नमस्कार
साथियो,
जनता अपनी
मेहनत की कमाई को बैंकों में जमाकर निश्चिन्त हो जाती है. अब जबकि पंजाब नेशनल
बैंक का घोटाला सामने आया है तबसे बैंकों की साख पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. पीएनबी
का घोटाला हीरा कारोबारी की कंपनी और बैंक अधिकारी की मिलीभगत से 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला सामने आया है. ये घोटाला मुंबई की एक
ब्रांच में हुआ. इस घोटाले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके साथी दोषी पाए गए
हैं साथ ही पंजाब नेशनल बैंक के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई है. नीरव
मोदी और उनके साथियों ने सन 2011 में बिना तराशे हुए हीरे आयात
करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित एक ब्रांच से संपर्क किया. सम्बंधित
शाखा से गारंटी पत्र या लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग
(LoU) जारी किये गए.
कोई बैंक
विदेश से आयात को लेकर होने वाले भुगतान के लिए गारंटी पत्र या लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग
(LoU) जारी करता है. इसका ये मतलब होता है कि बैंक किसी
कंपनी के विदेश में मौजूद सप्लायर को 90 दिन के लिए भुगतान
करने को राज़ी हो जाता है और बाद में पैसा कंपनी को चुकाना होता है. पंजाब नेशनल
बैंक के कुछ कर्मचारियों ने कथित तौर पर नीरव मोदी की कंपनियों को फ़र्ज़ी LoU
जारी किए और ऐसा करते वक़्त उन्होंने बैंक मैनेजमेंट को अंधेरे में रखा.
इन्हीं फ़र्ज़ी LoU के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं
ने पंजाब नेशनल बैंक को लोन देने का फ़ैसला किया. बैंक अधिकारियों ने जारी किये LoU
की जानबूझकर कोर बैंकिंग सिस्टम में एंट्री नहीं की गई ताकि बैंक उच्च
अधिकारियों को इसके बारे में जानकारी ही ना हो पाए.
इन
लोगों ने एक क़दम आगे जाकर सोसाइटी फ़ॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फ़ाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन
या स्विफ़्ट (SWIFT) का नाजायज़
फ़ायदा उठाना शुरू किया. स्विफ्ट एक तरह का इंटर-बैंकिंग मैसेजिंग सिस्टम है
जो विदेशी बैंक पैसा जारी करने से पहले लोन ब्योरा पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया
जाता है. इसके इस्तेमाल से दोनों बैंक शाखाओं में आपस में विश्वास बना रहता है.
जिससे वे बिना किसी अविश्वास के लेन-देन का कार्य करते रहते हैं. शाखा प्रबंधक द्वारा
लेनदेन के लिए वैश्विक वित्तीय संदेश सेवा स्विफ्ट का इस्तेमाल किया. स्विफ्ट एकाउंट
का उपयोग किये जाने के चलते भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को कोई शक़ नहीं हुआ और
उन्होंने नीरव मोदी की कंपनियों को फ़ॉरेक्स क्रेडिट जारी कर दिया.
नीरव मोदी
और उसके सहयोगियों की कम्पनियाँ बीती पांच जनवरी तक इसी विधि से पीएनबी के साथ लेनदेन
करती रही. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब पीएनबी के शाखा प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी
सात साल तक एक ही पद पर रहने के बाद रिटायर हुए. यह बैंकिग गाइडलाइन सीवीसी का उल्लंघन
करता है क्योंकि नियमानुसार बैंकों को नियमित रूप से दो या तीन साल पर तबादला करना
होता है. जबकि पीएनबी की यह कोर ब्रांच और संवदेनशील ब्रांच होने के बाद भी यहां के
मैनेजर का ट्रांसफर होने के बाद भी रोका जाता रहा.
इसी
वर्ष 16 जनवरी को नीरव मोदी से जुड़ी कंपनियों ने बैंक को संपर्क कर बायर्स क्रेडिट
की मांग की जिससे वे अपने विदेश के कारोबारियों को भुगतान कर सकें. नये ब्रांच मैनेजर
ने इसके उनसे उतनी ही नकदी की मांग की तो कंपनियों के अधिकारियों ने जवाब दिया कि वे
सन 2010 से इस तरह की सुविधा पाते आये हैं. उन्होंने इसके लिए कभी नकद भुगतान नहीं
किए. इसके बाद ही सारा मामला पकड़ में आया. नए अधिकारियों ने ये ग़लती पकड़ ली और स्कैम
से पर्दा हटाने के लिए आंतरिक जांच शुरू कर दी. पंजाब नेशनल बैंक ने खुलासा किया कि
उसने 1.77 अरब डॉलर (करीब 11,400 करोड़ रुपये) के घोटाले
को पकड़ा है. इस मामले में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने कथित रूप से बैंक की
मुंबई शाखा से फ़र्ज़ी गारंटी पत्र (LoU) हासिल कर अन्य भारतीय
ऋणदाताओं से विदेशी ऋण हासिल किया. इस संबंध में बैंक ने अपने 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और इस मामले की शिकायत केंद्रीय जांच एजेंसी
(सीबीआई) से की है.
हाल फ़िलहाल तो कहा जा रहा है कि इस घोटाले का प्रभाव अन्य
बैंकों पर नहीं पड़ेगा किन्तु अभी कुछ भी कहना अंतिम रूप से सही नहीं लगता है. इस
बारे में सरकार को, जान एजेंसी को पर्याप्त जाँच करनी चाहिए ताकि जनता का बैंकों
पर विश्वास बना रहे.
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5 टिप्पणियाँ:
सुन्दर बुलेटिन।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ..
साख पर बट्टा तो है ही, हमारे तंत्र पर भी सवालिया निशान है ! कब तक ऐसे स्कैंडलों का शिकार बनता रहेगा मध्यम वर्ग ?
कुछ अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिली। आभार।
ॐ
मेरी ब्लॉग पोस्ट की चर्चा आपके मंच पर देख खुशी हुई।
आपके प्रयासों के लिए मेरी मंगलकामनाएं प्रेषित हैं।
- लावण्या शाह
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