो तो कोई ख्वाब दिखे
ख्वाब की तासीर पहचानो तो कुछ बात बने
रूह जब जागती और देह सोती हो जहाँ
ख्वाब खामोशी से उनवान लिखा करते हैं
देह वह पुल है जिसके ऊपर तारों से चमकते हैं ख्वाब
और इस पुल के नीचे बहुत दूर तलक
जिन्दगी दरिया सी बहा करती है " http://rajiv-chaturvedi.blogspot.in/
"अचानक ...सब कुछ धुंधला सा गया
गला भी रुंध सा गया
आँखों में आंसू थे
गले में भी कुछ अटका सा था .
यादों में एक यह बहुत बड़ी खराबी है.
चीटियों की तरह आराम से
धीरे-धीरे कतार में नहीं आती .
बस,चली आती हैं ताबड तोड़ बिना किसी क्रम के ." http://zindaginaamaa.blogspot.com/
"प्रतीक्षा हुई खत्म, बस आने को है वह मधुर वेला|
पधारेंगे परम नारायण विष्णु बन के राम लला|| " http://madhurgunjan.blogspot.in/
"अमृता ...
मैं तुझसे तो
कभी मिल नहीं पाई
पर आज मैंने तुझे
इमरोज़ में ज़िंदा देखा है
उसकी सांसों में , उसकी बातों में ,
उसकी मुस्कराहट में , उसकी हँसी में
उसके जिस्म में , उसकी रूह में
वह अब भी तुझे जीता है
संवारता है , निहारता है ,पूजता है
क्या ये किसी रांझे के प्रेम से कम है ?
या किसी महिवाल की मुहब्बत से ?
अमृता....
तू हीर भी है , सोहणी भी और शीरी भी
पर इमरोज़.....
न राँझा है , न महिवाल,न फरहाद
वह तो मुहब्बत का....
फरिस्ता है ....." http://harkirathaqeer.blogspot.in/
"कभी नदी से उसके ज़ख्म पूछना
दिखाएगी वो तुम्हें अपने पाँव
कि जिनमें पड़ी हुयी हैं दरारें
सदियों घिसती रही है वो एड़ियाँ
किनारे के चिकने पत्थरों पर " http://laharein.blogspot.in/
"कहाँ से चुन लिए शब्द उसने अपने गीतों के ,
कहाँ से दर्द ला उन गीतों मे रच दिया होगा।
अपनी आवाज़ में भर ली होगी नदी की खुशबू ,
और फिर उसमें मौसम का रंग मिला दिया होगा।" http://niharkhan.blogspot.in/
"कहते हैं वक़्त
किसी का इंतज़ार
नहीं करता
चलता रहता है
अनवरत ,
और
हमारी ज़िंदगी भी
चलती रहती है
पल - पल ,
बीतते वक़्त के साथ
बीत जाते हैं
हम भी ,
पर न जाने क्यों
कभी - कभी
ठिठक के
खड़ी हो जाती है
ज़िंदगी ,
और हम
अटक जाते हैं
कि
ऐसा क्यों हुआ ?" http://geet7553.blogspot.in/
"रूठी हुई
खुशियों का नाम
उदासी है
भोगो तो
हर तपन बड़ी है
कहने को
बात जरा-सी है । " http://gullakapni.blogspot.in/
"चल रही है
जोरदार बहस
जोर जोर से चीखते हुए
लोग सुनवाना चाहते हैं
मनवाना चाहते हैं बात " http://aruncroy.blogspot.in/
"हजारों क़दमों के चलने से
बनी पगडंडी
नहीं पहुंचाती
किसी नयी मंज़िल पर." http://sharmakailashc.blogspot.in/
"न नाते देखता है
न रस्में सोचता है
रहता है जिन दरों पे
न घर सोचता है
हर हद से पार
गुजर जाता है आदमी
दो रोटी के लिए कितना
गिर जाता है आदमी " http://shikhakriti.blogspot.in/
"डूबने के भय से
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना " http://sandhyakavyadhara.blogspot.in/
"कहीं
किसी भाषा में
कोई तो शब्द ऐसा होता
जो यहाँ के भाव
जस का तस
वहाँ तक पहुंचा देता
पर ये खेद की बात है,
ऐसा होता नहीं है..." http://www.anusheel.in/
"ये नसीब की बात नहीं, ये अमावस की रात नहीं
ये तो इक खामोशी है , इसको सुनने वाले अब मिलेंगे कहाँ ?" http://amrendra-shukla.blogspot.in/
"तुम मिले अचानक
लगे हृदय को अपने से
मैं बहुत सोचता
फ़िर भी समझ न पाता क्यूँ
.
मै नहीं चाहता
तुमको, मै याद करूँ
मन भाग-भाग
फ़िर पास तुम्हारे जाता क्यूँ. " http://manukavya.wordpress.com/
"प्रत्यंचा जब खींची थी तुमने
भेदने को लक्ष्य
खिंच गयी थी डोर दीर्घकाल तक कुछ ज्यादा ही कस |
टूट गयी वह डोर
सधा था जिस पर बाण
शेष हाथ में धनुष तीर
और अनछुवा रह गया लक्ष्य " http://amritras.blogspot.in/
कैसा है ? जरा चखकर दिमाग से बताना तो ...
25 टिप्पणियाँ:
बढिया बुलेटिन निकाला आपने
बहुत बढिया
बहुत प्यारा बुलेटिन दी......
सभी लिंक्स प्यारे दुलारे....
सादर
अनु
बढिया संकलन है रचनाओं का…… आभार
बहुत अच्छे लिंक्स संजोये हैं आपने... आभार
सुन्दर संकलन वाला बुलेटिन.
स्वाद ज़बरदस्त है आज के बुलेटिन का ... आभार दी !
बहुत से नए लिंक्स मिले .... बहुत बहुत आभार
बेहतरीन लिंक्स लिए उम्दा प्रस्तुति... आभार
bahut achha laga
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ………बढिया स्वाद्।
बहुत बढिया!!
बहुत सुन्दर लिंक संयोया है और स्वाद तो लाजवाब है...
शुक्रिया स्थान देने के लिए।
बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया |
आशा
बहुत सुंदर लिंक्स लगे,...
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
सभी लिंक्स बहुत ही बढ़िया है...
बहुत सुन्दर लिंक्स...लाज़वाब बुलेटिन...आभार
बेहद खूबसूरत कविताएं हैं. एक जगह इतना सारा कुछ सुन्दर पढ़ने को...ओह!
शुक्रिया रश्मि जी.
बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं आपने... आभार
आभार!
शुक्रिया .......
एक ही थाली में छप्पन भोग का स्वाद प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद रश्मि जी...
सादर
मंजु
खूबसूरत लिंकों से सजा ब्लॉग बुलेटिन.
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार!
अत्यन्त प्रभावी प्रस्तुति..
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