ब्लॉग क्यूँ बना ? हम एक दूसरे के ब्लॉग तक क्यूँ गए ? हमने सराहना क्यूँ की ? हमने क्यूँ फिर ऐसा मंच बनाया जहाँ हम साथ चल सकें ? सबके पास भावनाओं का ज्वार था , और हिंदी को फिर से जिंदा करने की अदम्य चाह ! यानि ख्वाब एक , गंतव्य एक ... तो इस तरह उदासी क्यूँ ? अभी तो २०१२ की शुरुआत है और कई पुराने दरवाज़े की चाभी मेरे हाथ में है , रुको तो सही , पढ़ो तो सही , जानो तो सही कि कितनी ज़रखेज़ मिट्टियाँ हमारे पास हैं ! चलिए सभी दरवाज़ों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें , काला टीका लगा दें - अरे हाँ , शब्दों , सपनों को भी नज़र लग जाती है . तो चलिए नज़र उतारें -
सबसे पहले मिलिए अनुलता से , जो लिखती है विद्या के नाम से . कहती हैं - " मेरा नाम जो माता पिता ने दिया वो "अनुलता" है...अपनी लेखनी पर भरोसा नहीं था शायद इसलिए ये विद्या नाम चुना..जो अब मेरे मन को ज्यादा अपना लगता है :-) "
इनके लिंक्स कई ख्याल , कई सपने , कई मुस्कान दे जायेंगे - खोलिए तो सही बारी बारी -
अब एक मुलाकात नीरज गोस्वामी जी से , जिनकी किताबों की दुनिया , और रूह से निकली ग़ज़ल सबके दिलों पर राज करती है . पर कुछ बातें जो पीछे रह जाती हैं , वे अनदेखी , अनसुनी न रह जाएँ , उसके लिए बुलेटिन अपने पंख फैलाता है और चोंच में अपनी कुछ लिंक्स लिए आता है .... ये बड़े सुकूनी दाने हैं , एक बार चुग लिया तो बार बार भूख लगेगी . तो देर क्या सबेर क्या , ये देखिये -
अब बारी है उस कवयित्री की , जिसे खुद पर भरोसा है और कई बार नहीं भी ... ऐसा क्यूँ , वो इसलिए कि भय और विश्वास आठ साथ चलते हैं ! वाणी शर्मा जिनकी दृष्टि में क्षितिज है , मरीचिका नहीं . उनकी रचनाएँ उनकी दृष्टि इस बात का प्रमाण हैं -
नाम मेरा ही यानि रश्मि शब्द मेरे हमनाम का - " कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।" इस खालीपन को भरने जाओ तो एहसासों की गर्द पन्नों पर जम जाती है , और कविता बन जाती है ...
अब मेरे साथ हैं अमरेन्द्र शुक्ल यानि उनकी रचनाओं के लिंक्स ज़िन्दगी बोलती है शब्दों में कुछ यूँ
मधुशाला और रश्मिरथी का अध्ययन करनेवाले मधुरेश जी की रचनाएँ मौन निमंत्रण देती हैं तो इस निमंत्रण पत्र को आपके हाथों में थमाते हुए मैं विनम्र आग्रह करती हूँ - एक बार आइये , फिर कहना नहीं होगा -
चलने की है तैयारी , पर नशा है भारी देवांशु निगम जी का तो दो घूंट हो जाए -
धीरे धीरे बहो हवा ... सब नशे में हैं , कोई पन्ना पलट न जाए ...
25 टिप्पणियाँ:
अरे दी...
शुक्रिया..
अपने आप को यहाँ पाकर ऐसा लगा जैसे मैं celebrity हूँ कोई...
आपके प्रोत्साहन और स्नेह के लिए मैं सदा आभारी रहूंगी.
आपका बहुत धन्यवाद.
वाह रोज रोज तारीफ करता रहूं
चाहता हूं इस ब्लॉग का परमानेंट
प्रशंसक बनना।
वाह ...बहुत खूब सब एक से बढ़कर एक ...आभार ।
shubh sandesh deta ...badhia bulletin.
facebook ke madhyam se aaj hi yahan pahuchi hoon bahut pasand aaya aapka sootron se jodne ka tareeka sheershak ka shayrana andaaj dil ko bha gaya.
Shukriya RAshmi ji , yaha per apne aap ko paker bahut accha laga
sabhi links bahut hi acche hai ......aabhar
बड़ी नशीली हवा है!!
सभी लिंक्स एक से बढकर एक हैं।
सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं... चुने हुए फूलों की तरह... आभार
सही लिखा आपने " सब नशे में हैं ",दावा करती हूँ ,नशे का खुराक पाकर मुझसे ज्यादा , कोई "और" नशे में नही हो सकता.... !!
शीर्षक मजेदार है ,जो नशे में हैं उन्हें सावधान और जो नशे में नहीं थे उन्हें भी नशेडी बनाने का सबब !
आपके चुने हुए लिंक्स में खुद को देखना अच्छा लगता है !
सच है बसंत का नशा ही निराला होता है..सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं... बसंती रंगो सा.
बढ़िया..////इसे भी देखे :- http://hindi4tech.blogspot.com
"ठुकराओ अब कि प्यार करो ... मैं नशे में हूँ ... ;-)"
यह नशा बना रहे ...
शुक्रिया रश्मि जी ,
अपने बुलेटिन में बड़े बड़े लोगो के बीच आपने जगह दी, बहुत बहुत शुक्रिया !!!!
विद्या जी की बात से सहमत हूँ कि सेलिब्रिटी जैसी फीलिंग आ रही है :) :) :)
लाजबाब लिंकों की प्रस्तुती....
my new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं!
रोचक सूत्र..
रश्मि जी, ब्लौग बुलेटिन में जोड़ने के लिए आभार!
इस साईट के बारे में मुझे पता भी नहीं था. अब नियमित पढूँगा! :)
बहुत ही सुंदर और बहुत ही बेहतरीन । चुनिंदा संग्रहणीय लिंक्स
बहुत सुंदर!
क्या बात है ..सब एक से बढ़कर एक लिंक्स.मजा आ गया.
ब्लोग्स से जुड़े रहना ...अब ये नशा नहीं तो क्या है ... बहुत अच्छी प्रस्तुति ..
बढिया प्रस्तुति।
सबसे पहले तो क्षमा याचना कि वक्त पर मैं यहां उपस्थित नहीं हो पाई। दूसरा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि हमनाम होने का मान दिया और मुझे यहां शामिल किया। सारे लिंक्स बहुत अच्छे लगे। उम्मीद है अब अक्सर यहां मुलाकात होगी।
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