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बुधवार, 9 नवंबर 2016

घबराएँ नहीं, बंद नोटों की चाबुक आपके लिए नहीं - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार दोस्तो,
भारतीय अर्थव्यवस्था को जाली मुद्रा से बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सख्त कदम उठाते हुए एक हजार रुपये और पाँच सौ रुपये के नोटों का सञ्चालन बंद करने की अप्रत्याशित घोषणा की गई. ऐसा निर्णय करते ही जनमानस में संशय का वातावरण पैदा हो गया. अचानक से सबको लगने लगा कि आने वाले दिन बिना धन के कैसे व्यतीत किये जायेंगे? क्या उनके पास रखे रुपयों को बदला जा सकेगा? उनके रुपयों की वापसी कैसे संभव होगी? पुराने पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोटों का कितना मूल्य उनको मिलेगा?
सबसे अच्छी बात ये है कि किसी भी उस व्यक्ति को कतई परेशान होने की आवश्यकता नहीं है जिसके पास ईमानदारी का धन है. हाँ, केंद्र सरकार के इस कठोर निर्णय के बाद से कदाचित आरंभिक एक-दो सप्ताह तक परेशानी हो सकती है किन्तु किसी का धन किसी भी रूप में असुरक्षित नहीं रहेगा. इस सम्बन्ध में भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि इस निर्णय के बाद भी पाँच सौ से कम कीमत के नोटों का परिचालन यथावत होता रहेगा. बंद किये गए नोटों के सुचारू सञ्चालन के लिए नयी मुद्रा कई महीनों से गोपनीय रूप से छापी जा रही थी.  



(1) रिजर्व बैंक ने बताया कि मात्र एक दिन (9 नवम्बर) की बैंक बंदी के बाद बैंकों, डाकघरों और भारतीय रिजर्व बैंक के 19 कार्यालयों से अपनी रकम को बदला जा सकता है.
(2) एक व्यक्ति को नकद में चार हजार रुपये तक के नोट बदल कर दिए जायेंगे. इससे अधिक की रकम को उसके खाते में जमा कराया जायेगा. जिन्हें चार हजार रुपये से अधिक की नकदी की जरूरत है, वह चेक या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों जैसे ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट, आईएमपीएस, क्रेडिट, डेबिट कार्ड आदि के जरिए इसका भुगतान कर सकते हैं.
(3) जिनके पास कोई बैंक खाता नहीं है, वे आवश्यक केवाईसी दस्तावेजों के साथ एक खाता खोल सकते हैं.
(4) जिस व्यक्ति के पास अपना खुद का निजी खाता नहीं है, वह रिश्तेदार या मित्र के खाते के जरिए नोटों को बदलने की सुविधा ले सकता है, बशर्तें उसे लिखित अनुमति लेनी होगी और नोट बदलते समय उसे खाताधारक द्वारा दी गई अनुमति का प्रमाण और अपना वैध पहचान प्रमाण उपलब्ध कराना होगा.
(5) एटीएम से निकास के मामले में आरबीआई ने कहा कि एटीएम दो दिन (9-10 नवम्बर) बंद रहने के बाद यथावत कार्य करना आरम्भ कर देंगे. एटीएम के काम करना शुरू करते ही कोई व्यक्ति 18 नवंबर तक दो हजार रुपये प्रतिकार्ड, प्रतिदिन निकाल सकेगा.
(6) 18 नवम्बर के बाद रुपये निकासी की यह सीमा बढ़ाकर प्रतिदिन, प्रतिकार्ड चार हजार रुपये कर दी जाएगी. यह व्यवस्था 24 नवम्बर तक लागू रहेगी.
(7) इसी तरह चेक, निकासी पर्चियों के जरिए नकद निकासी हेतु एक दिन में अधिक से अधिक दस हजार रुपये निकासी की सीमा निर्धारित की गई है. यह सीमा एक सप्ताह में बीस हजार रुपये (एटीएम से निकासी सहित) होगी. ऐसा नवम्बर के पहले पखवाड़े से 24 नवंबर तक लागू रहेगा. उसके पश्चात् सामान्य निकासी व्यवस्था आरम्भ हो जाएगी.
(8) इलेक्ट्रानिक लेनदेन, इंटरनेट बैंकिंग बिना किसी सीमा के साथ किया जा सकता है.
(9) जो लोग देश से बाहर हैं, वे देश में किसी अन्य व्यक्ति को लिखित में अधिकृत कर नोटों को अपने खातों में जमा करवा सकते हैं.
(10) ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि उपभोक्ताओं द्वारा अधिकाधिक निकासी से अन्य दूसरे उपभोक्ताओं पर असर न पड़े.
(11) बंद किये गए नोटों को बदलने, जमा करने की योजना 30 दिसंबर, 2016 को बंद हो जाएगी.
(12) यदि इसके बाद भी कोई व्यक्ति बंद किये गए पाँच सौ, एक हजार रुपये के नोटों को बदलने अथवा जमा करने से वंचित रह जाता है तो ऐसे व्यक्ति को एक घोषणा-पत्र तथा उसके पहचान-पत्र के साथ आरबीआई के निर्धारित कार्यालयों में 31 मार्च 2017 तक एक सीमित अवसर की पेशकश की जाएगी.
(13) हाल-फ़िलहाल अगले तीन दिन (11 नवम्बर की रात्रि) तक कुछ निश्चित जगहों पर पुराने नोटों के परिचालन की छूट है. इनमें चिकित्सालय, दवाई की दुकान, रेलवे टिकट काउंटर, बस टिकट, हवाई टिकट काउंटर, पेट्रोल पम्प, सरकारी दुग्ध विक्रय केंद्र शामिल हैं.

केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार, काला धन, अवैध धन, चुनावों में धनबल का अंधाधुंध प्रयोग, आतंकवाद के लिए प्रयुक्त होने वाले काले धन को रोकने हेतु एक बेहतर कदम उठाया है. यदि देशवासी भारत को वाकई विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते हैं तो उसे नकद मुद्रा के स्थान पर चैक अथवा इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा की तरफ बढ़ना ही होगा. बहरहाल, हम सब धैर्य के साथ सरकार के इस फैसले में सहयोग करें.

ध्यान रखें, मुद्रा बंद नहीं की गई है सिर्फ परिवर्तित की गई है. इसे 30 दिसम्बर 2016 तक सामान्य रूप में बैंक, डाकघर में जमा किया या बदला जा सकता है. इस तिथि के बाद भी 31 मार्च 2017 तक प्रतिबंधित नोटों को सामान्य सी औपचारिकता पूरी कर बदला जा सकेगा.

विस्तार से जानने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट को देखा जा सकता है.

आइये अब एक नजर डालें आज की बुलेटिन पर..

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8 टिप्पणियाँ:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दवा की दुकानें और अस्पताल भी सरकारी न ?

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

ईमानदार कहाँ परेशान होता है । कतई नहीं होता है । सुन्दर बुलेटिन ।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी सामयिक जानकारी के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सामयिक जानकारी के साथ सार्थक बुलेटिन ... राजा साहब ... आभार आपका |

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

सभी का आभार

kavita verma ने कहा…

achchhe links abhar shamil karne ke liye

shashi purwar ने कहा…

सुन्दर चर्चा है हमारी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद

Archana Chaoji ने कहा…

सामयिक जानकारी के साथ सार्थक बुलेटिन! हार्दिक धन्यवाद

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