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शनिवार, 14 मई 2016

अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन कोड

हमारे देश में सड़क यातायात को नियंत्रण करने के लिए नियम होते हैं, हर राज्य की गाड़ी के लिए अलग कोड है, हर प्रकार की गाड़ी के लिए अलग कोड होता है, जैसे की उत्तर प्रदेश की गाड़ी की नंबर प्लेट UP महाराष्ट्र के लिए MH इत्यादि। आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) इस बात को सुनिश्चित करता है कि सड़क पर अनुशासन बना रहे इत्यादि। चलिए यह तो बात रही घरेलु सड़क यातायात की, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हवाई यातायात के लिए नियम कौन बनाता है? उस पर भी अंतर्देशीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए क्या नियम होते होंगे, यहाँ तो मामला कई देशों का है और उसपर भी हर देश में अपने अंतर्देशीय उड़ान हैं सो इसको संचालित कैसे किया जाता है। विश्व में यात्री वायुयानों को चलाने के लिए दो महत्त्वपूर्ण संघ हैं, IATA (अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ) और दूसरा ICAO (अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन)। यह दोनों ही संघ विश्व में प्रत्येक एयरलाइनर को एक अद्वितीय विशेष पहचान देते हैं, इनके द्वारा ही दिए गए कोड से हर एयरक्राफ्ट भी पहचाना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में कहूं तो यह दो प्रकार के कोड होते हैं, जिनके पीछे एक अनोखा लॉजिक है। समझाने का प्रयास करता हूँ, मानिए भारत के इकलौते पूर्णकालिक अंतराष्ट्रीय एयरलाइनर एयर इण्डिया के पास एक सौ नौ जहाज हैं, और इनमे से हरेक जहाज की एक अलग पहचान होगी ताकि उसे हर उड़ान में एयर ट्रैफिक कंट्रोल पहचान सके। इस पहचान को IATA (अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ) और दूसरा ICAO (अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) द्वारा एक नियम से संचालित किया जाता है।

अंतर्देशीय विमानन कोड: प्रत्येक अंतर्देशीय एयरलाइनर को एक अंक और एक अक्षर का कोड मिलता है, उदाहरण के लिए इंडिगो को 6E, एयर वेल्स को 6G और या फिर जेट एयरवेज को 9W कोड मिला, यह शून्य से नौ अक्षर से शुरू होने वाले एयरलाइन कोड यह बताते हैं कि यह एयरलाइन अभी पूर्णकालिक नहीं है। 

अंतराष्ट्रीय विमानन कोड:  पूर्णकालिक और अंतराष्ट्रीय एयरलाइनर के लिए यह और सरल है, उदाहरण के लिए एयरइण्डिया को AI, एयर फ्रांस को AF, यूनाइटेड एयरलाइन्स को UA का कोड मिल गया। कोई भी अंतर्देशीय एयरलाइनर एक निर्धारित अवधि (भारत के छः साल की उड़ान) पूरी करने के बाद ही अंतराष्ट्रीय उड़ान शुरू कर सकता है।

अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ किसी भी एयरलाइनर के विदेशी उड़ान शुरू करने या यूँ कहें की रूटीन से फुल टाइम होने के पहले उसका कोड बदल देता था लेकिन बाद में बढ़ती हुई एयरलाइनरों की संख्या ने उसकी इस व्यवस्था को काफी हद तक बदलने पर मजबूर कर दिया है। वैसे यह कोड / मानक नामतंत्र अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ के द्वारा स्थापित है जिसपर एयरलाइनर का कोई नियंत्रण नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मानकों को और अधिक सुचारु रूप से पालन करवाने के लिए वायु यातायात संघ और नागर विमानन संगठन ने "ओपन स्काई" का एग्रीमेंट सभी देशों और एयरलाइनरों को मानने के लिए कहा जिसका बड़े पैमाने पर समर्थन किया गया। यात्री जहाज़ों को एक अलग पहचान मिली और उनको लेकर अलग से मानदंड बनाए गए, यहाँ तक कि युद्ध की स्थिति में भी यात्री जहाजों को नुकसान नहीं किया जा सकता है। हवाई जहाज के लगी हुई विशिष्ट रंग वाली बत्तियां यह बताती है कि कोई जहाज यात्री जहाज है, या कोई बमबर्षक ताकि दूर से ही उसे पहचाना जा सके। 

एयरक्राफ्ट कोड: 

नागर विमानन संगठन हर प्रकार के विमान को एक अलग कोड देता है, जैसे कि एयरबस 380 के लिए A380, बोईंग 747-100 के लिए B741 है। 

आपने विमान की टेल पर कोड देखे होंगे, उसके शुरूआती दो अक्षर प्रत्येक देश के एयरक्राफ्ट को पहचानने के लिए होते हैं। भारतीय विमानों पर VT लिखा होता है जो अंग्रेजों के द्वारा अपने कॉमनवेल्थ देशों को दिए गए कोड का भारतीय संस्करण था जिसका अर्थ है वाइसरॉय टेरिटरी। अंग्रेजों से आज़ाद हुए देशों ने इसे बदलवाने का प्रयास किया लेकिन हमारे देश में किसी ने इसकी जरुरत नहीं समझी। बहरहाल भारत के एयरक्राफ्ट्स के लिए VT-AAA to VT-ZZZ तक के कोड उपलब्ध हैं। 

दिसंबर-2006 में जेट एयरवेज के बेड़े में शामिल VT-JGT, बोईंग-737 -85R

अगस्त 2009 में बेड़े में शामिल हुआ एयर इण्डिया एयर-बस-VT-SCS A-319-112, 
मुंबई छत्रपति शिवाजी अंतराष्ट्रीय विमान पत्तन पर उतरते इन जहाजों की फोटो मैंने इंडिगो एयरलाइन्स में बैठे बैठे ली है।

चलिए अब आज के बुलेटिन की ओर चलते हैं.
 
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 आशा है आपको आज का बुलेटिन पसंद आया होगा, मिलते हैं अगले अंक में फिर से.. तब तक के लिए देव बाबा को अनुमति दीजिये।


6 टिप्पणियाँ:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अच्छी जानकारी देव बाबू! आज जब मैंने भी कुछ जानकारियाँ तलाशने का काम किया तो कुछ बातें पता चलीं. जैसे ट्रेन में अप और डाउन गाड़ियों के उद्गम और गंतव्य (मुझे सही बात अभी याद नहीं) की दिशा के आधार पर सम और विषम नम्बर दिये जाते हैं, वैसे ही 6E और 9W के ऑड-इवेन नम्बर उनकी उड़ान की दिशा से सम्बन्धित हैं.
बहुत अच्छी जानकारी है और बेहद सरल रूप में. आभार!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर जानकारी । बढ़िया बुलेटिन ।

Deepak chaubey ने कहा…

अच्छी जानकारी

Dr. Vandana Sharma ने कहा…

Dhanyawaad

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बढ़िया जानकारी !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया जानकारी दी देव बाबू ... आभार आपका |

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