प्रवासी भारतीय दिवस या अनिवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है। 9 जनवरी 1915 को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने। यह दिन हर साल प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन के रूप में मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय दिवस 'प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय' का प्रमुख कार्यक्रम है।
प्रवासी भारतीय समुदाय
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। प्रवासी भारतीय समुदाय अनुमानतः 2.5 करोड़ से अधिक है। जो विश्व के हर बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। फिर भी किसी एक महान भारतीय प्रवासी समुदाय की बात नहीं की जा सकती। प्रवासी भारतीय समुदाय सैंकड़ों वर्षों में हुए उत्प्रवास का परिणाम है और इसके पीछे विभिन्न कारण रहे हैं, जैसे- वाणिज्यवाद, उपनिवेशवाद और वैश्वीकरण। इसके शुरू के अनुभवों में कोशिशों, दुःख-तकलीफों और दृढ़ निश्चय तथा कड़ी मेहनत के फलस्वरूप सफलता का आख्यान है। 20वीं शताब्दी के पिछले तीन दशकों के उत्प्रवास का स्वरूप बदलने लगा है और "नया प्रवासी समुदाय" उभरा है जिसमें उच्च कौशल प्राप्त व्यावसायिक पश्चिमी देशों की ओर तथा अकुशल,अर्धकुशल कामगार खाड़ी, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया की और ठेके पर काम करने जा रहे हैं।
( साभार : http://bharatdiscovery.org/india/प्रवासी_भारतीय_दिवस )
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ...
हरगोविंद खुराना
कायस्थों के बारे में रोचक जानकारियां
रोज एक सेब खाएं, लेकिन...
किराडू मंदिर - थार की शान
सोशल मीडिया और वेब पोर्टल्स का राजनीति में हो सकता है बड़ा योगदान
डिग्री और डिप्लोमा में अंतर क्या है?
रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।
कांग्रेस को एक पूर्णकालिक राजनेता की जरूरत
साइंस की उपेक्षा मत कीजिए
नए साल की शुभकामनायें
आज की ब्लॉग बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे, तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
प्रवासी भारतीय समुदाय
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। प्रवासी भारतीय समुदाय अनुमानतः 2.5 करोड़ से अधिक है। जो विश्व के हर बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। फिर भी किसी एक महान भारतीय प्रवासी समुदाय की बात नहीं की जा सकती। प्रवासी भारतीय समुदाय सैंकड़ों वर्षों में हुए उत्प्रवास का परिणाम है और इसके पीछे विभिन्न कारण रहे हैं, जैसे- वाणिज्यवाद, उपनिवेशवाद और वैश्वीकरण। इसके शुरू के अनुभवों में कोशिशों, दुःख-तकलीफों और दृढ़ निश्चय तथा कड़ी मेहनत के फलस्वरूप सफलता का आख्यान है। 20वीं शताब्दी के पिछले तीन दशकों के उत्प्रवास का स्वरूप बदलने लगा है और "नया प्रवासी समुदाय" उभरा है जिसमें उच्च कौशल प्राप्त व्यावसायिक पश्चिमी देशों की ओर तथा अकुशल,अर्धकुशल कामगार खाड़ी, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया की और ठेके पर काम करने जा रहे हैं।
( साभार : http://bharatdiscovery.org/india/प्रवासी_भारतीय_दिवस )
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ...
हरगोविंद खुराना
कायस्थों के बारे में रोचक जानकारियां
रोज एक सेब खाएं, लेकिन...
किराडू मंदिर - थार की शान
सोशल मीडिया और वेब पोर्टल्स का राजनीति में हो सकता है बड़ा योगदान
डिग्री और डिप्लोमा में अंतर क्या है?
रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।
कांग्रेस को एक पूर्णकालिक राजनेता की जरूरत
साइंस की उपेक्षा मत कीजिए
नए साल की शुभकामनायें
आज की ब्लॉग बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे, तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
2 टिप्पणियाँ:
सुन्दर प्रस्तुति हर्षवर्धन ।
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!