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शुक्रवार, 2 मई 2014

अक्षय तृतीया और ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज अक्षय तृतीया है ... अक्षय यानी जिसका क्षय न हो, जो अक्षुण्ण रहे। 'भविष्य पुराण' के अनुसार इस दिन किए गए पुण्य कर्म के साथ-साथ सभी कर्मो का फल अक्षय हो जाता है। इस दिन विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए की गई साधनाएं शीघ्र एवं स्थाई फल देने वाली कही गई हैं।
यूं तो सभी 12 महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु बैसाख की यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। सो, इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। 'पद्म पुराण' के अनुसार इस तृतीया को अपराह्न् व्यापिनी मानना चाहिए। कारण, पूरे वर्ष में कोई भी तिथि क्षय हो सकती है, लेकिन बैसाख शुक्ल तृतीया नहीं। यही वजह है कि इस दिन किए गए हवन, दान, जप या साधना का फल अक्षय होता है।
सौभाग्य का खास दिन
अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत करती हैं। पूर्वजों का आशीर्वाद लेती हैं और पुण्यात्माओं से परिवार वृद्धि की कामना करती हैं। सभी मांगलिक कार्यो के लिए यह सर्वाधिक श्रेष्ठ दिन है। ज्योतिषाचार्यओं के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र में पड़ रही है। इसलिए इसका फल कई गुना अधिक है।
घर विराजेंगी महालक्ष्मी
अक्षय तृतीया को 'लक्ष्मी सिद्धि दिवस' भी माना गया है। इस दिन लक्ष्मी से संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। महर्षि विश्वामित्र ने इस तिथि पर लक्ष्मी की साधना कर स्थायी लक्ष्मी का वरदान प्राप्त किया था। तंत्र लक्ष्मी में पारद लक्ष्मी की साधना को अति महत्वपूर्ण एवं शीघ्र फलदायी माना गया है।अक्षय तृतीया को 'लक्ष्मी सिद्धि दिवस' भी माना गया है। इस दिन लक्ष्मी से संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। महर्षि विश्वामित्र ने इस तिथि पर लक्ष्मी की साधना कर स्थायी लक्ष्मी का वरदान प्राप्त किया था। तंत्र लक्ष्मी में पारद लक्ष्मी की साधना को अति महत्वपूर्ण एवं शीघ्र फलदायी माना गया है।
इसलिए खास है यह तिथि
इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है।
सतयुग व त्रेतायुग का प्रारंभ। नर-नारायण, ह्यग्रीव व भगवान परशुराम का अवतरण।
ब्रह्म के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव।
इसी दिन श्री बदरीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा और श्री लक्ष्मी-नारायण के दर्शन किए जाते हैं।
प्रसिद्ध तीर्थस्थल यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट इसी दिन खुलते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ।
द्वापर युग का समापन भी इसी तिथि को हुआ।
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन सिर्फ इसी दिन होते हैं।
कपाट खुलने के मुहूर्त
यमुनोत्री- दोपहर 11.55 बजे
गंगोत्री- दोपहर 12.10 बजे इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है।

इस जानकारी को आप यहाँ भी पढ़ सकते है |

ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं |
सादर आपका
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सदियों से मैं मौन हूँ/ दीप्ति शर्मा

मोहब्बत तो कभी मरने की बात नहीं करती

ब्लॉगिंग के पांच वर्ष पूर्ण होने की बधाई तो देंगे न .........

मन की स्‍लेट पर !!!!

स्व॰ सत्यजित राय जी की ९३ वीं जयंती

बेमानी है मजदूरों की बात करना

पहुंचे हैं कहां मालूम नहीं

हैप्पी अक्षय तृतीया

एक घंटी की अग्नि परीक्षा

भगवान परशुराम जयंती अक्षय तृतीया के अवसर पर बधाई ...

मई दिवस/ अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस

वादा

भीड़ में स्त्री को छूने मचलते गंदे हाथ ...

गुदगुदी

अनुभवी बूढी आँखे कुछ कहती है
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

10 टिप्पणियाँ:

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन लिंक्स व प्रस्तुति , शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
नवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर बुलेटिन हमेशा की तरह ।

SKT ने कहा…

आपकी निगाह हम पर पड़ी.... आभार!

कविता रावत ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

हम तो कट लिये अहमदाबाद, वर्ना श्रीमती जी को सोना दिलवाना पड़ता! अच्छी जानकारी!!

Sanjay Mahapatra ने कहा…

शुक्रिया आपका

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया सुन्दर चर्चा .... अक्षत तृतीया पर हार्दिक बधाई शुभकामनाएं

वाणी गीत ने कहा…

अक्षय तृतीय से सम्बंधित अच्छी जानकारी प्राप्त हुई .
बुलेटिन में शामिल करने का बहुत आभार !

Smart Indian ने कहा…

बढ़िया जानकारी, सुंदर समेकित प्रस्तुति, धन्यवाद!

priyadarshini ने कहा…

बहुत-बहुत शुक्रिया।

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