प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
एक बार की बात है ... एक आदमी और एक औरत दोनों की कारों का आपस में ज़बरदस्त एक्सीडेंट हो जाता है। किस्मत से दोनों अपनी कारों से सही सलामत बाहर निकलते हैं।
महिला कारों की तरफ हैरत से देखकर आदमी से बोलती है, "देखो हमारी कारों की क्या हालत हो गई है और हम दोनों को कुछ नहीं हुआ। लगता है ऊपर वाला हमें संकेत दे रहा है कि हम दोनों को दोस्त बन जाना चाहिए और एक दूसरे को दोष देने में नहीं उलझना चाहिए।"
आदमी कहता है, "हाँ मैं बिलकुल सहमत हूँ।"
महिला अपनी कार से सड़क पर लुढक कर आई दो बोतलों की तरफ इशारा करके बोली, "देखो ये मेरी स्कॉच की बोतलें भी टूटने से बच गई। ये भी उपरवाले का ही संकेत हो सकता है कि हमें इन्हें खोलकर इसी वक्त सेलिब्रेट करना चाहिए।"
महिला कारों की तरफ हैरत से देखकर आदमी से बोलती है, "देखो हमारी कारों की क्या हालत हो गई है और हम दोनों को कुछ नहीं हुआ। लगता है ऊपर वाला हमें संकेत दे रहा है कि हम दोनों को दोस्त बन जाना चाहिए और एक दूसरे को दोष देने में नहीं उलझना चाहिए।"
आदमी कहता है, "हाँ मैं बिलकुल सहमत हूँ।"
महिला अपनी कार से सड़क पर लुढक कर आई दो बोतलों की तरफ इशारा करके बोली, "देखो ये मेरी स्कॉच की बोतलें भी टूटने से बच गई। ये भी उपरवाले का ही संकेत हो सकता है कि हमें इन्हें खोलकर इसी वक्त सेलिब्रेट करना चाहिए।"
यह कहकर उसने अपनी गाड़ी की पिछली सीट से गिलास निकालकर उस आदमी को थमा दिया जो रज़ामंदी में मुंडी हिलाता हुआ अपने आप को आराम देने के लिए झटपट एक बोतल खाली कर गया। उसकी बोतल खाली हुई ही थी कि महिला ने एक और बोतल खोल कर झट से उसके हाथ में रख दी।
आदमी ने पूछा, "क्या हुआ तुमने तो एक घूँट भी नहीं लिया। किसका इंतज़ार कर रही हो?"
महिला ने जवाब दिया, "हाँ , पुलिस का ।"
आदमी ने पूछा, "क्या हुआ तुमने तो एक घूँट भी नहीं लिया। किसका इंतज़ार कर रही हो?"
महिला ने जवाब दिया, "हाँ , पुलिस का ।"
सादर आपका
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सीमा
सच्ची-झूठी ...
बनाना चाहो तो
बड़े लोग
माँ : तुझे सलाम ! (1)
उक्ति - 47
महताब बाग → मुगलकालीन खूबसूरत बाग (कुछ पल आगरा से ......7)
ओ इंसानियत के दुश्मनों
मोतियाबिन्द ....
क्या लिखूँ .
बहु, कब तक बिस्तर पर मुंह फ़ुलाये पडी रहोगी?
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
11 टिप्पणियाँ:
हा हा समझदार महिला थी । बहुत सुंदर सूत्रो के साथ सुंदर बुलेटिन :)
भगवान बचाये!! मेरी सहानुभूति उस बेचारे के साथ!! :)
त्यागी उवाच को जगह देने और बढ़िया चिट्ठे पढ़वाने के लिए आभार!
त्यागी उवाच को जगह देने और बढ़िया चिट्ठे पढ़वाने के लिए आभार!
बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर बुलेटिन
सुंदर लघुकथा और बढिया बुलेटिन।
bahut sundar ... jay ho ...
मेरी कविता को ब्लॉग बुलेटिन से लिंक करने हेतु हार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी ...
जन्मदिन पर मंगलकामनाएं शिवम् !
maine aaj dekha...shukriya sthaan dene ke liye.. :)
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