ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण -
अवलोकन २०१३ ...
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०१३ का २२ वाँ भाग ...
प्रेम में ईश्वरीय शक्ति होती है
प्रेम ही लक्ष्य
प्रेम ही सारथि
प्रेम ही प्रत्यंचा
प्रेम ही दान
प्रेम ही मान ………… प्रेम है तो सबकुछ है !
ब्रजेश)
शब्द संजीवनी हैं मेरे लिए. शब्द मेरे मन को बहलाते हैं और दुलारते भी हैं. शब्दों की लड़ी पिरोकर मन की विकलता दूर हो जाती है. शब्द मेरे मन के सच्चे मीत हैं.
जब हम प्रेम में होते हैं,
पूरी दुनिया से रूबरू होते हैं
सजग हो जाती हैं जिहवा पर स्वाद कलिकाएँ
बढ़ जाता है जीवन का आस्वाद
त्वचा पर उग आते हैं संवेदनशील संस्पर्शक
सारे गंधों को ग्रहण करती है हमारी नासा पुट
सारा शोर-शराबा, जीवन का संगीत बन,
बजता है कानों में-
जब हम प्रेम में होते हैं,
रोकते हैं शरीर बच्चे को,
आवारा कुत्तों पर पत्थर फेकने से
गर्दन झुका ,बंद आँखों से
बड़े अदब से देते हैं विदाई
अंतिम यात्रा पर जा रहे सहयात्री को.
जब हम प्रेम में होते हैं,
रोप देते हैं गुलाब का एक विरवा.
जब हम प्रेम में होते हैं,
स्कूल जा रहे छोटे बच्चों के माथे पर रखते हैं आश्वस्ति भरा हाथ
जब हम प्रेम में होते हैं,
हमारे पास समय होता है कविताओं को पढ़ने का
प्रकृति के सौन्द्र्य को निहारने का
अलग-अलग फूलों के रंगो को विचारने का
जब हम प्रेम में होते हैं,
सुबह का स्वागत करते हैं मुस्कुराकर
और ईश्वर को धन्यवाद देते हैं इस जीवन के लिए
जब हम प्रेम में होते हैं,
खुले आसमान के नीचे विचरते हैं
और,चाँद-तारों से करते हैं दिल की बात
जब हम प्रेम में होते हैं,
अख़बारों के स्याह खबरों से होते हैं दुखी
हिन्दी फिल्मों का भला किरदार
होठों पर मुस्कुराहट और आँखों में ला देता है नमी
शाहरुख ख़ान के संग गाते हैं-
तुझे देखा तो ये जाना सनम
और महरूम रफ़ी साहब की मखमली आवाज़ के साथ मिलाते हैंअपनी आवाज़ -
तेरी आँखो केसिवा दुनिया में रखा क्या है.
जब हम प्रेम में होते हैं,
माँ को भर लाते हैं अंक मेंऔर
जताते हैं थोडा अतिरिक्त प्यार
आईने को करते हैं विवश,
ढीठ की तरह खड़े रहते हैं सामने
जब तक वह यह ना कह दे
चलो, काफ़ी है आज के लिए
जब हम प्रेम में होते हैं,
हो जाते हैं सदय
और अपनी गाड़ी को टक्कर मारने वाले को भी
पीछे मुड़कर,
देखते हैं मुस्कुराकर
और ज़ुबान बच जाती है गंदी हो जाने से
जब हम प्रेम में होते हैं,
शब्दों का टोटा हो जाता है ख़त्म
हम हो जाते हैं बातुनी
जब हम प्रेम में होते हैं,
अपनी हथेलियों पर लिखते हैं, मिटाते हैं
दुनिया की सबसे हसीन लड़की का नाम
जब हम प्रेम में होते हैं,अकारण ही जुड़ जाती हैं हथेलिया
दुनिया की तमाम इबादतगाहों में की जा रही प्रार्थनाओं के लिए
जब हम प्रेम में होते हैं,
सुलझ जाती है ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमयी गुत्थी
आख़िरकार, जीवन का मकसद क्या है?
