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रविवार, 22 सितंबर 2013

एक था टाइगर - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
आज २२ सितंबर है ... आज मरहूम नवाब पटौदी साहब की दूसरी पुण्यतिथि है !

भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान मंसूर अली खान पटौदी का बृहस्पतिवार, 22/09/2011 की शाम को निधन हो गया था । उन्हें फेफड़ों में संक्रमण के कारण सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। नवाब पटौदी गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के पति और सैफ अली खान के पिता थे।
भारत के लिए 46 टेस्ट खेल चुके पटौदी देश के सबसे युवा और सफल कप्तानों में से रहे । उन्होंने 40 टेस्ट मैचों की भारत की अगुवाई की। पटौदी ने 34.91 की औसत से 2793 रन बनाए । उन्होंने अपने करियर में छह शतक और 16 अर्धशतक जमाए ।
अपनी कलात्मक बल्लेबाजी से अधिक कप्तानी के कारण क्रिकेट जगत में अमिट छाप छोड़ने वाले मंसूर अली खां पटौदी ने भारतीय क्रिकेट में नेतृत्व कौशल की नई मिसाल और नए आयाम जोड़े थे। वह पटौदी ही थे जिन्होंने भारतीय खिलाड़ियों में यह आत्मविश्वास जगाया था कि वे भी जीत सकते हैं। पटौदी का जन्म भले ही पांच जनवरी 1941 को भोपाल के नवाब परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने हमेशा विषम परिस्थितियों का सामना किया। चाहे वह निजी जिंदगी हो या फिर क्रिकेट। तब 11 साल के जूनियर पटौदी ने क्रिकेट खेलनी शुरू भी नहीं की थी कि ठीक उनके जन्मदिन पर उनके पिता और पूर्व भारतीय कप्तान इफ्तिखार अली खां पटौदी का निधन हो गया था। इसके बाद जब पटौदी ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलना शुरू किया तो 1961 में कार दुर्घटना में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। इसके बावजूद वह पटौदी का जज्बा और क्रिकेट कौशल ही था कि उन्होंने भारत की तरफ से न सिर्फ 46 टेस्ट मैच खेलकर 34.91 की औसत से 2793 रन बनाए बल्कि इनमें से 40 मैच में टीम की कप्तानी भी की।
पटौदी भारत के पहले सफल कप्तान थे। उनकी कप्तानी में ही भारत ने विदेश में पहली जीत दर्ज की। भारत ने उनकी अगुवाई में नौ टेस्ट मैच जीते जबकि 19 में उसे हार मिली। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पटौदी से पहले भारतीय टीम ने जो 79 मैच खेले थे उनमें से उसे केवल आठ में जीत मिली थी और 31 में हार। यही नहीं इससे पहले भारत विदेशों में 33 में से कोई भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया था। यह भी संयोग है कि जब पटौदी को कप्तानी सौंपी गई तब टीम वेस्टइंडीज दौरे पर गई। नियमित कप्तान नारी कांट्रैक्टर चोटिल हो गए तो 21 वर्ष के पटौदी को कप्तानी सौंपी गई। वह तब सबसे कम उम्र के कप्तान थे। यह रिकार्ड 2004 तक उनके नाम पर रहा। पटौदी 21 साल 77 दिन में कप्तान बने थे। जिंबाब्वे के तातैंडा तायबू ने 2004 में यह रिकार्ड अपने नाम किया था।
टाइगर के नाम से मशहूर पटौदी की क्रिकेट की कहानी देहरादून के वेल्हम स्कूल से शुरू हुई थी लेकिन अभी उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था कि उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद जूनियर पटौदी को सभी भूल गए। इसके चार साल बाद ही अखबारों में उनका नाम छपा जब विनचेस्टर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया। अपने पिता के निधन के कुछ दिन ही बाद पटौदी इंग्लैंड आ गए थे। वह जिस जहाज में सफर कर रहे थे उसमें वीनू मांकड़, फ्रैंक वारेल, एवर्टन वीक्स और सनी रामादीन जैसे दिग्गज क्रिकेटर भी थे। वारेल का तब पता नहीं था कि वह जिस बच्चे से मिल रहे हैं 10 साल बाद वही उनके साथ मैदान पर टास के लिए उतरेगा।
नेतृत्व क्षमता उनकी रगों में बसी थी। विनचेस्टर के खिलाफ उनका करियर 1959 में चरम पर था जबकि वह कप्तान थे। उन्होंने तब स्कूल क्रिकेट में डगलस जार्डिन का रिकार्ड तोड़ा था। पटौदी ने इसके बाद दिल्ली की तरफ से दो रणजी मैच खेले और दिसंबर 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ फिरोजशाह कोटला मैदान पर पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। यह मैच बारिश से प्रभावित रहा था। 

 
सादर आपका 
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बिखरते अस्तित्व

नीलिमा शर्मा at Rhythm
 

दर्द को मेहमानखाने से हटाकर रख दिया

आनंद कुमार द्विवेदी at आनंद 
 

माँ दुर्गा का रूप तुही है, उसके जैसा ही बन बेटी

girish pankaj at गिरीश पंकज 
 

9 टिप्पणियाँ:

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

उम्दा लिनक्स .अभी पढ़ती हूँ


मेरी रचना को शामिल करने के लिय आभार

shikha varshney ने कहा…

अच्छे लिंक्स ..
सार्थक बुलेटिन.

शारदा अरोरा ने कहा…

kuchh links to bahut achchhe lage ...

Darshan jangra ने कहा…

अच्छे लिंक्स .. आभार

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

भोपाली टाइगर के बारे में पढना अच्छा लगा....

सभी लिंक्स बढ़िया हैं..

सस्नेह
अनु

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़े सुन्दर व पठनीय सूत्र

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल ने कहा…

यह रचना ऐसी होती हैं बेटियां ! मैने पहले कहीं अंग्रेजी में पढी थी । मुझे बडी प्रभावशाली कहानी लगी सो बेटी दिवस पर हिन्दी की पाठकों के लिये यह तरजुमा करके आपके सामने प्रस्तुत किया था
आपने इसे व्लाग वुलेटिन में शामिल किया मैं इसका आभारी हूं

girish pankaj ने कहा…

अच्छे-पठनीय लिंक्स. आभार .

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