प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज उषा मेहता जी की ९७ वीं जयंती के अवसर पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं |
सादर आपका
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
प्रणाम |
भारत
  छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस  रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में 
 विख्यात हुई उषा मेहता ने आजादी के  आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और
  आजादी के बाद वह गांधीवादी दर्शन के  अनुरूप महिलाओं के उत्थान के लिए  
प्रयासरत रही। 
उषा ने भारत छोड़ो  आंदोलन के दौरान अपने  सहयोगियों के साथ 14 अगस्त 1942
 को सीक्रेट कांग्रेस  रेडियो की शुरूआत की  थी। इस रेडियो से पहला प्रसारण
 भी उषा की आवाज में  हुआ था। यह रेडियो लगभग  हर दिन अपनी जगह बदलता था, 
ताकि अंग्रेज अधिकारी  उसे पकड़ न सकें। इस खुफिया  रेडियो को डा. राममनोहर 
लोहिया, अच्युत पटवर्धन  सहित कई प्रमुख नेताओं ने  सहयोग दिया। रेडियो पर 
महात्मा गांधी सहित देश  के प्रमुख नेताओं के रिकार्ड  किए गए संदेश बजाए 
जाते थे। 
तीन माह तक
 प्रसारण के बाद अंतत: अंग्रेज  सरकार ने उषा और उनके सहयोगियों  को पकड़ा 
लिया और उन्हें जेल की सजा दी गई।  गांधी शांति प्रतिष्ठान के  सचिव 
सुरेन्द्र कुमार के अनुसार उषा एक जुझारु  स्वतंत्रता सेनानी थी  जिन्होंने
 आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।  वह बचपन से ही  गांधीवादी 
विचारों से प्रभावित थी और उन्होंने महात्मा गांधी  द्वारा चलाए  गए कई 
कार्यक्रमों में बेहद रुचि से कार्य किया। 
आजादी के बाद उषा मेहता  
 गांधीवादी विचारों को आगे बढ़ाने विशेषकर महिलाओं से जुडे़ कार्यक्रमों 
में   काफी सक्रिय रही। उन्हें गांधी स्मारक निधि की अध्यक्ष चुना गया और 
वह   गांधी शांति प्रतिष्ठान की सदस्य भी थीं। 25 मार्च 1920 को 
सूरत के एक गांव   में जन्मी उषा का महात्मा गांधी से परिचय मात्र पांच 
वर्ष की उम्र में ही   हो गया था। कुछ समय बाद राष्ट्रपिता ने उनके गांव के
 समीप एक शिविर का   आयोजन किया जिससे उन्हें बापू को समझने का और मौका 
मिला। इसके बाद उन्होंने   खादी पहनने और आजादी के आंदोलन में भाग लेने का 
प्रण किया। 
उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक डिग्री ली और   
कानून की पढ़ाई के दौरान वह भारत छोड़ो आंदोलन में पूरी तरह से सामाजिक जीवन
   में उतर गई। सीक्रेट कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण उन्हें चार साल की  
जेल  हुई। जेल में उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया और उन्हें अस्पताल में 
  भर्ती कराना पड़ा। बाद में 1946 में रिहा किया गया। 
आजादी के बाद उन्होंने गांधी के सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों पर पीएचडी 
 की  और बंबई विश्वविद्यालय में अध्यापन शुरू किया। बाद में वह नागरिक  
शास्त्र  एवं राजनीति विभाग की प्रमुख बनी। इसी के साथ वह विभिन्न  
गांधीवादी  संस्थाओं से जुड़ी रही। भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से  
सम्मानित किया।  उषा मेहता का निधन 11 अगस्त 2000 को हुआ।
आज उषा मेहता जी की ९७ वीं जयंती के अवसर पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं |
सादर आपका
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हाय रे..मुझसे रोटियां नहीं फुलती हैं....
पेड़ों के नीचे "पवित्र कूड़े" का ढेर
शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (९)
तुम्हारी भौजाई ने घुघुरी बनाया है, आ जाना
मेरी १० वीं वर्षगांठ
निजता को जो पा जाये
जिन्दगी कितनी ही जाने इक कहानी हो गयीं
हिन्दी सिनेमा में होली के रंग
क्या करें सर ....पढ़ने का मूड नही हैं.....
मन के पंछी कहीं दूर चल
तालीस पत्र के गुण फायदे उपयोग
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!




4 टिप्पणियाँ:
आभार पोस्ट को शमिल करने का
उषा मेहता जी की बारे में बहुत अच्छी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद! उन्हें शत शत नमन!
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
देरी से आने के लिए खेद है, सुंदर सूत्र संकलन, आभार !
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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