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शनिवार, 5 जुलाई 2014

ईश्वर करता क्या है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

पिछले दिनों ब्लॉगर मित्र हंसराज सुज्ञ जी की फेसबुक प्रोफ़ाइल पर अकबर - बीरबल का एक बेहद उम्दा किस्सा पढ़ने को मिला ... आज आप सब को वही पढ़वा रहा हूँ |

लीजिये पेश है किस्सा ए अकबर - बीरबल ...

एक दिन अकबर ने बीरबल के सामने सहसा 3 प्रश्न उछाल दिए.......

प्रश्न थे- 'ईश्वर कहाँ रहता है?'
'वह कैसे मिलता है'
और वह करता क्या है?''

बीरबल इन प्रश्नों को सुनकर सकपका गये और बोले- ''जहाँपनाह! इन प्रश्नों के उत्तर मैं कल आपको दूँगा।"

जब बीरबल घर पहुँचे तो वह बहुत उदास थे। उनके पुत्र ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया-
''बेटा! आज अकबर बादशाह ने मुझसे एक साथ तीन प्रश्न 'ईश्वर कहाँ रहता है? वह कैसे मिलता है? और वह करता क्या है?' पूछे हैं। मुझे उनके उत्तर सूझ नही रहे हैं और कल दरबार में इनका उत्तर देना है।''

बीरबल के पुत्र ने कहा- ''पिता जी! कल आप मुझे दरबार में अपने साथ ले चलना मैं बादशाह के प्रश्नों के उत्तर दूँगा।''

पुत्र की हठ के कारण बीरबल अगले दिन अपने पुत्र को साथ लेकर दरबार में पहुँचे।
बीरबल को देख कर बादशाह अकबर ने कहा- ''बीरबल मेरे प्रश्नों के उत्तर दो। बीरबल ने कहा ''जहाँपनाह आपके प्रश्नों के उत्तर तो मेरा पुत्र भी दे सकता है।''

अकबर ने बीरबल के पुत्र से पहला प्रश्न पूछा- ''बताओ! 'ईश्वर कहाँ रहता है?'' बीरबल के पुत्र ने एक गिलास शक्कर मिला हुआ दूध बादशाह से मँगवाया और कहा- जहाँपनाह दूध कैसा है? अकबर ने दूध चखा और कहा कि ये मीठा है। परन्तु बादशाह सलामत क्या आपको इसमें शक्कर दिखाई दे रही है? बादशाह बोले नही। वह तो घुल गयी।
जी हाँ, जहाँपनाह! ईश्वर भी इसी प्रकार संसार की हर वस्तु में रहता है। जैसे शक्कर दूध में घुल गयी है परन्तु वह दिखाई नही दे रही है।

बादशाह ने सन्तुष्ट होकर अब दूसरे प्रश्न का उत्तर पूछा- ''बताओ! ईश्वर मिलता केसे है?'' बालक ने कहा- ''जहाँपनाह थोड़ा दही मँगवाइए।'' बादशाह ने दही मँगवाया तो बीरबल के पुत्र ने कहा- ''जहाँपनाह! क्या आपको इसमं मक्खन दिखाई दे रहा है। बादशाह ने कहा- ''मक्खन तो दही में है पर इसको मथने पर ही दिखाई देगा।''
बालक ने कहा- ''जहाँपनाह! मन्थन करने पर ही ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं।''

बादशाह ने सन्तुष्ट होकर अब अन्तिम प्रश्न का उत्तर पूछा- ''बताओ! ईश्वर करता क्या है?''
बीरबल के पुत्र ने कहा- ''महाराज! इसके लिए आपको मुझे अपना गुरू स्वीकार करना पड़ेगा।'' अकबर बोले- ''ठीक है, तुम गुरू
और मैं तुम्हारा शिष्य।''

अब बालक ने कहा- ''जहाँपनाह गुरू तो ऊँचे आसन पर बैठता है और शिष्य नीचे।'' अकबर ने बालक के लिए सिंहासन खाली कर दिया और स्वयं नीचे बैठ गये।

अब बालक ने सिंहासन पर बैठ कर कहा- ''महाराज! आपके अन्तिम प्रश्न का उत्तर तो यही है।''अकबर बोले- ''क्या मतलब? मैं कुछ समझा नहीं।''

बालक ने कहा- ''जहाँपनाह! ईश्वर यही तो करता है। "पल भर में राजा को रंक बना देता है और सेवक को सम्राट बना देता है।"

तो साहब बताइये कैसा लगा यह किस्सा !? 

सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

10 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर सूत्रो के साथ आज की सुंदर शनिवारीय बुलेटिन ।

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन , वाह बहुतखूब सेवक व बीरबल , लेकिन ईश्वर तो १ हैं अब ?
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

कौशल लाल ने कहा…

वाह बहुत खूब......

Unknown ने कहा…

hamesha ki tarah rochak kahani,uttam link....

Madhuresh ने कहा…

बहुत अच्छे लिंक्स। मेरी पोस्ट को बुलेटिन में स्थान देने के लिए धन्यवाद आपका!
सादर
मधुरेश

BS Pabla ने कहा…

बीरबल तो बीरबल है :)

लिंक्स भी हैं मस्त

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया किस्सा......
बेहतरीन बुलेटिन...
शुक्रिया शुक्रिया
अनु

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

सुज्ञ जी अपनी छोटी छोटी पोस्टों के माध्यम से बड़े बड़े सन्देश देने में सक्रिय रहे हैं. यह कहानी उसी का एक उदाहरण है! बहुत अच्छी प्रस्तुति!

Asha Lata Saxena ने कहा…

पहले बहुत सुने थे अकबर बीरबल के किस्से आज फिर याद दिलादी आपने |
उम्दा लिंक्स |

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

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