मानव तस्करी... हमारे समाज की घिनौनी कडी... सबसे घिनौनें अपराधों में से एक... रोज खबर आती है... बच्चों, युवतियों व महिलाओं का अपहरण कर उन्हें किसी अनजानी जगह ले जाकर अनैतिक काम के लिए मजबूर किया जाता है.... यह हमारे समाज की एक घिनौनी तस्वीर है... आखिर क्यों होता है यह काला कारोबार.... अलग अलग जगहों पर चलनें वाले प्लेसमेंट एजेन्सियों की आड में गरीब लोगों को अच्छी नौकरी और अच्छे पैसे के लालच में इस अन्धी दुनियां में धकेल दिया जाना । पिछले दिनों दिल्ली में १०५ पासपोर्ट मामले को देखा जाये तो बडी हैरानी होगी... कैसे विदेश भेजनें के नाम पर इन दलालों नें अपना पूरा नेटवर्क चलाया हुआ है, यह तो केवल एक कडी थी... कितनें सफ़ेदपोश भी इस काले कारोबार में लिप्त होंगे...
हरियाणा.... देश का सबसे खुशहाल राज्य.... साक्षरता दर:- ७२% के ऊपर, प्रति व्यक्ति आय :- राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा, पूरी तरह से खुशहाल राज्य लेकिन मानव तस्करों के लिए भी यह उतना ही खुशहाल है... राज्य का बिगडा लिंग अनुपात इसके लिए एक बडी वजह है.... इसी बिगडे लिंग अनुपात नें मानव तस्करों के लिए तरक्की के नये रास्ते खोल दिये हैं... शादी के लिए कई परिवारों ने पूर्वोत्तर के राज्यों से लड़कियां मंगवा कर कर शादी की है, हैरानी इसलिए भी है क्योंकि यह सामाजिक रूप से इन्हे गलत भी नहीं लगता... यह मानव तस्करों के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है। इस बाजार की मांग पर दलाल किसी भी हद्द तक जानें में नहीं चूकते.... पूरा देशव्यापी नेटवर्क बना रखा है....
आईए कुछ बातों पर गौर करें....
- यदि कोई प्लेसमेंट एजेन्सी विदेश में या फ़िर देश में ही किसी अलग शहर में नौकरी देनें का वादा कर रही है तो फ़िर इसकी जांच करें। एप्वाईंटमेंट लेटर में दिए गये नम्बरों की अच्छे से पडताल करें....
- विदेश में दी जा रही नौकरी के लालच के लिए विदेश मंत्रालय से सम्पर्क करें और पूरी तसल्ली के बाद ही आगे निर्णय लें।
- कहीं भी घर में या फ़िर होटल में किसी नाबालिग को काम करते हुए देखें तो तुरन्त पुलिस को काल करें, इसे अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी समझें।
- सतर्क रहें... और जागरूकता फ़ैलाएं...
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आईए बुलेटिन को आगे बढाते हैं....
