नमस्कार मित्रो,
गुरुवार की एक और बुलेटिन के साथ हम हाजिर हैं.
इधर मन कुछ व्यथित है समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को, शारीरिक शोषण
को देखकर. पल-पल कोई न कोई खबर हमें सोचने को मजबूर करती है कि किस तरह हम इंसान
से हैवान बनते चले जा रहे हैं; किस तरह हम एक इंसान को महज भोग की वस्तु समझने लगे
हैं. पुरुष रूप में विचरण करते इन जानवरों का कोई इलाज करना ही होगा, अपने
घर-परिवार की बेटियों, बहिनों, माताओं को बचाना ही होगा. अब समय चर्चा से ऊपर उठकर
समाधान खोजने का है.
आज की बुलेटिन को इसी ज्वलंत विषय पर केन्द्रित
कर आप सभी का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास मात्र है. आइये हम सब एकजुट होकर लगातार
बढ़ रहे इन हैवानों को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लें. सिर्फ पढ़ें ही नहीं, गुनें
भी, विचारें भी.
आज इतना ही शेष अगली बुलेटिन में....
नमस्कार..!!
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अपराध
और उत्तरप्रदेश >>> ये महज एक इत्तेफाक नहीं है
वह 80 मीटर
तक फैला खून देखकर कहती है......! >>> अमानुषिकता की वीभत्स तस्वीर
नेताजी, आबादी और रेप >>> बोल अबोल बेहतर हैं कुबोल से
हम पर हँसते
हैं गुनाहगार >>> शायद हमारी नाकामी पर, हमारी नपुंसकता पर
ना
...................री >>> नारी.. को न नहीं
मौन
तोडिये कि हम जिन्दा है >>> जिंदा होने का सबूत भी देना होता है यहाँ
नारियों
जागो! अपनी शक्ति को पहचानो! >>> उठो एक कदम बनके फिर दुर्गा शक्ति
बलात्कार
: 10 झूठ >>> एक विश्लेषण आज के दौर में
त्याग या स्त्री के कैरियर की
महत्वहीनता? >>> केंद्र में नारी ही है फिर भी
इतिहास बोध की अज्ञानता >>> इतिहास सीखने के लिए ही है
प्यार की
बातें करें >>> और
अंत में एक उम्मीद.. एक आशा
++चित्र साभार गूगल छवियों से