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शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

नहीं रहे कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट
अंगुलियों के इशारों को पलक झपकते समझने वाले कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
1960 में इस उपकरण को तैयार करने वाले एंजेलबर्ट ने पहला माउस लकड़ी का बनाया था। इसमें धातु के दो छोटे पहिये लगे थे। उन्होंने कैलिफोर्निया शोध संस्थान में काम करने के दौरान ई-मेल, वर्ड प्रोसेसिंग और वीडियो टेलीकांफ्रेंस तकनीक पर भी काम किया था। स्टेट कंप्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम ने उनकी बेटी क्रिस्टीना के ई-मेल के आधार पर एंजेलबर्ट के निधन की खबर दी। उन्होंने बताया कि उनके पिता की सेहत पिछले कुछ दिनों से काफी खराब थी। मंगलवार रात को सोने के दौरान उनकी मौत हो गई। एंजेलबर्ट 2005 से कंप्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम के फेलो थे।
जीवन परिचय
डग एंजेलबर्ट का जन्म 30 जनवरी 1925 को अमेरिका के ओरेगन स्थित पोर्टलैंड में हुआ था। उनके पिता एक रेडियो मैकेनिक और मां गृहणी थीं। उन्होंने ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रडार टेक्नीशियन की भूमिका निभाई।
एंजेलबर्ट ने नासा की पूर्ववर्ती संस्था नाका में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर भी काम किया। लेकिन जल्द ही वह इस नौकरी को छोड़कर डॉक्टरेट करने के लिए बर्कले स्थित कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय चले गए।
इंसान के ज्ञान को बढ़ाने में कंप्यूटर कैसे मदद कर सकता है, इस बात में दिलचस्पी उन्हें स्टैनफोर्ड शोध संस्थान ले आई। बाद में उन्होंने ऑग्मेंटेशन शोध केंद्र के नाम से अपनी प्रयोगशाला स्थापित की। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में अब तक एक अरब से ज्यादा माउस बेचे जा चुके हैं। एंजेलबर्ट की प्रयोगशाला एआरपीएनेट के विकास में सहयोग किया जिसने आगे चलकर इंटरनेट का रूप लिया।
योगदान
एंजेलबर्ट की सोच उनके वक्त से काफी आगे थी। वह एक ऐसे युग में काम कर रहे थे जब कंप्यूटर पूरे कमरे के बराबर होता था और विशाल मशीनों में पंच कार्ड के जरिये डाटा भरा जाता था। उन्होंने 1968 में सैन फ्रांसिस्को में माउस का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। इसी दौरान उन्होंने पहले वीडियो टेलीकांफ्रेंस का प्रदर्शन किया और टेक्स्ट आधारित लिंक के अपने सिद्धांत की व्याख्या की, जो आगे चलकर इंटरनेट का मुख्य आधार बना।
एंजेलबर्ट माउस से बहुत अधिक पैसा नहीं बना सके क्योंकि 1987 में जब माउस का पेटेंट खत्म हुआ उस समय तक इसका बहुत अधिक इस्तेमाल नहीं किया जाता था। 1983 में उन्होंने 40 हजार डॉलर में इस तकनीक का लाइसेंस एपल को बेच दिया।
अवार्ड
एंजेलबर्ट को 1997 में लेमेलसन-एमआइटी पुरस्कार दिया गया और वर्ष 2000 में पर्सनल कंप्यूटर की बुनियाद तैयार करने के लिए नेशनल मेडल फॉर टेक्नोलॉजी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से हम कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए शत शत नमन करते है !

सादर आपका
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चार्ली चैम्पलिन

एक मुलाकत 'सच्चे बादशाह' के साथ

भारत माँ की एक तस्वीर

*कनानी* (हैप्पी बर्थडे)

बुरी और अच्छी लड़कियां

जीने का आधार बहुत है

कविता कोश के सात वर्ष

एक अरसे बाद...!

बोम्बे का सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की दरगाह/कब्र

हमारे पैसे फिर भ्रष्टाचार के भेट चढ़ेंगे --------------- mangopeople

रेल तू महाठगनी जग जानी

यह कैसी पत्रकारिता?

चिंगारी

निशब्द

क्या पता कौन-कहाँ घात लगाए बैठा हो!...(कुँवर जी)

वो जिसकी जुबां उर्दू की तरह...!

गुलज़ार साहब से मेरी पहली मुलाकात !

आशीष बन बरस जाओ ......

**~मेरा योरोप भ्रमण~ भाग २ ~ "फ्राँस" ~**

जब मेरा फाकों का मौसम...

मुस्कुराना पड़ेगा !

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्पणियाँ:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन.....
जब पहला mouse चौकोर था और चूहे की तरह नहीं दीखता था फिर उसे माउस क्यूँ कहा होगा???
:-)

लिंक्स अब देखते हैं...जाने कब से दोस्तों के ब्लॉग्स नहीं देखे....
सस्नेह
अनु

Sunil Deepak ने कहा…

मेरे चिट्ठे को अपने बुलेटिन में जगह देने के लिए धन्यवाद शिवम :)

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

भाई बहुत खूब बुलेटिन लगाई | मेरी ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि और मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार |

श्यामल सुमन ने कहा…

कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट के माध्यम से कई नई जानकारियाँ मिलीं साथ ही कई महत्वपूर्ण चिट्ठों को एक साथ पढ़ने हेतु उपलब्ध कराया - आभार

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

ईश्वर सर एंजेलबर्ट की आत्मा को शांति प्रदान करे!

बढ़िया बुलेटिन!
मेरी पोस्ट को शामिल करने का आभार!

~सादर!!!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन...मेरे चिट्ठे को अपने बुलेटिन में जगह देने के लिए धन्यवाद :) कई नई जानकारियाँ मिलीं साथ ही कई महत्वपूर्ण चिट्ठों को एक साथ पढ़ने हेतु उपलब्ध कराया - आभार

सादर

Parul kanani ने कहा…

rachna ko shamil karne ke liye aabhar!

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