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बुधवार, 18 सितंबर 2013

"रहीम" का आँगन, राम की "तुलसी" और ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकारों मित्रों को सादर नमस्ते।। आज मैं अपनी 25वीं बुलेटिन में आपके साथ एक दिलचस्प खबर साझा कर रहा हूँ, उम्मीद है कि आपको ये खबर पसंद आएगी।

नाम हाफिज इकरार अब्बासी। इनकी उम्र 83 साल से भी अधिक है, पेशे से ये अधिवक्ता है। कोर्ट - कचहरी में ये अपनी दलीलें भी पेश करते रहते हैं। लेकिन एक बात इन्हें दूसरों से जुदा बनाती हैं और वो बात समाज को सांप्रदायिक सौहार्द व भाईचारे का आईना दिखाती है। मुसलमान होते हुए भी वह अपने आँगन में तुलसी को सम्मान देते हैं तो अपने घर के दरवाजे पर गौ सेवा की इबारतें भी लिखते हैं। बीते 70 सालों में उनके जीवन का एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरा जब उन्होंने दिन की शुरुआत गाय और तुलसी के बगैर की हो। 

यह सार्थक कार्य कर रहें हैं अमरोहा (उत्तर प्रदेश) शहर के मुहल्ला सराय कोहना निवासी हाफिज इकरार अब्बासीजनवरी, सन 1930 ई. को स्वर्गीय मुख़्तार अहमद अब्बासी के घर जन्म लेने वाले इकरार अब्बासी ने 10 साल की छोटी उम्र में कुरान शरीफ की आयतें याद कर ली थी।  उसके बाद उन्होंने मुरादाबाद से एम. ए. और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और वकालत शुरू कर दी। रोज़ कोर्ट जाना और मुकदमों पर बहस करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। लेकिन इस दिनचर्या को शुरू करने से पहले दस साल की उम्र से शुरू की गई अपनी खास दिनचर्या वह आज तक नहीं भूले। और वो है गौ सेवा और तुलसी की चाय। घर के आँगन में बनी गौसाला में 2 गाय रखने की परंपरा 70 साल से चली आ रही है। सुबह की नमाज़ पढ़कर गायों को चारा देना, पानी पिलाना तथा उनकी सफाई करना उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। अब्बासी जी के घर के आँगन में तुलसी की छोटी बगिया महक रही है, बगैर तुलसी के वो चाय भी नहीं पीते है। तुलसी की साफ़ सफाई भी उनकी दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा है। हाफिज इकरार अब्बासी कहते हैं कि -"उनके घर में कभी दूध व घी ख़रीदा ही नहीं गया। हम घर में पल रही गाय के दूध का ही इस्तेमाल करते हैं।" अपने शौक के बारे में बताते हुए कहते हैं कि -"हिंदू भाई गाय व तुलसी को पूजनीय मानते हैं तो वह इस लायक है भी, मानव जाति के लिए दोनों कुदरती तोहफा है।" वो आगे कहते है -"83 बरस की उम्र में कभी बीमार नहीं पड़ा।  यह गाय का दूध और तुलसी की ही देन है।"


अब रुख करते हैं आज की बुलेटिन की ओर  …. 














कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभ रात्रि।।

15 टिप्पणियाँ:

Jyoti khare ने कहा…

सुंदर संग्रह शानदार संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़े ही सुन्दर सूत्र..आभार..

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत खूब सजाया बुलेटिन :) | जय हो मंगलमय हो | हर हर महादेव

Asha Joglekar ने कहा…

सुंदर लिक्स की सज्जा। कुछ लिंक्स पर घूम आये औरों पर जाते हैं।

बेनामी ने कहा…

बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र

आज की चर्चा : दिशाओं की खिड़की खुली -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : चर्चा अंक :006

फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो

शिवम् मिश्रा ने कहा…

हाफिज इकरार अब्बासी साहब को हमारा सलाम !

बेहद उम्दा बुलेटिन ... बहुत बहुत आभार हर्ष !

Darshan jangra ने कहा…

बहुत खूब बुलेटिन :आभार

richa shukla ने कहा…

bahut sunder..
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राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन....
सभी लिंक्स अच्छे हैं..

शुक्रिया
अनु

संजय भास्‍कर ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन....

Manish Kumar ने कहा…

एक दूसरे की संस्कृति को अपना कर ही भारतीय संस्कृति का निर्माण हुआ है। ये संस्कृति हमारी पहचान होनी चाहिए ना कि हमारा धर्म !

sathya ने कहा…

Nice post!
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YDS ने कहा…

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