नमस्कार साथियो,
आज दुनिया-जहान की बात न करके कुछ अपनी लिखी पढ़ा दें आप सबको. गद्य लिखते रहने की नियमितता के कारण पद्य लिखना बहुत ज्यादा अनियमित होता जा रहा है. कभी-कभी मूड बन जाता है तो उकेर लेते हैं कुछ पंक्तियाँ. ग़ज़ल, कविता, गीत के नाम पर कुछ तुकबंदी कर लेते हैं. मीटर, पैमाना, व्याकरण की बंदिशों को दरकिनार करते हुए जैसा मन कहता जाता है, वैसा उतारते जाते हैं. निर्णय आप सब करें कि क्या लिखा, कैसा लिखा?
महसूस करते हैं तुमको
हर एक पल में,
लगता है सिर्फ़ तुम
हो हर एक पल में.
दिल यूँ निकाल के न
रख दो अचानक से,
दिल को दिल से मिला
दो हर एक पल में.
बहकी-बहकी बातों को
यूँ ज़ाहिर न करो,
शायराना से हो रहे
हो हर एक पल में.
एक पल को छूकर तुझे
कुछ यूँ लगा,
छू लिया हो ज़िंदगी
को हर एक पल में.
++++++++++
9 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर लिखा। सुन्दर बुलेटिन।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ,...
शायराना हो रहे हर एक पल में !
वाह बहुत खूब !
आभार सहित
गजब...
काफी से अधिक अच्छी कविता
बेहतरीन बुलेटिन
सादर
बहुत अच्छी कविता। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
सुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार आप का मेरी रचना का चयन करने के लिए।
आभार रचना को पसंद करने के लिए
बूढ़ा इंतज़ार
उस टीन के छप्पर मैं
पथराई सी दो बूढी आंखें
एकटक नजरें सामने
दरवाजे को देख रही थी
चेहरे की चमक बता रही है
शायद यादों मैं खोई है
एक छोटा बिस्तर कोने में
सलीके से सजाया था
रहा नहीं गया पूछ ही लिया
अम्मा कहाँ खोई हो
थरथराते होटों से निकला
आज शायद मेरा गुल्लू आएगा
कई साल पहले कमाने गया था
बोला था "माई'' जल्द लौटूंगा
आह :कलेजा चीर गए वो शब्द
जो उन बूढ़े होंठों से निकले।
पकोड़ा
जिस तरह की चर्चा चल रही है
उससे लगता है जल्द ही पकोड़े बेचना भी
"राष्ट्रीय रोजगार योजना" में शामिल हो जायेगा
शायद कानून भी बन जाये आखिर मसला रोजगार का है
बेरोजगार इंजीनियर पकोड़े की डिजायन बनाऐंगे
IIT वाले पकोड़े की नई तकनीक इजाद करेंगे
स्कूलों में पकोड़ों पर बाकायदा पाठ पढाया जायेगा
पकोड़ा और पकोड़ी में भेदभाव करनें वालों के खिलाफ
सख्त कार्यवाही होगी
दुकान लगाकर पकोड़े बेचनें पर GST लगेगी,
ठेला लगाकर गली मोहल्लों में पकोड़े बेचने पर GSTकी छूट रहेगी,
बड़े पकोड़े बेचनें की अधिकार सिर्फ वैज्ञानिकों के पास होगा
डॉक्टर पर्ची में अपनी क्लिनिक के पकोड़े ही लिखेगा
कुछ रीज्यों में तो शायद पकोड़ा कार्ड भी बन जाये
हर नुक्कड़ पर पकोड़े की दुकानें नजर आयेंगी
देश GDP को एक नई राह मिलेगी
TV पर शाम को डिबेट होगी
ऐंकर मुद्दा उठायेगा की जब सरकार नें पकोड़े का साईज तय कर दिया है तो फिर मुसलमानों नें पकोड़ा बड़ा क्यों बनाया
बहस में बैठे पंडित का भी इलजाम होगा की मुसलमानों का पकोड़ा हमारे पकोड़े से बड़ा क्यों है,
सरकारी प्रवक्ता कहेगा की हमारा पकोड़ा राष्ट्रवादी है
हम तुम्हारे पकोड़े को बर्दास्त नहीं करेंगे
युवाओं में जौश होगा भांत भांत के पकोड़े नजर आयेंगे
सबसे ज्यादा नुक्सान होगा बैचारी पकोड़ी का
क्योंकी सिर्फ पकोड़े को योजना में शामिल किया है पकोड़ी को नहीं,
और फिर बनेगी "पकोड़ी सेना" तोड़ फोड़ होगी
जल्द से जल्द पकोड़ी को भी योजना में शामिल करनें के लियें आंदोलन होगा।
लेकिन बैचारा किसान यहां भी बदकिस्मत ही रहेगा
..
इसलिये रोजगार और विकास गया भाड़ में
बस "पकोडे़ खाओ पकोडे़"
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