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मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

2016 अवलोकन माह नए वर्ष के स्वागत में - 36





अवलोकन के लिए यात्रा अनवरत होती है, कई बार नींद और भूख को किनारे रखकर उन मार्गों पर समाधिस्थ होता है मन, जहाँ से सत्य अवतरित होता है, ख्वाब एक नई सोच को उजागर करते हैं, और कहते हैं, जीवन को सोचने और जानने का एक ढंग यह भी है 



आराधना मुक्ति 

इतना खराब भी नहीं होता समय से पहले बड़े हो जाना 
सोचना अपने आसपास के लोगों के बारे में 
गुदगुदे गद्दों की जगह हकीकत की पथरीली ज़मीन पर सो जाना

बुरा तो वह भी नहीं कि कलम-स्लेट पकड़ने वाले नन्हे हाथ 
बीनते हों कूड़े के ढेर में चमकीली चीज़ें
कन्धों पर बस्तों की जगह लादे हुए 'रात के खाने' की चिंता

बुरा तब भी नहीं होता जब आँखों में लिए बेहतर ज़िंदगी के सपने
शहर में आयी एक लड़की के हो जाएँ कई टुकड़े
या दूर किसी जंगल में हिरनी बच्चों की जगह जन रही हो ईंट-पत्थर

फुटपाथों पर सोते 'कीड़े-मकोडों' का कुचले जाना बुरा नहीं होता 
रिक्शेवालों का धूप में तपते-तपते शराब में डूब जाना बुरा नहीं होता
नहीं होता बुरा फेरीवालों का पुलिसवालों से लूटा जाना
एड्स-मधुमेह-हृदयरोग की जगह मलेरिया या टी.बी से मर जाना बुरा नहीं होता

यहाँ कुछ भी बुरा नहीं होता सिवाय इसके 
कि कुछ बेहद पैसे वाले लोगों ने हड़प लिए हैं कुछ कम अमीर लोगों के पैसे 
या ऊँचे सरकारी दफ्तरों में हो गयी है कोई कागज़ी हेर-फेर

बहुत बुरा होता है जब होते हैं झगड़े 
ऊँचे पदों पर बैठने के लिए ऊँचे-ऊँचे लोगों के बीच 
कि उनलोगों के लिए सब अच्छा-अच्छा होना चाहिए

बुरा होता है सड़कों के बीच गड्ढों का होना 
भले ही फुटपाथों पर बजबजाते हों नाले
बड़ी गाड़ियों के चलने के लिए ज़रूरी हैं सीधी-सपाट सड़कें

बुरा होता है चलते-चलते एलीवेटर का रुक जाना 
कि कुछ लोगों को पैदल चलने की आदत नहीं होती 
वे चलते हैं उनके सहारे जिन्हें वे अपने पड़ोस में बसने भी नहीं देना चाहते

बुरा होता है चले जाना बिजली का किसी बड़े मॉल में 
कि आदी होते हैं वहाँ के अधिकतर लोग ठंडी चीज़ों के 
लिजलिजी सड़ी गर्मी तो गरीबों की थाती हुआ करती है

बुरा है 'छोटी-छोटी बातों पर' नारे लगाना
बुरा है 'बड़े लोगों' पर उँगली उठाना 
शहर 'कहीं भी' चले जायं, इजाज़त है
बुरा है गाँवों और गँवारों का शहरों में घुस जाना

3 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

आराधना मुक्ति जी की सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभार!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह बहुत खूब ।

आराधना मुक्ति ने कहा…

मेरी रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद !

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