अंजू बॉबी जॉर्ज (अंग्रेज़ी: Anju Bobby George) भारत की प्रसिद्ध एथलीट हैं। अंजू ने सितम्बर 2003, पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनसिप लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को पहली बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया था। अंजू बी. जॉर्ज वर्ष 2003 में 25 वर्ष की उम्र में विश्व एथलेटिक्स में भारत की प्रथम पदक विजेता बनी। एक नज़रिये से देखा जाए तो अंजू का प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स को नई दिशा देने की पहल है। इससे पहले भारत का नाम एथलेटिक्स में जरा-सी चूक के लिये जाना जाता था। 2004 में अंजू बॉबी जॉर्ज को 'राजीव गाँधी खेल रत्न' सम्मान प्रदान किया गया।
अंजू का जन्म 19 अप्रैल, 1977 दक्षिण मध्य केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से कस्बा चीरनचीरा में हुआ। वह बचपन में सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी में पढ़ती थी। इन्होंने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। इनकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। इनके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गईं। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ अंजू ने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की। अंजू की आदर्श पी. टी. उषा थीं।
अंजू का जन्म 19 अप्रैल, 1977 दक्षिण मध्य केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से कस्बा चीरनचीरा में हुआ। वह बचपन में सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी में पढ़ती थी। इन्होंने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। इनकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। इनके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गईं। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ अंजू ने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की। अंजू की आदर्श पी. टी. उषा थीं।
आज अंजू बॉबी जॉर्ज जी के 40वें जन्मदिन पर हम सब उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देते हैं । सादर।।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर.......
विश्वविध्यालय बोले तो ? तेरे को क्या पड़ी है रे ‘उलूक’
आज की बुलेटिन में सिर्फ इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
11 टिप्पणियाँ:
अंजू जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं...बहुत रोचक बुलेटिन...आभार
अंजू बॉबी जॉर्ज के 40वें जन्मदिन पर उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएँ। आज के सुन्दर बुलेटिन में 'उलूक' के सूत्र को भी स्थान देने के लिये आभार हर्षवर्धन।
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
धन्यवाद ब्लॉग बुलेटिन '' अब छोड़ो भी '' को शामिल रकने के लिए
अंजू बाबी जी के जीवन के अनजाने पहलुओं से परिचय कराने के लिए आभार, बुलेटिन की सफलता की शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत आभार !
धन्यवाद ! इस जानकारी के लिए। .. बधाई अंजू को जन्मदिवस पर और शुभकामनाएं अंजू जैसा जज़्बा लेकर आगे बढ़ने वाली लड़कियों को। ...
अंजू बॉबी जॉर्ज जी जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ !
Harshvardhan Ji ... bahut bahut abhar !
शुरु से लेकर अब तक, ब्लॉग बुलेटिन अपना स्तर क़ायम रखने में सफ़ल हुआ है. आभार स्थान देने के लिये.
आप सभी का सहर्ष धन्यवाद। सादर ... अभिनन्दन।।
बहुत खूब....
Http://NKUtkarsh.Blogspot.com
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