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बुधवार, 4 जनवरी 2017

जन्मदिवस ~ कवि गोपालदास 'नीरज' और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष 2017 की शुभकामनाएँ और मेरा सादर नमस्कार।।
गोपालदास सक्सेना 'नीरज' (जन्म- 4 जनवरी, 1925, पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश) वर्तमान समय में सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध कवि हैं, जिन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी काव्यानुभूति तथा सरल भाषा द्वारा हिन्दी कविता को एक नया मोड़ दिया है और बच्चन जी के बाद नयी पीढी को सर्वाधिक प्रभावित किया है। नीरज जी से हिन्दी संसार अच्छी तरह परिचित है। जन समाज की दृष्टि में वह मानव प्रेम के अन्यतम गायक हैं। 'भदन्त आनन्द कौसल्यानन' के शब्दों में उनमें हिन्दी का अश्वघोष बनने की क्षमता है। दिनकर के अनुसार वे हिन्दी की वीणा हैं। अन्य भाषा-भाषियों के विचार में वे 'सन्त-कवि' हैं और कुछ आलोचक उन्हें 'निराश-मृत्युवादी' मानते हैं। आज अनेक गीतकारों के कण्ठ में उन्हीं की अनुगूँज है।

'नीरज' की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वह जहाँ हिन्दी के माध्यम से साधारण स्तर के पाठक के मन की गहराई में उतरे हैं वहाँ उन्होंने गम्भीर से गम्भीर अध्येताओं के मन को भी गुदगुदा दिया है। इसीलिए उनकी अनेक कविताओं के अनुवाद गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में हुए हैं। यही कारण है कि 'भदन्त आनन्द कौसल्यायन' यदि उन्हें हिन्दी का 'अश्वघोष' घोषित करते हैं, तो 'दिनकर' जी उन्हें हिन्दी की 'वीणा' मानते हैं। अन्य भाषा-भाषी यदि उन्हें 'संत कवि' की संज्ञा देते हैं, तो कुछ आलोचक उन्हें निराश मृत्युवादी समझते हैं।



आज हिन्दी भाषा के महाकवि श्री गोपालदास 'नीरज' जी के 92वें जन्मदिवस पर हम सब उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ देते हैं और ईश्वर से उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं। सादर।।


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ....












आज की बुलेटिन में सिर्फ इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।

6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हर्षवर्धन एक लम्बे अंतराल के बाद बुलेटिन ले कर आये । स्वागत है :) आभारी है 'उलूक' उसके सूत्र 'कविता बकवास नहीं होती है बकवास को किसलिये कविता कहलवाना चाहता है' को जगह दी ।

Sushil Bakliwal ने कहा…

आभार आपका । मेरी पोस्ट को विशेष स्थान देने के लिये । धन्यवाद सहित...

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
'नीरज' जी को 92वें जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई!

Anita ने कहा…

कवि नीरज के गीतों को सुनकर मन एक अन्य लोक में विचरण करने लगता है, उनके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई ! बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी मुझे भी आज के बुलेटिन का हिस्सा बनाने के लिये..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

कवि और गीतकार नीरज जी का कोई जवाब नहीं. गीतों में दर्शन और रूमानियत दोनों चरम पर. और मंच पर अपने गीतों का अपना ही अन्दाज़ और अपनी ही एक विशेष धुन!!
मेरा नमन उनको और ईश्वर से प्रार्थना उनके स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिये!!

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

पिछले साठ वर्षों से नीरज हिंदी के सबसे लोकप्रिय कवि रहे हैं. कवि सम्मलेन में यदि नीरज भी आए हों तो अन्य कवियों को श्रोता केवल रस्मी तौर पर ही सुनना चाहते हैं और नीरज के काव्य-पाठ के बाद श्रोताओं की भीड़ अचानक से गायब होने लगती है. इस लोकप्रियता की कीमत नीरज जी को यूँ चुकानी पड़ती है कि उनके काव्य-पाठ की बारी प्रायः सब कवियों के बाद ही आ पाती है. 'कारवां गुज़र गया' गीत तो बच्चन जी की 'मधुशाला' के बाद सबसे ज़्यादा सुना जाता है, नीरज ने हिंदी और उर्दू की पृथकता के तिलिस्म को बार-बार तोड़ा है. नीरज का झुकाव अब लौकिक प्रेम से अधिक आध्यात्मिक प्रेम की ओर हो चला है किन्तु आज भी वो प्रेम के अमर गायक हैं और आने वाली सदियों तक रहेंगे.

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