जब हम प्रेम में होते हैं,धरती बन जाती है अपनी देह
और ईष्ट हो जाता है आसमान।
(रीना मौर्य)
जानती हूँ तुम मुझे मना नहीं करते किसी भी चीज के लिए,, पर कभी - कभी तुम्हारी ना सुनने को जी चाहता है....
इसलिए जानबूझकर कुछ ऐसी बात कर ही देती हूँ की तुम चाहकर भी हाँ ना बोल पाओ .....
और मैं तुम्हारी ना सुन पाऊँ...
अरे || ना में भी तो प्यार होता है
फिक्र होती है ,,, ख्याल होता है...
और यही तो प्यार होता है.....
उसदिन तुमसे पूछ लिया था,,,अपने दोस्त की शादी में चली जाऊँ दो दिन के लिए..( तेज बुखार होने पर भी)
और तुम्हारा जवाब झट्ट से " ना " ....
उस वक्त कितना मजा आया था बता नहीं सकती....
बस ऐसे ही मजे लेने को मन कर जाता है कभी-कभी... और पूछ बैठती हूँ तुमसे उलफ़िज़ूल सवाल..
और सुन लेती हूँ तुमसे मीठी सी "ना"
आह||
मीठी सी नोंक- झोंक के बाद कुछ मीठा हो जाये..
:-)
(उपासना सियाग)
तुमसे भी अच्छा
तुम्हारा नाम लगता है
मुझे
जो रहता है
मेरे आस -पास ही
महका -महका सा ...
जब धीमे से गुनगुनाती हूँ
तुम्हारा नाम
हवा में घुल कर
महका जाता है हवा को ...
कभी -कभी मुझे ,
खिड़की से झांकती
रेशमी - मुलायम सी ,
सुबह के सूरज की
पहली किरण सा लगता है ...
सर्द रातों में
गर्म लिहाफ सा
तुम्हारा नाम मुझे तुमसे भी
अच्छा लगता है ...
प्यार में इसका चेहरा उसका - इसका नाम उसके नाम में ढल जाता है - और कब .... पता भी नहीं चलता, प्यार बस प्यार होता है
9 टिप्पणियाँ:
Badhai unko jinki pratibha ko yahan sthan mila hai!!
बहुत सुंदर !
जय हो बहुत खूब ....
सुन्दर लिंक्स में अपनी रचना देख अच्छा लगा..
धन्यवाद आपका...
:-)
जब हम प्रेम में होते हैं,अकारण ही जुड़ जाती हैं हथेलिया
दुनिया की तमाम इबादतगाहों में की जा रही प्रार्थनाओं के लिए
जब हम प्रेम में होते हैं,
सुलझ जाती है ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमयी गुत्थी
आख़िरकार, जीवन का मकसद क्या है?
जब हम प्रेम में होते हैं,धरती बन जाती है अपनी देह
और ईष्ट हो जाता है आसमान।
अद्भुत!
***
मीठी सी "ना"
so sweet!
***
सर्द रातों में
गर्म लिहाफ सा
तुम्हारा नाम मुझे तुमसे भी
अच्छा लगता है ...
वाह!
***
सभी रचनाकारों को बधाई और इन सुन्दर रचनाओं को अपनी सुन्दर पंक्तियों के साथ प्रस्तुत करने के लिए आपको नमन रश्मि प्रभा जी!!!
सच, "प्रेम ही मान ………… प्रेम है तो सबकुछ है !"
सही बात ... प्यार तो बस प्यार होता है ... रंग रूप नाम ... कहाँ कोई अर्थ रखते है एक बार जब प्यार मिल जाये |
प्रेम जो बिकता हाट
कुछ मैं भी खरीद लाती
अभाव झेलना रहा इसी का ......
पूरी श्रंखला ही पढ़ने योग्य, आराम से पढ़ते हैं।
प्रेम में पगी तीनों रचनाएँ बहुत सुन्दर...
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