दिल्ली में फिर एक माँ ने बच्ची को लावारिस छोड़ी अनिल अत्री at नुक्कड
दिल्ली में फिर एक माँ ने बच्ची को लावारिस छोड़ी ...नवजात बच्ची को
छोडकर बच्ची कि माँ अस्पताल से फरार ..अस्पताल में दिया गया महीला का पता मिला
गलत ....बच्ची ठीक हालत में नरेला के सत्यवादी हरिश्चंदर अस्पताल में भर्ती
..माँ का अभी तक कोई सुराग नही अस्पताल ने पुलिस को कि शिकायत .....*
*वी ओ 1 देखिये ये बच्ची कितनी प्यारी है ....चेहरे पर कितनी मुश्कान ....अब
ये बच्ची बोल तो नही पा रही है पर अपनी माँ से ये सवाल मन ही मन जरूर कर रही
होगी कि क्यों इनको जन्म लेते ही माँ ने त्याग दिया ....ये पूछ रही होगी कि
माँ मेरा क्या कसूर था कि मुझे हन्म लेते ही अनाथ बना दिया .....माँ इसमें
मेरा क... more »
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अब तो अभियान चलाना होगा ……… वन्दना at All India Bloggers' Associationऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
*अब तो अभियान चलाना होगा
ब्लोगिंग का वास्तविक अर्थ समझाना होगा *
*अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर न *
*प्रश्नचिन्ह लगने देना होगा*
*ब्लोगर्स को एक जुट होना होगा*
*अपना दम ख़म दिखाना होगा*
*अपनी आवाज़ उठाना होगा*
*तानाशाही से ब्लोगिंग को बचाना होगा*
*सिर्फ शब्दों की अहमियत समझाना होगा*
*संयमित भाषा के प्रयोग के साथ*
*ब्लोगिंग को नया अर्थ देना होगा*
*मगर गूगल का ये दखल *
*क़यामत ले आएगा *
*हर ब्लोगर फिर ब्लोगिंग करने से घबराएगा*
*कहो गूगल महाराज ! फिर कैसे तुम्हारा*
*खर्चा पानी चल पायेगा *
*जब हर ब्लोगर यहाँ से *
*हाथ जोड़ कर निकल जायेगा*
*ब्लोगिंग पर अनचाहा अंकुश न लगने देना होगा*
*गूगल को भी ह... more »
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विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर व्याख्यानमाला : 5 फरवरी 2012 को दोपहर 2 बजे से अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़
कैंसर
एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन थोडी़ सी जागरूकता से इस बीमारी से बचा जा
सकता है । यह कहना है अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख प्रोफेसर
जी
के रथ का । प्रोफेसर रथ के अनुसार इस बीमारी से कैसे बचा जाए, लोगों को इस
बारे में जानकारी का अभाव है इसलिए कैंसर विभाग के डॉक्टर लोगों के बीच
जाकर
उन्हें जागरूक करना चाहते हैं।
कल 5 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस भी मनाया... more »
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मेरे सबसे पसंदीदा फिल्मकार गुरुदत्त ने जब
कागज़ के फूल बनाई थी तो आज जैसा इंटरनेटी युग नहीं था...साहिर लुधियानवी साहब ने इस फिल्म
के लिए कालजयी गीत लिखा था...
*ये महलों, ये तख्तों, ये ताजो की दुनिया, *
*ये इनसां के दुश्मन रिवाजों की दुनिया, *
*ये दौलत के भूखे रिवाज़ों की दुनिया, *
*ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या **है**...*
*
*
*
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ये फिल्म आज के आईटी युग में* **सॉफ्टवेर **के फूल*नाम से बनती तो शायद साहिर साहब का ये गीत कुछ इस अंदाज़ में लिखा जाता...
*ये डाक्यूमेंट्स, ये मीटिंग्स, ये फीचर्स की दुनिया,
ये इनसां के दुश्मन कर्सर की दुनिया,
ये डेडलाइन्स के भूखे मैनेजमेंट की दुनि... more »
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'तो? क्या चाहिए?
'तुम चाहिए'
'अच्छा, क्या करोगी मेरा?'
