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गुरुवार, 24 जुलाई 2014

बढ़ो मौन तोड़ने के लिए - ब्लॉग बुलेटिन



नमस्कार मित्रो,

गुरुवार की एक और बुलेटिन के साथ हम हाजिर हैं. इधर मन कुछ व्यथित है समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को, शारीरिक शोषण को देखकर. पल-पल कोई न कोई खबर हमें सोचने को मजबूर करती है कि किस तरह हम इंसान से हैवान बनते चले जा रहे हैं; किस तरह हम एक इंसान को महज भोग की वस्तु समझने लगे हैं. पुरुष रूप में विचरण करते इन जानवरों का कोई इलाज करना ही होगा, अपने घर-परिवार की बेटियों, बहिनों, माताओं को बचाना ही होगा. अब समय चर्चा से ऊपर उठकर समाधान खोजने का है.
आज की बुलेटिन को इसी ज्वलंत विषय पर केन्द्रित कर आप सभी का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास मात्र है. आइये हम सब एकजुट होकर लगातार बढ़ रहे इन हैवानों को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लें. सिर्फ पढ़ें ही नहीं, गुनें भी, विचारें भी.
आज इतना ही शेष अगली बुलेटिन में.... नमस्कार..!!
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अपराध और उत्तरप्रदेश >>> ये महज एक इत्तेफाक नहीं है 

वह 80 मीटर तक फैला खून देखकर कहती है......! >>> अमानुषिकता की वीभत्स तस्वीर

नेताजी, आबादी और रेप >>> बोल अबोल बेहतर हैं कुबोल से

हम पर हँसते हैं गुनाहगार >>> शायद हमारी नाकामी पर, हमारी नपुंसकता पर

ना ...................री >>> नारी.. को न नहीं

मौन तोडिये कि हम जिन्दा है >>> जिंदा होने का सबूत भी देना होता है यहाँ

नारियों जागो! अपनी शक्ति को पहचानो! >>> उठो एक कदम बनके फिर दुर्गा शक्ति

बलात्कार : 10 झूठ >>> एक विश्लेषण आज के दौर में

त्याग या स्त्री के कैरियर की महत्वहीनता? >>> केंद्र में नारी ही है फिर भी

इतिहास बोध की अज्ञानता >>> इतिहास सीखने के लिए ही है 


प्यार की बातें करें >>> और अंत में एक उम्मीद.. एक आशा
++चित्र साभार गूगल छवियों से

बुधवार, 23 जुलाई 2014

3 महान विभूतियाँ और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।।

आज २३ जुलाई है ... एक बेहद खास दिन ... भारत के ३ महान विभूतियों से जुड़ा हुआ ... जिन मे से २ की आज जयंती है और एक की बरसी !
'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे'का नारा देकर देश में स्वराज की अलख जगाने वाले बाल गंगाधर तिलक उदारवादी हिन्दुत्व के पैरोकार होने के बावजूद कट्टरपंथी माने जाने वाले लोगों के भी आदर्श थे। धार्मिक परम्पराओं को एक स्थान विशेष से उठाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की अनोखी कोशिश करने वाले तिलक सही मायने में 'लोकमान्य' थे। एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, शिक्षक और विचारक के रूप में देश को आजादी की दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले तिलक ने कांग्रेस को सभाओं और सम्मेलनों के कमरों से निकाल कर जनता तक पहुंचाया था।

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई, १९०६ - २७ फरवरी, १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अत्यन्त सम्मानित और लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे महान क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का वध करके लिया एवम् दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।
लक्ष्मी सहगल (जन्म: 24 अक्टूबर, 1914 - निधन : 23 जुलाई , 2012 ) भारत की स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी थी। वे आजाद हिन्द फौज की अधिकारी तथा 'आजाद हिन्द सरकार' में महिला मामलों की मंत्री थीं। वे व्यवसाय से डॉक्टर थी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय प्रकाश में आयीं। वे आजाद हिन्द फौज की 'रानी लक्ष्मी रेजिमेन्ट' की कमाण्डर थीं।

आज तीनों महान स्वतन्त्रता सेनानियों को हिन्दी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम स्मरण करते हुए श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती है। सादर।।


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर  …………… । 














आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। सादर।।

लेखागार