प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम |
सादर आपका
प्रणाम |
अमेरिका की बात हैं...एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा...उस पर बहुत कर्ज चढ़ गया, तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी...दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था | कहीं से कोई राह नहीं सूझ रही थी | आशा की कोई किरण दिखाई न देती थी | एक दिन वह एक पार्क में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था कि तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे | कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे...बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी |
बुजुर्ग बोले - "चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है...मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ |" फिर जेब से चैकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान,आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे...तब तुम मेरा कर्ज चुका देना |”
इतना कहकर वो चले गए | युवक असमंजस मे था. Rockefeller तब अमरीका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी | उसके पैरो को तो मानो जैसे पंख लग गये हो !!
घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा. बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत
बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है...अचानक उसके मन में ख्याल आया, उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ | यह ख्याल आते ही उसने चैक को संभाल कर रख लिया | उसने निश्चय कर लिया कि पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा कि इस मुश्किल से निकल जाए | उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो उस चैक का उपयोग करेगा | उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया...बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुका कर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं|
उसकी कोशिशें रंग लाने लगी...कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा | साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्थिति में था |
निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया | वह चैक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था कि वे दूर से आते दिखे...जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया |
उनकी ओर चैक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था कि एक नर्स भागते हुए आई और
झपट्टा मरकर वृद्ध को पकड़ लिया...युवक हैरान रह गया !!
बुजुर्ग बोले - "चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है...मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ |" फिर जेब से चैकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान,आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे...तब तुम मेरा कर्ज चुका देना |”
इतना कहकर वो चले गए | युवक असमंजस मे था. Rockefeller तब अमरीका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी | उसके पैरो को तो मानो जैसे पंख लग गये हो !!
घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा. बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत
बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है...अचानक उसके मन में ख्याल आया, उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ | यह ख्याल आते ही उसने चैक को संभाल कर रख लिया | उसने निश्चय कर लिया कि पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा कि इस मुश्किल से निकल जाए | उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो उस चैक का उपयोग करेगा | उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया...बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुका कर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं|
उसकी कोशिशें रंग लाने लगी...कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा | साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्थिति में था |
निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया | वह चैक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था कि वे दूर से आते दिखे...जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया |
उनकी ओर चैक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था कि एक नर्स भागते हुए आई और
झपट्टा मरकर वृद्ध को पकड़ लिया...युवक हैरान रह गया !!
नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता हैं और लोगो को Rockefeller के रूप में चैक बाँटता फिरता हैं|”
अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रह गया...जिस चैक के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया,वह फर्जी था !!
पर यह बात जरुर साबित हुई कि वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौंसले और प्रयास में ही होती हैं | हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन किसी भी असुविधा से, संकट से निपट सकते है |
पर यह बात जरुर साबित हुई कि वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौंसले और प्रयास में ही होती हैं | हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन किसी भी असुविधा से, संकट से निपट सकते है |
सादर आपका
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15 टिप्पणियाँ:
आभारी हूँ शिवम । सुंदर बुलेटिन हमेशा ही होता है ।
प्रेरणास्पद कहानी के साथ बहुत सुंदर बुलेटिन.
मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
कहानी दमदार है। बहुत बढ़िया। very good post :)
कहानी प्रभावित करती है। बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपका आभार।
achhi kahani,sundar link....
बढ़िया बुलेटिन व लिंक्स , शिवम् भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
dhanywad shivam ji
बढ़िया बुलेटिन व लिंक्स....
मेरी पोस्ट को शामिल करने लिए आभार!
बारम्बार आभार मित्रवर।
मेरे ब्लॉग 'कलमदान ' से 'सावन २०१४ ' को सम्मान देने के लिए धन्यवाद व आभार ..!
ऋतू बंसल
कलमदान
Thanks it's my pleasur
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...
आभार!
शिवम जी, हौसला-अफ़जाई के लिए आभार.
कमाल का क्लाइमैक्स है!!
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