'बालों में तेल लगवाउंगी तुमसे'
'बस...इतने छोटे से काम के लिए मैं तुम्हारा होने से रहा...कुछ अच्छा करवाना
है तो बोलो'
'तुम हारे हुए हो...तुम्हारे पास ना बोलने का ऑप्शन नहीं है'
'अच्छा जी...कब हारा मैं तुमसे? मैंने तो कभी कोई शर्त तक नहीं लगाई है'
'अच्छा हुआ तुम्हें भी याद नहीं...मैं तो कब का भूल गयी कि तुम कब खुद को हारे
थे मेरे पास...अब तो बस ये याद है कि तुम मेरे हो...बस मेरे'
'तो ठकुराइन हमसे वो काम करवाइए न जो हमें अच्छे से आता हो'
'मुझे तुम्हारे शब्दों के जाल में नहीं उलझना...तुम्हारे कुछ लिख देने से मेरा
क्या हो जाएगा...सर मे... more »
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*प्रेरक प्रसंग**-22***
*भूल का अनोखा प्रायश्चित***
*प्रस्तुतकर्ता : मनोज कुमार*
बापू और महादेवभाई
नागपुर के पास अस्पृश्यता-निवारण संबंधी दौरा हो रहा था। एक दिन की बात है।
बापू का हाथ पोछने वाला रूमाल पिछले पड़ाव पर काम-धाम की अफरा-तफ़री,
भीड़-भाड़ में कहीं छूट गया। शायद सूखने के लिए फैलाया गया था, वहीं रह गया।
बापू को रूमाल की जब ज़रूरत पड़ी, तो उन्होंने महादेवभाई देसाई से मांगा।
महादेवभाई ने कहा, “खोज लाता हूं।”
उन्होंने बहुत खोजा। रूमाल नहीं मिला। बड़ी दुविधा में थे महादेवभाई, बापू से
कैसे कहा जाए कि रूमाल नहीं मिला, कहीं खो गया। फिर भी कहना तो था ही।
उन्होंने जाकर कहा, “बापू, ... more »
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*“स्मृतियों में रूस”* भले ही शिखा वार्ष्णेय की स्मृतियों का दस्तावेज़ हो,
लेकिन पिछली पीढ़ी के हर भारतीय की स्मृतियों में बसता है. पूर्व विदेश मंत्री
श्री वी. के. कृष्णमेनन जब रूस गए थे तो वहाँ से इंदिरा के लिए रूसी गुड़िया
लेकर आए थे. रूसी सर्कस के लचीले कलाकार आज भी अपने प्लास्टिक और रबर सरीखे
शरीर के लिए याद किये जाते हैं. रूस में राज कपूर और नरगिस की यादें भी इतनी
प्रगाढ़ थीं कि जब प्रसिद्द अंतरिक्ष यात्री यूरी गैगारीन पहली बार राज कपूर से
मिला, तो हाथ मिलाते हुए बोला, *“आवारा हूँ!”*
जब संबंधों की ऐसी गहराई हो, तो एक १६-१७ वर्ष की युवती के लिए
विद्यालायोपरांत स्नातकोत्तर स्तर तक ... more »
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* **उड़ते परिंदों का जहां कहीं और है
उनकी ज़मीं आसमां कहीं और है
महलों दुमहलों की उनको ज़रुरत नहीं
उनका आशियाना कहीं और है *
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** झुकते बादलों का ठिकाना कहीं और है **
उनका किस्सा फ़साना कहीं और *
* ** **ऊँचे पर्वतों की उन्हें ज़रुरत नहीं *
* उनका हवाओं से याराना कुछ और है *
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* बहते झरनों का तराना कुछ और है *
* उनकी रागिनी, गाना कुछ और है *
* राहे पत्थरों की उनको परवाह नहीं *
* मंजिल ऐ मुकां, का बहाना कुछ और है .*
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* राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है *
* उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है*
* इस दीवानगी म... more »
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आज मै भी मंदिर घंटिया बजा आया हूँ ,
भगवान को सोते से अभी जगा आया हूँ ,
जब से आप भी मेरी तरह सोने लगे है ,
शहर में हर रात कितने क़त्ल होने लगे है ,
देखो मांग में सिंदूर भरे लटो से गिरती बूंदे,
लेकर स्रजन की देवी भी पूजा करने आई है ,
