Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

रविवार, 5 मार्च 2017

अरे प्रभु, थोड़ा सिस्टम से चलिए ...

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक आदमी ने बहुत कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर उसके सामने भगवान प्रकट हुए और बोले,
 
"माँगो वत्स, क्या वर चाहिए?"
 
आदमी: "अरे प्रभु, थोड़ा सिस्टम से चलिए, पहले तपस्या भंग करने के लिए अप्सराएं आती हैं, फिर आप आना।"

सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

एमस्टर्डम : क्या दौड़ता है इस शहर की रगों में ! 

आज का युगधर्म

खोलिये, खोलवाइये और मोक्ष पाइये, खेलिये कालिदासी होली!

जनसरोकार से जुड़े विविध मुद्दों पर दूरदर्शन मध्यप्रदेश के लिये सजीव चर्चा।

जनकवि कोदूराम "दलित" : १०७ वीं जयंती पर विशेष

जीने की राह

आँखों में नमी, गर्व है दिल में - सेलुलर जेल दर्शन : अंडमान-निकोबार यात्रा

काँटों में गुलाब : लघुकथा

राजर्षि रणसीजी तंवर

जिन्दगी लीज पर है, फ्रीहोल्ड थोड़ी है...

अद्भुत और बहुत उपयोगी जानकारी जो जरुरी है अपनानी 

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

7 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति शिवम जी ।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत सुंदर सूत्र सयोजन
बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार शिवम मिश्रा जी
"अद्भुत और बहुत उपयोगी जानकारी जो जरुरी है अपनानी"

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ प्रभात पण्डित शिवम जी मिश्र
उत्कृष्ठ अंक
सादर

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत बढ़िया लिंक्स | जय हिन्द

अर्चना तिवारी ने कहा…

मेरी लघुकथा 'काँटों में गुलाब' शामिल करने के लिए शुक्रिया शिवम् जी...सूत्र अच्छे लगाये हैं.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार