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रविवार, 15 सितंबर 2013

आइए मिलिए कुछ नायाब , कुछ नए ब्लॉगों से




जिन दिनों धुरंधर एग्रीगेटर चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी दोनों अपनी पूरी रवानी पे थे उन्हीं दिनों चिट्ठाजगत की तरफ़ से एक मेल सबको प्राप्त होता था , जिनमें उन नए ब्लॉग्स की जानकारी होती वो भी उनके नाम व यू आर एल पते के साथ जो चिट्ठाजगत पर पंजीकृत होते थे । मगर चिट्ठाजगत के "भूले बिसरे गीत " बन जाने के बाद ये परंपरा भी समाप्त हो चली । अब आलम ये है कि आपको भूलते भटकते हुए नए ब्लॉग्स मिल जाते हैं तो लगता है अरे वाह ये कितना अच्छा कितना बेहतरीन ब्लॉग है । हालांकि हमारीवाणी ने मुखपृष्ठ पर नए ब्लॉग्स के लिए एक कोना बना रखा जिस पर मैं अक्सर टहल के देखता हूं नए ब्लॉग्स को । किसी भी नए ब्लॉग का पहला अनुसरक बनने का अपना ही आनंद है । चलिए छोडिए इन सब बातों को , आइए मिलाता हूं आपको कुछ चुनिंदा ब्लॉग्स से


इन ब्लॉगों से मेरा परिचय तकनीक में सिद्धहस्त ब्लॉगर श्री बी एस पाबला जी ने कराया था , यूं ही एक दिन बात बात में , जब मैंने उनसे कहा कि सर आजकल तो ऐसा लग रहा है कि सबने लिखता ही छोड दिया है । 


सोतडू

फ़िलहाल चमकती पोस्ट नगीना और टाटा गोदरेज  में लिखते हुए सोतडू महाशय लिखते हैं

"कल नगीना से मुलाकात हुई, अच्छा लगा. दरअसल अपने फ़न के माहिर किसी भी आदमी से मिलकर अच्छा लगता है.
नगीना एक मोची हैं.

दरअसल हुआ यूं कि मेरी घड़ी के पट्टे का लूप (चमड़े का घेरा जो पट्टे को बाहर भागने से रोकता है) टूट गया था. घड़ीसाज़ के पास गया (शोरूम नहीं- सस्ते में काम करने वाले के पास) तो पता चला कि लूप छुट्टे नहीं मिलते.
उसने सामने बैठे मोची की ओर इशारा किया, मैं वहां पहुंच गया.
मोची ने मेरी ज़रूरत को समझा और बताया कि वह नहीं कर सकता, अलबत्ता आगे जाकर चौराहे के पास एक मोची है वह कर देगा.
अपनी चप्पल या जूते सिलवा रहे एक सज्जन ने इसकी तस्दीक की और कहा कि वह बहुत बढ़िया कर देगा. "

अब थोडा जागिए और हरी मिर्च का आनंद लीजीए , इस पर लिखते हुए मनीष जोशी अपनी हालिया पोस्ट में लिखते हैं
इस जनम में एक और दिन


गर दे जीगरा दे जो, नमक से खार ना खाए
खड़े को लड़खड़ाने के, दिनों की याद रह जाए
किनारे रास्तों के घोंसले, चढ़ पेड़ सोचे जा  
नई राहें उड़ानों की, जड़ी मिट्टी न मिटवाए
ठिकाना घर बदलने का, दाग दस्तूर है दुनिया 
जमा वो भी नहीं होता, जहां से भाग कर आए,
 कुलदीप जी के इस ब्लॉग का नाम है let us talk
इस पर भी एक कविता ..नहीं नहीं कविता का बेताल है

आजकल कविता वेताल सम

अनचाहे ही कन्धे पर

सवार हो जाती है।

वेताल सम प्रश्न उठाती है

एवं उत्तर न दे पाने की अवस्था में

एक बार फिर पेड़ से उतर

मेरा कन्धा तलाश लेती है।

वो सामन्य से दिखने वाले प्रश्न भी

मुझे अक्सर निरुत्तर कर देते हैं।

अब जैसे कल ही का प्रश्न था 



अब मिलिए अनुपमा जी के बेहतरीन ब्लॉग अनुशील से

इनकी कोई भी पोस्ट ऐसी नहीं है जो आपको बांध न सके । बेहतरीन कलेवर और गजब की अदभुत शैली वाला ये ब्लॉग  सचमुच ही ब्लॉग जगत का नगीना बना हआ है

हालिया पोस्ट में वो कहती हैं , मैं आकाश देखता हूं

"बहुत देर से आसमान पर नज़रें टिकाये बैठे थे, चीज़ें जैसी हैं वैसी क्यूँ हैं, क्यूँ यूँ ही बस उठ कर कोई चल देता है जीवन के बीच से, समय से पहले क्यूँ बुझ जाती है बाती? इतनी सारी उलझनें है, इतने सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं, मन इतना व्यथित और अव्यवस्थित है कि कुछ भी कह पाना संभव नहीं! क्या ऐसा नहीं हो सकता कि नियति से कोई चूक हो गयी हो और इस बात का एहसास होते ही वह भूल सुधार करेगी और जो उसने छीना है जगत से, बिना क्षण खोये उसे लौटा देगी… वह फिर रच सकेगा, फिर हंस सकेगा फिर लिख सकेगा और अपनी कही बात दोहराते हुए हमें आश्वस्त करते हुए कह सकेगा : : "विदा....... शब्दकोष का सबसे रुआंसा शब्द है", मैं कैसे विदा हो जाऊं, लो आ गया वापस….!"
 अब कुछ नए ब्लॉगों से एक मुलाकात हो जाए

यूं ही कभी


जिया लागे न


देहात


सारांश 


अस्तित्व


पटियेबाजी



तो आज के लिए इतना ही , अब मुझे इज़ाज़त दें ।

12 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji ने कहा…

मुझे लगा बहुत सारों को ले आये होंगे फ़िर .... लेकिन अच्छा लगा कुछ नए ब्लॉगों से मिलना ....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नये ब्लॉगों में भी उतरकर आते हैं।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अभी कुछ को पढ़ना शुरू किया है, धन्यवाद अजय भाई

वाणी गीत ने कहा…

नए ब्लॉग्स से मिलना अच्छा लगा!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो महाराज ... नए ब्लोगस पर आजकल सही मे लोगो का ध्यान कम जा पता है ... ऐसे मे आपकी यह पोस्ट काफी मददगार साबित होगी !

लगे रहिए अजय भाई ... जय हो !

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर अच्छा लगा...

उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।

आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।



मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]


राजीव कुमार झा ने कहा…

सादर धन्यवाद ! अजय जी.नए ब्लॉग की जानकारी देने के लिए आभार. कुछ ब्लॉग ऐसे हैं जिन्हें अभी तक नहीं पढ़ा है.अब जरूर पढूँगा.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चलिए इसी बहाने कुछ नए ब्लोगेर्स से मुलाक़ात हो गई ... शुक्रिया ...

अनुपमा पाठक ने कहा…

आभार!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सब पढ़ डाले..कुछ तो बहुत अच्छे लगे।

अजय कुमार झा ने कहा…

आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार । अगले अंक में आपकी शिकायत दूर करूंगा अर्चना दीदी

HARSHVARDHAN ने कहा…

अच्छी और रोचक बुलेटिन।।

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

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