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मंगलवार, 22 नवंबर 2011

नाक नल ना बन जाए ... संभालो यारो ... - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,

प्रणाम !

आजकल हम दुखी है २ नलों से ... एक से पानी बह नहीं रहा और दुसरे से बहना बंद नहीं हो रहा ... ;-) 

जी हाँ आप ठीक समझे आजकल बदले हुए मौसम ने मुझे अपना शिकार बना रखा है ... और नाक नल हुए जा रही है ... दूसरी ओर ४ दिनों से घर में पानी की दिक्कत है ... सरकारी टियूब वेल खबर पड़ा है ... और क्यों कि मामला सरकारी है तो आप समझ ही सकते है काम किस रफ़्तार से चल रहा होगा उसको ठीक करने का ???

चलिए आज आपको थोडा ज्ञान ... सेहत पर दे दिया जाए ... क्यों ठीक है न ... 


बेशक सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जाता है, लेकिन असावधानी बरतने पर इस ऋतु में कई बीमारिया हो सकती हैं। अगर हम इस मौसम में होने वाली बीमारियों के बारे में सचेत हो जाएं, तो यह मौसम साल के सबसे उम्दा मौसम में तब्दील हो सकता है। आइए जानते हैं, इस मौसम के कुछ रोगों के बारे में..

फ्लू पर करें फतेह

सर्दियों में बच्चों व वयस्कों की सास नली [रेस्पॉयरेट्री ट्रैक्ट] के ऊपरी व निचले भाग में सक्रमण होने के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं। फ्लू भी सास नली से सबधित रोग है। फ्लू के वाहक कुछ खास किस्म के वाइरस अपनी सख्या को तेजी से बढ़ाते हुए सास नली में वाइरस का सक्रमण पैदा कर समस्या खड़ी कर देते हैं।

लक्षण

* बुखार आना और नाक बहना।
* गले में खराश रहना।
* खासी आना।
* थकान रहना और शरीर में दर्द महसूस होना।

इलाज

लक्षणों के आधार पर फ्लू का बेहतर इलाज किया जाता है। वैसे फ्लू को दूर करने के लिए पैरासीटामोल, भाप [स्टीम] लेने, विटामिन सी की टैब्लेट्स लेने, बलगम और सीने में जकड़न आदि की शिकायतों को दूर करने वाली दवाओं [डीकन्जेस्टेंट्स] का इस्तेमाल किया जाता है। लक्षणों के गभीर होने पर डॉक्टर से परामर्श लें।

रोकथाम

* फ्लू की वैक्सीन लगवा लेने से इस बीमारी के लक्षण गभीर नहीं होने पाते।
* मधुमेह से ग्रस्त व्यक्तियों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्र्गो को फ्लू से ग्रस्त होने का जोखिम ज्यादा होता है। इन लोगों को फ्लू वैक्सीन लगवानी चाहिए।
* फ्लू वैक्सीन लगवाने से इनफ्लूएंजा के सक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
* साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। कुछ भी खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं।
* स्वस्थ व्यक्ति को पीड़ित शख्स की छींकों से बचना चाहिए।

कान में सक्रमण

मौसम बदलने का असर कान में सक्रमण पर भी पड़ता है। जाड़े की शुरुआत से कान में सक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं। हालाकि इस तरह के सक्रमण के मामलों का अक्सर शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता।

लक्षण

* कान में तेज दर्द होना।
* बुखार होना
* कान में खुजली होना और कान का बहना।
* उपर्युक्त सभी लक्षण प्रत्येक मरीज में हों, यह जरूरी नहीं है। अलग-अलग मरीजों में कोई दो लक्षण भी पाये जा सकते हैं।
बहरहाल कान के अधिकतर सक्रमण वाइरस के कारण होते हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं कि रोगी को एंटीबॉयोटिक्स दवाएं ही दी जाएं, लेकिन दर्द से राहत पाने के लिए डीकन्जेस्टेंट्स नामक दवाएं दी जा सकती हैं। जब तक कान में सक्रमण खत्म नहीं हो जाता, तब तक कान की सुनने की क्षमता और कान के पर्दे का परीक्षण किया जाता है। 
अब आप कहेंगे कि भाई आप इतना कैसे जानते है ... तो ऐसा है जनाब ... इन्टरनेट ... का सदुपयोग कर रहे है बस ... वैसे बता दें कि ऊपर दी गयी जानकारी डा.के.के.हान्डा, डाइरेक्टर-ईएनटी, हेड एन्ड नेक सर्जरी, मेदात दि मेडिसिटी, गुड़गाव  से मिली जानकारी के आधार पर आप को दी गयी है |
आइये अब चलते है आज के ब्लॉग बुलेटिन की ओर ...
सादर आपका 

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अब आज्ञा दीजिये ... फिर मुलाकात होगी एक और बुलेटिन के साथ ...

जय हिंद !!

              


10 टिप्पणियाँ:

shikha varshney ने कहा…

मौसम के अनुसार बुलेटिन बढ़िया लगा.

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बढिया खजाना,

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

shikha varshney ने आपकी पोस्ट " नाक नल ना बन जाए ... संभालो यारो ... - ब्लॉग बुलेट... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

मौसम के अनुसार बुलेटिन बढ़िया लगा.

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

शिखा जी की आजकल लड़ाई चल रही है गूगल बाबा से ... हर बार उनकी टिप्पणी गायब ... ;-)
पाबला जी कहाँ है आप ??? कुछ करो जी महाराज ...

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छा लगा आज का बुलेटिन।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सूक्ष्म दृष्टि के साथ सुझावों का बुलेटिन पसंद आया

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

लो जी डॉक्‍टर भी बन गए

अब हमारा
मतलब हमारी बीमारी की

चिकित्‍सा कर दीजिए।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आभार शिवम् जी ब्लॉग बुलेटिन में जगह दी......

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छा लगा आज का बुलेटिन।

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