फिर भी कल रात एक चीख सुनने में आई है ,
शायद दहेज़ ने एक लड़की जिन्दा फिर खाई है ,
कितने मन से पुकारा था द्रौपदी को याद करके ,
फिर उससे हिस्से में नग्नता की क्यों आई है ,
कितनी ही इंतज़ार में बैठी ऊपर के बने रिश्तो के,
क्या उनके हाथ में तुमने वो रेखा भी बनाई है ,
कुंती की तरह डर से सड़क पर पड़े भीष्म के शव ,
क्या माँ बन ने का अधिकार वो खुद ले पाई है ,
भगवान अब आलोक... more »
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जब आंख खुली तो खुद को पुलिस थाने में पाया। रेल थाना था। पुलिस के पास मुझे
लोगों ने रेलवे पटरी से उठा कर इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए पहंुचाया
था। पुलिस ने रीना के परिजनों को भी पकड़ लिया था। मेरे उपर से एक पूरी रेल
गुजर गई थी और मैं जिंदा था। मैं पटरी के बीचो बीच गिरा था और पटरी से चिपका
रहा था, फिर बेसुध हो गया था।
फिर एक पुलिस वाले ने आकर मेरा हाल चाल पूछ और मुझे ठीक पाया। फिर वह चला गया
और स्थानीय लोग आ आ कर मुझे देखने लगेे। बच गया बेचारा। सब के मुंह से यही
भाषा निकल रही थी। फिर मैं उठ कर खड़ा हुआ और फिर रीना के बारे में पूछा तो
किसी ने बताया कि वह बगल में है। उधर बढ़ गया... more »
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दुल्हन बन मै हूँ तैयार ले आओ साजन अब तुम बारात Reena Maurya at संस्कार कविता संग्रह
* * *लाल चुनर मंगवा ली है * *अरमानो के चाँद -सितारों से सजा दी है * *देखो ये माथे की बिंदिया दमके * *बालों में सजा गजरा महके * *दुल्हन बन मै हूँ तैयार * *ले आओ साजन अब तुम बारात * *हरी चूड़िया पहन मै आई * *मेहंदी से तेरा नाम भी रचवाई* *चाँदी की पायल बनवाई * *इसे पहन तुम्हारे संग * *फेरों की मै आस लगाए * *दुल्हन बन मै हूँ तैयार * *ले आओ साजन अब तुम बारात * *आँखों का कजरा शरमाए * *होंठो की लाली मुस्काए * *ख़ुशबू से तन महका जाए* *तेरे प्रेम को मन तरसा जाए * *ये सोलह शृंगार कहीं उतर ना जाए * *देखो अब कराओ ना इंतजार * *दुल्हन बन मै हूँ तैयार * *ले आओ साजन अब तुम बारात *
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आज का बुलेटिन यहीं तक....मिलते हैं जल्दी ही.....
11 टिप्पणियाँ:
सभी लिंक्स बहुत बेहतरीन है
मेरी रचना को शामिल कर मान देने के लिए आभार
सार्थक बुलेटिन... अच्छे लिंक्स.. ज्वलंत समस्या पर विचार!!
सुन्दर पठनीय बुलेटिन...
वाह!!!!!सुंदर प्रस्तुति ,बहुत अच्छे लिंक्स
नई रचना ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
बढ़िया बुलेटिन
सुन्दर लिंक संयोजन्……बढ़िया बुलेटिन
ज्वलंत समस्या पर उत्तम विचार.... !!
लिंक्स की उत्तम प्रस्तुती.... !!
बहुत कुछ सिखने को मिला.... !!धन्यवाद.... :):)
गलत बातों पर कोई बोलता नहीं ... खैर , लिंक्स एक से बढ़कर एक
देव बाबु आज बेहद अहेम मुद्दा को उठाया आपने ... पर अफ़सोस आजकल इस पर किसी का भी ध्यान नहीं है ... चुनावी मौसम है और हर पत्रकार आजकल केवल नेता जी के आगे पीछे घूमता नज़र आता है ... वहाँ उनको काफी मसाला जो मिलता है ... कभी जूता कभी चप्पल ... कभी कुछ कभी कुछ ... और जब इस तरह की मसालेदार खबरे हो तो अक्सर असली मुद्दे कहीं खो जाते है ... बेहद दुखद है यह सब पर क्या करें कि यही आज का सत्य है !
एक सार्थक बुलेटिन के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
सार्थक बुलेटिन!
सभी का धन्यवाद... :-)
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!