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मंगलवार, 2 मई 2017

नर हो न निराश करो मन को ...

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज का ज्ञान :-
 
अगर पूरी तरह टूटे होने पर भी मुस्कुरा सकते है तो जान लीजिये इस दुनियां मे ऐसी कोई शै नहीं जो आपको तोड़ सके !

सादर आपका
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कम्युनिज़्म, सामाजिक समानता और परिवार...

कलंक

माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

"खामोश निगाहें...."

स्व॰ सत्यजित रे जी की ९६ वीं जयंती

गौतम बुद्ध

डर लगता है - कविता

सोशल मीडिया से जुड़े युवाओं ने शुरू की पनशाला व्हाट्सऐप ग्रुप का पॉजिटिव वर्क

धोंडी दगड़ू

रात है..,चाँद है...इंतजारी है...

क्यों खटक रहे हैं बर्तन 'आप' के?

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

3 टिप्पणियाँ:

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय ,सुन्दर व रोचक प्रस्तुति ,आभार। "एकलव्य"

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

बेनामी ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन पर हिंदी के अनेकों ब्लॉग के लेखो को प्रकाशित करके आप एक सराहनीय कार्य कर रहे हैं इससे एक ही स्थान पर अनेको लेखकों के विचारों को पढने में सहूलियत रहेगी जीवनसूत्र की और से अभिवादन स्वीकार करें

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