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शनिवार, 18 मार्च 2017

यूपी का माफ़िया राज और नए मुख्यमंत्री

सुनने में आया कि उत्तर प्रदेश में लाखों विद्यार्थी परीक्षा नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने परीक्षा की तैयारी ही नहीं की और नक़ल कॉन्ट्रैक्टर के जरिए परीक्षा पास होने का सपना पाल रखा था। अब सरकार बदलते ही सरकारी मशीनरी के केंद्र के हाथ में है सो सीधे जेल जाने का डर भी सताता होगा। इस मुद्दे को मैं सामाजिक मानता हूँ और बानवे में सरकार गिरने के बाद के चुनाव में राम लहर पर सवार भाजपा की सरकार सिर्फ इसी शिगूफे के कारण दुबारा सत्ता में नहीं आ पाई। मुलायम सिंह का चुनावी पैंतरा और मुस्लिम यादव समीकरण के कारण पूरी सोशल इंजीनियरिंग बिगड़ गयी। इस बार उत्तर प्रदेश ने चुनाव के बाद जब यह साफ़ किया कि वह आखिर बिहार से बेहतर और अलग क्यों है - इससे बेहतर क्या होगा कि जनता स्वयं को जातिवादी राजनीति से ऊपर निकलते हुए विकास के नाम पर वोट दे! 

बहरहाल नक़ल विरोधी अध्यादेश की बात करते हैं तो अब इसे क़ानून बनाने में कोई अड़चन न होगी। विधान परिषद में भाजपा ही नहीं किसी भी दल को बहुमत नहीं है सो देखते हैं कैसी स्थिति बनती है। यकीनी तौर पर पढ़ाई, शिक्षा को माफिया से निकालना होगा, नक़ल माफिया हैं... पूरा तंत्र है जो नेता मंत्री तक फल-फूल गया है। सरकार ही नहीं बाबूओं की पूरी फ़ौज बदलनी होगी। व्यापम को लेकर छाती पीटने वाले लोगों को अब "यादव भर्ती" घोटाले के लिए तैयार रहना चाहिए - अब सवाल किए जाएंगे कि आखिर हर थाने में यादव, अस्सी में छप्पन एसडीएम यादव कैसे। टोल माफिया, रेत माफिया, नक़ल माफिया, दारु माफिया.... लिस्ट बड़ी लंबी है। 

बहरहाल जो भी हो लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे योगी आदित्यनाथ के लिए चुनौती गंभीर होगी। हमारी तरफ से मोदी और उनकी पूरी टीम को शुभकामनाएं, यह लोकतंत्र का एक नया दौर है, मोदी का दौर है.....  

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2 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

साफिया और माफिया
नदी ना हो जायें
किनारे किनारे चलें
ना मिलें कभी गले
अपने अपने रास्ते
साथ साथ ना बनायें

यही कामना है ।

सुन्दर प्रस्तुति।

कविता रावत ने कहा…

माफियों का साफिया होना चाहिए, यही कामना हैं
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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