नमस्कार साथियो,
आप सभी को राष्ट्रीय
युवा दिवस की शुभकामनायें.
युवा संन्यासी के नाम
से प्रसिद्द स्वामी विवेकानन्द जी के जन्मदिन को सम्पूर्ण देश इसे मनाता है. आज ही
के दिन यानि कि 12 जनवरी 1863 को स्वामी विवेकानन्द का जन्म कलकत्ता
में हुआ था. उनकी माता का नाम श्रीमती भुवनेश्वरी देवी और पिता का नाम श्री विश्वनाथ
दत्त था. उनको बचपन में नरेन्द्रनाथ के नाम से पुकारा जाता था. 25 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई. उनके विचारों
से प्रभावित होकर वे उनके शिष्य बन गए. सितम्बर 1893 में
स्वामी विवेकानन्द विश्व धर्म सम्मलेन में शामिल होने के लिए शिकागो (अमेरिका) गए.
वहाँ उनको संबोधन के लिए अत्यंत कम समय मिलने के साथ-साथ सबसे अंत में अवसर दिया गया
था. वहाँ उन्होंने Sisters and Brothers of America (अमेरिकी
भाइयों एवं बहनों) के साथ अपने भाषण का आरम्भ कर समूचे हॉल को प्रभावित किया. इसके
बाद वे भारतीय दर्शन, संस्कृति पर ओजपूर्ण, धाराप्रवाह व्याख्यान देने के चलते लोगों
के चहेते बन गए.
अपने गुरु के निधन
के पश्चात् स्वामी विवेकानन्द ने 1 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना करके
अपने गुरुजी के विचारों को सम्पूर्ण देश में प्रसारित करने का कार्य किया. इसके अलावा
9 दिसंबर 1898 को कलकत्ता के निकट गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ
की स्थापना भी की. वेदांत दर्शन के प्रतिपादक स्वामी विवेकानन्द का कहना
था कि उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये. उनके द्वारा योग,
राजयोग तथा ज्ञानयोग जैसे ग्रंथों की रचना की गई. स्वामी
विवेकानन्द का देहांत 04 जुलाई 1902 को हुआ. उनकी समाधि बेलूर में गंगा तट पर स्थित
है.
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ
टैगोर ने स्वामी
विवेकानन्द के बारे में लिखा है कि यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द
को पढ़िये. उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं.
ब्लॉग बुलेटिन परिवार
की तरफ से स्वामी विवेकानन्द को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है.
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5 टिप्पणियाँ:
स्वामी विवेकानन्द जी को श्रद्धांजलि। सुन्दर प्रस्तुति। विवेकानन्द को वास्तव में जानने के प्रयासों की ज्यादा जरूरत है उनकी फोटो और मूर्तियों से।
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
स्वामी जी को श्रद्धा सुमन!
स्वामी विवेकानन्द जी को हार्दिक श्रद्धांजलि।
स्वामी विवेकानंद को नमन.....
आभार..
देर से देख सकी किन्तु व्तीत विवेकानन्ददिवसकी स्मृति के साथ अन्य प्रयत्न बहुत सराहनीय।
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