नमस्कार दोस्तो,
आज बंगाली फिल्मों
की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुचित्रा सेन का जन्मदिन है. उनका जन्म 6 अप्रैल 1931 को बंगाल के पबना ज़िले में हुआ था,
जो अब बांग्लादेश में है. वे बंगाली सिनेमा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने
अपनी अलौकिक सुंदरता और बेहतरीन अभिनय के दम पर लगभग तीन दशक तक दर्शकों के दिलों पर
राज किया. उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि दुर्गा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी और सरस्वती
की प्रतिमाओं के चेहरे उनके चेहरे की तरह बनाए जाते थे. दीप जवेले जाई, अग्निपरीक्षा,
देवदास तथा सात पाके बंधा उनकी यादगार
फिल्मों में गिनी जाती हैं.
सुचित्रा सेन ने अपने कैरियर की शुरुआत 1952 में बंगाली फ़िल्म शेष कोठई से की थी.
इसके बाद 1955 में बिमल राय की हिन्दी फ़िल्म देवदास में उन्होंने पारो
की भूमिका निभाई. यह उनकी पहली हिन्दी फिल्म थी. उनके साथ एक अजीब विडंबना जुड़ी कि
उनकी पहली फ़िल्म शेष कथाय (बंगाली) कभी रिलीज ही नहीं हुई. 1975 की फ़िल्म आंधी में सुचित्रा का रोल इंदिरा गांधी से प्रेरित बताया
जाता है. आंधी को रिलीज के 20 हफ्तों बाद ही गुजरात में प्रतिबंधित कर दिया
गया था. 1977 में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद इससे रोक हटाई गई. लगभग 25 साल के अभियन कैरियर के बाद सुचित्रा सेन ने 1978 में बड़े पर्दे से दूरी बना ली और खुद को इससे बिल्कुल अलग कर लिया.
फ़िल्मी दुनिया से दूर होकर वे रामकृष्ण मिशन से जुड़ गईं. एकांत में रहने और फ़िल्मी
दुनिया से दूर रहने के कारण उन्होंने 2005 में दादा साहब फालके पुरस्कार लेने
से इनकार कर दिया था.
सुचित्रा सेन पहली ऐसी बंगाली अदाकारा बनीं जिन्हें इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में सम्मानित
किया गया. उन्हें सात पाके बांधा के लिए 1963 में मॉस्को
फ़िल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था. 1972 में उनको भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया
गया. 2012 में उन्हें
पश्चिम बंगाल सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार बंगो बिभूषण दिया गया.
उनका निधन 17
जनवरी 2014 को दिल का दौरा पड़ने से कोलकाता में
हुआ था.
सौन्दर्य एवं अभिनय
की प्रतिमा सुचित्रा सेन को आज उनके जन्मदिन पर विनम्र श्रद्धांजलि.
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3 टिप्पणियाँ:
सुचित्रा सेन को आज उनके जन्मदिन पर विनम्र श्रद्धांजलि.
बढ़िया बुलेटिन।
अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति !
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